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भगवान शिवजी के ११वें रुद्रावतार। भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त। अमर। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब//🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️

भगवान शिवजी के ११वें रुद्रावतार। भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त। अमर। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// 🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️ अन्य प्रयोगों के लिए,  हनुमान (बहुविकल्पी)  देखें। हनुमान  (संस्कृत:  हनुमान् ,  आंजनेय  और  मारुति  भी) परमेश्वर की  भक्ति  ( हिंदू धर्म  में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय  महाकाव्य   रामायण  में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह कुछ विचारों के अनुसार भगवान  शिवजी  के ११वें  रुद्रावतार , सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। [1]  रामायण के अनुसार वे  जानकी  के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ  सुग्रीव  की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। हनुमान शक्ति, ज्ञान, भक्ति एवं विजय...

Hearing the name of a scorpion-snake creates fear in the mind of the people. By * By social worker Vanita Kasani Punjab 🌹 Ram Ram Ji * 🌹🙏🙏🌹 But if you are told that a person rears poisonous scorpions and snakes and earns well from them, then you might not believe it. But in Egypt, 27-year-old Mohammed Hamdi Bosht has kept 80,000 scorpions. With the help of these scorpions, their luck has shone. The scorpions and snakes have made Hamdi rich. Hamdi was studying archeology, then he joined the business of making poison. They extract venom from scorpions. This poison is used to make medicine. Hamdi gets about $ 10,000 in exchange for 1 gram of poison, which costs Rs 73 lakh in Indian currency. According to the report of news agency Reuters, 20 to 50 thousand doses of anti-venom can be made from 1 gram of scorpion poison. . By selling poison, Hamdi has become the owner of the Cairo Venom Company. To remove the poison, Hamdi gives a light electric shock to the scorpion, which causes the scorpion to shock and expel the poison. This poison accumulates, which they sell. This poison is used in making medicines for diseases like anti-venom and high blood pressure.

बिच्छू-सांप का नाम सुनकर लोगों के मन में डर उत्पन्न हो जाता है. 🌹 *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 राम राम जी* 🌹🙏🙏🌹 लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि एक व्यक्ति जहरीले बिच्छू और सांपों को पालता है और उनसे अच्छी कमाई भी करता है तो शायद आप इस पर यकीन ना कर पाएं. लेकिन इजिप्ट में 27 साल के मोहम्‍मद हमदी बोश्‍ता ने 80,000 बिच्‍छुओं को पाल रखा है. इन बिच्‍छुओं की मदद से उनकी किस्मत चमक गई है. हमदी को बिच्‍छुओं और सांपों ने अमीर बनाया है. हमदी आर्कियोलॉजी की पढ़ाई कर रहे थे तो तभी वह जहर बनाने के बिजनेस से जुड़ गए. वह बिच्छू से जहर निकालते हैं. इस जहर का इस्तेमाल दवाई बनाने में किया जाता है. हमदी को 1 ग्राम जहर के बदले लगभग 10,000 डॉलर मिलते हैं जिसकी भारतीय मुद्रा में कीमत 73 लाख रुपए बैठती है.न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 ग्राम बिच्छू के जहर से एंटी-वेनम की 20 से 50 हजार डोज बनाई जा सकती हैं. जहर बेच-बेच कर हमदी काहिरा वेनम कंपनी के मालिक बन गए हैं. जहर निकालने के लिए हमदी बिच्छू को हल्का इलेक्ट्रिक शॉक देते हैं जिससे बिच्छू को झटका लगता है और वह जहर बाहर निका...

