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*#हिंदू धर्म की विशेष परंपराओं को तो विज्ञान भी करता है प्रणाम by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~हमारे देश में जितनी विविधता देखने को मिलती है उतनी ही विशेष है यहां की अलग-अलग संस्कृति और परंपराएं. जी हां, हिंदू धर्म में कई ऐसी परंपराएं है जिनका पालन सदियों से होता आ रहा है।हिंदू धर्म की परंपराओं का पालन करते हुए आज भी लोग अपने से बड़ों के पैर छूते हैं और शादीशुदा महिलाएं आज भी अपने मांग में सिंदूर जरूर लगाती हैं. इन परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक तर्क भी है।1- पैर छूनाहिंदू धर्म की परंपराओं में अपने से बड़ों के पैर छूना भी शामिल है. आज के इस आधुनिक युग में भी अधिकांश लोग अपने से बड़ों से मिलने पर उनके चरण स्पर्श करते हैं. इस परंपरा को विज्ञान भी सलाम करता है क्योंकि चरण स्पर्श करने से दिमाग से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है।2- नमस्ते या प्रणाम करनाजब भी हम किसी से मिलते हैं अपने हाथ जोड़कर उसे नमस्ते/प्रणाम अवश्य करते हैं. प्रणाम करने के लिए जब हम हाथ जोड़ते हैं तो हमारी उंगलियां एक-दूसरे को स्पर्श करती हैं जिससे पैदा होने वाले एक्यूप्रेशर से हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।इसके अलावा हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने से हम सामने वाले व्यक्ति के संपर्क में नहीं आते हैं, जिसके कारण से उसके हाथों के बैक्टीरिया हमारे संपर्क में नहीं आते हैं. अब तो महामारी के बुरे समय के बाद प्रणाम या नमस्ते करने का प्रचलन विदेशों में भी होता जा रहा है, यही हमारी संस्कृति की अमूल्य पहचान और परिचय है !3- मांग भरनाशादीशुदा महिलाएं अपने मांग में सिंदूर भरती हैं और इस परंपरा के पीछे भी वैज्ञानिक तर्क छुपा हुआ है. बताया जाता है कि सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है जो शरीर के ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है. सिंदूर महिलाओं में यौन उत्तेजना बढ़ाता है जिसके चलते विधवा औरतों के सिंदूर लगाने पर निषेध होता है।4- तिलक लगानाकिसी भी मांगलिक कार्य के समय महिलाएं और पुरुष अपने माथे पर तिलक लगाते हैं. इसके पीछे वैज्ञानिक मान्यता है कि कुमकुम या तिलक लगाने से हमारी आंखों के बीच माथे तक जाने वाली नस में ऊर्जा बनी रहती है. तिलक लगाने से चेहरे की कोशिकाओं में ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है।5- जमीन पर बैठकर खानाआज भी अधिकांश घरों में लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ जमीन पर बैठकर खाना खाते हैं. जमीन पर पालथी मारकर बैठने को एक योग आसन माना गया है। इस आसन में बैठकर खाने से दिमाग शांत रहता है और पाचन क्रिया ठीक होती है।6- कान छिदवानाकान छिदवाना भारतीय परंपराओं में शामिल है. सदियो पुरानी इस परंपरा के पीछे जो तर्क बताया गया है उसके अनुसार कर्ण (कान) छिदवाने से इंसान की सोचने की शक्ति बढ़ती है. वैज्ञानिक तर्क के अनुसार कान छिदवाने से बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जानेवाली नस में ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है।7- सिर पर चोटीहिंदू धर्म में आज भी अधिकांश ब्राह्मण अपने सिर पर शिखा रखते हैं. इस शिखा के बारे में कहा जाता है कि सिर पर जिस जगह पर चोटी रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं. जो एकाग्रता बढ़ाने, गुस्से को कंट्रोल करने और सोचने की शक्ति को बढ़ाने में मदद करती हैं।8- उपवास रखनाहिंदू धर्म में उपवास रखने की परंपरा बहुत पुरानी है. आयुर्वेद के अनुसार व्रत से पाचन क्रिया अच्छी होती है. एक रिसर्च के अनुसार व्रत रखने से कैंसर का खतरा भी कम होता है. इसके साथ ही दिल की बीमारियां और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है।9- तुलसी की पूजाआज भी अधिकांश घरों में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा की जाती है. वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी का पौधा इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है. यह एक आयुर्वेदिक औषधि भी है जिसका प्रयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।10- मूर्ति की पूजाहिंदू धर्म में लोग देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मूर्ति पूजा करते हैं. मूर्ति पूजा के पीछे छुपे वैज्ञानिक तर्क के अनुसार मूर्ति दिमाग को एक जगह पर स्थिर रखने में सहायता करती है।हिंदू धर्म में इन परंपराओं को काफी महत्व दिया गया है जिसका लोग सदियों से पालन करते आ रहे हैं और विज्ञान भी इन परंपराओं के आगे नतमस्तक है।~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~*,* # Science also praises the special traditions of Hinduism by social worker Vanita Kasani Punjab ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ~ The diversity seen in our country is as special as it is here.

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