श्री संकटमोचन हनुमानाष्टक हिन्दी अर्थ सहितबाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो।ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहुँ सो जात न टारो।देवन आनि करी बिनती तब, छाँड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।को नहिं जानत है जग मे कपि, संकट मोचन नाम तिहारो॥१॥अर्थ - हे हनुमान जी ! आप बालक थे तब आपने सूर्य को अपने मूख मे रख लिया जिससे तीनो लोकों मे अँधेरा हो गया। इससे संसार भर मे विपति छा गई, और उस संकट को कोई भी दूर नही कर सका। देवताओं ने आकर आपकी विनती की और आपने सूर्य को मुक्त कर दिया। इस प्रकार संकट दूर हुआ। हे हनुमान जी, संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता।बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महा प्रभु पंथ निहारो।चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।कै द्विज रुप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो।को नहिं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥२॥अर्थ - बालि के डर से सुग्रीव पर्वत पर रहते थे। उन्होनें श्री रामचन्द्रजी को आते देखा, उन्होनें आपको पता लगा के लिए भेजा। आपने अपना ब्राह्मण का रुप धर कर के श्री रामचन्द्र जी से भेंट की और उनको अपने साथ लिवा लाये, जिससे आपने सुग्रीव के शोक का निवारण किया। हे, हनुमानजी, संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता।अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।जीवत ना बचिहौ हम सों जु, बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो।हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाए सिया सुधि प्रान उबारो।को नही जानत है, जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥३॥अर्थ- सुग्रीव ने अंगद के साथ सीता जी की खोज के लिए अपनी सेना को भेजते समय कह दिया था कि यदि सीता जी का पता लगाकर नही लाए तो हम तुम सब को मार डालेंगे। सब ढ़ूँढ़ ढ़ूँढ़कर हार गये। तब आप समुद्र के तट से कूद कर सीता जी का पता लगाकर लाये, जिससे सबके प्राण बचे। हे हनुमान जी संसार मे ऐसा कौन है, जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सो कहि सोक निवारो।ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाय महा रजनीचर मारो।चाहत सिय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।को नहीं जानत हैं, जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥४॥अर्थ - जब रावण ने श्री सीता जी को भय दिखाया और कष्ट दिया और सब राक्षसियों से कहा कि सीता जी को मनावें, हे महावीर हनुमानजी, उस समय आपने पहुँच कर महान राक्षसों को मारा। सीता जी ने अशोक वृक्ष से अग्नि माँगी परन्तु आपने उसी वृक्ष पर से श्री रामचन्द्रजी कि अँगूठी डाल दी जिससे सीता जी कि चिन्ता दूर हुई। हे हनुमान जी,संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।बान लग्यो उर लक्षिमण के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो।लै गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गृह द्रोन सु बीर उपारो।आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।को नहिं जानत हैं जग मे कपि संकट मोचन नाम तिहारो॥५॥अर्थ - रावन के पुत्र मेघनाद ने बाण मारा जो लक्ष्मण जी की छाती पर लगा और उससे उनके प्राण संकट मे पड़ गए। तब आपही सुषेन वैद्य को घर सहित उठा लाए और द्रोणाचल पर्वत सहित संजीवनी बूटी ले आये जिससे लक्ष्मण जी के प्राण बच गये। हे हनुमान जी,संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।रावन जुद्ध अजान कियो तब, नाग की फाँस सबै सिर डारो।श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।आनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो।को नहि जानत है जग मे कपि,संकट मोचन नाम तिहारो॥६॥अर्थ - रावण ने घोर युद्ध करते हुए सबको नागपाश मे बाँध लिया तब श्री रघुनाथ सहित सारे दल मे यह मोह छा गया की यह तो बहुत भारी संकट है। उस समय, हे हनुमान जी आपने गरुड़ जी को लाकर बँधन को कटवा दिया जिससे संकट दूर हुआ। हे हनुमान जी,संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नही जानता।बंधु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पाताल सिधारो।देविहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो।जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो॥७॥अर्थ - अब अहिरावन श्री रघुनाथ जी को लक्षमण सहित पाताल को ले गया, और भलिभांति देवि जी की पूजा करके सबके परामर्श से यह निशचय किया कि इन दोनों भाइयों की बलि दूंगा, उसी समय आपने वहाँ पहुंच कर अहिरावन को उसकी सेना समेत मार डाला। हे हनुमानजी, संसार मे ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता॥काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु बेखि बिचारो।कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।बेगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो।को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो॥८॥अर्थ - हे महाबीर आपने बड़े बड़े देवों के कार्य संवारे है। अब आप देखिये और सोचीए कि मुझ दीन हीन का ऐसा कौन सा संकट है जिसकोआप दुर नहीं कर सकते। हे महाबीर हनुमानजी, हमारा जो कुछ भी संकट हो आप उसे शीघ्र ही दूर कर दीजीए। हे हनुमानजी, संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकट मोचन नाम नहीं जानता।॥दोहा॥लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर॥अर्थ- आपका शरीर लाल है, आपकी पूँछ लाल है और आपने लाल सिंदूर धारण कर रखा है, आपके वस्त्र भी लाल है। आपका शरीर बज्र है, और आप दुष्टों का नाश कर देते है। हे हनुमानजी आपकी जय हो, जय हो, जय हो॥!! जय श्री राम !!हुई तपस्या पूर्ण अब, सजा अयोध्या धाम।नैन बिछाए सब खड़े, आए हैं श्री राम!! वनिता पंजाब जय श्री राम !!

🌹आज का भगवद चिंतन - 752🌹*एक पेड़ दो मालिक*अकबर बादशाह दरबार लगा कर बैठे थे। तभी राघव और केशव नाम के दो व्यक्ति अपने घर के पास स्थित आम के पेड़ का मामला ले कर आए। दोनों व्यक्तियों का कहना था कि वे ही आम के पेड़ के असल मालिक हैं और दुसरा व्यक्ति झूठ बोल रहा है। चूँकि आम का पेड़ फलों से लदा होता है, इसलिए दोनों में से कोई उसपर से अपना दावा नहीं हटाना चाहता।.मामले की सच्चाई जानने के लिए अकबर ने राघव और केशव के आसपास रहने वाले लोगो के बयान सुनते हैं। पर कोई फायदा नहीं हो पाता है। सभी लोग कहते हैं कि दोनों ही पेड़ को पानी देते थे। और दोनों ही पेड़ के आसपास कई बार देखे जाते थे। पेड़ की निगरानी करने वाले चौकीदार के बयान से भी साफ नहीं हुआ की पेड़ का असली मालिक राघव है कि केशव है, क्योंकि राघव और केशव दोनों ही पेड़ की रखवाली करने के लिए चौकीदार को पैसे देते थे।अंत में अकबर थक हार कर अपने चतुर सलाहकार मंत्री बीरबल की सहायता लेते हैं। बीरबल तुरंत ही मामले की जड़ पकड़ लेते है। पर उन्हे सबूत के साथ मामला साबित करना होता है कि कौन सा पक्ष सही है और कौन सा झूठा। इस लिए वह एक नाटक रचते हैं।बीरबल आम के पेड़ की चौकीदारी करने वाले चौकीदार को एक रात अपने पास रोक लेते हैं। उसके बाद बीरबल उसी रात को अपने दो भरोसेमंद व्यक्तियों को अलग अलग राघव और केशव के घर “झूठे समाचार” के साथ भेज देते हैं। और समाचार देने के बाद छुप कर घर में होने वाली बातचीत सुनने का निर्देश देते हैं।केशव के घर पहुंचा व्यक्ति बताता है कि आम के पेड़ के पास कुछ अज्ञात व्यक्ति पके हुए आम चुराने की फिराक में है। आप जा कर देख लीजिये। यह खबर देते वक्त केशव घर पर नहीं होता है, पर केशव के घर आते ही उसकी पत्नी यह खबर केशव को सुनाती है।केशव बोलता है, “हां… हां… सुन लिया अब खाना लगा। वैसे भी बादशाह के दरबार में अभी फेसला होना बाकी है… पता नही हमे मिलेगा कि नहीं। और खाली पेट चोरों से लड़ने की ताकत कहाँ से आएगी; वैसे भी चोरों के पास तो आजकल हथियार भी होते हैं।”आदेश अनुसार “झूठा समाचार” पहुंचाने वाला व्यक्ति केशव की यह बात सुनकर बीरबल को बता देता है। राघव के घर पहुंचा व्यक्ति बताता है, “आप के आम के पेड़ के पास कुछ अज्ञात व्यक्ति पके हुए आम चुराने की फिराक में है। आप जा कर देख लीजियेगा।”यह खबर देते वक्त राघव भी अपने घर पर नहीं होता है, पर राघव के घर आते ही उसकी पत्नी यह खबर राघव को सुनाती है।राघव आव देखता है न ताव, फ़ौरन लाठी उठता है और पेड़ की ओर भागता है। उसकी पत्नी आवाज लगाती है, अरे खाना तो खा लो फिर जाना… राघव जवाब देता है कि… खाना भागा नहीं जाएगा पर हमारे आम के पेड़ से आम चोरी हो गए तो वह वापस नहीं आएंगे… इतना बोल कर राघव दौड़ता हुआ पेड़ के पास चला जाता है।आदेश अनुसार “झूठा समाचार” पहुंचाने वाला व्यक्ति बीरबल को सारी बात बता देते हैं।दूसरे दिन अकबर के दरबार में राघव और केशव को बुलाया जाता है। और बीरबल रात को किए हुए परीक्षण का वृतांत बादशाह अकबर को सुना देते हैं जिसमे भेजे गए दोनों व्यक्ति गवाही देते हैं। अकबर राघव को आम के पेड़ का मालिक घोषित करते हैं। और केशव को पेड़ पर झूठा दावा करने के लिए कडा दंड देते हैं। तथा मामले को बुद्धि पूर्वक, चतुराई से सुल्झाने के लिए बीरबल की प्रशंशा करते हैं।सच ही तो है, जो व्यक्ति परिश्रम कर के अपनी किसी वस्तु या संपत्ति का जतन करता है उसे उसकी परवाह अधिक होती है।शिक्षा :-सत्य की हमेशा जीत होती हैठगी करने वाले व्यक्ति को अंत में दण्डित होना ही पड़ता है, यह प्रकृति का नियम है।*सबका मालिक एक है।*-प्रेरक / वनिता पंजाबभक्ति कथायें🙏❤️🌹जय श्री कृष्णा🌹❤️🙏🌻**********************************🌻

🌹आज का भगवद चिंतन - 751🌹*सीता माँ की अग्नि परीक्षा*जब रावण के वध के बाद सीता माता को वानर सेना पालकी में बैठाकर वापस लाती है तब यह प्रसंग आता है। जब लक्ष्‍मण श्रीराम से पूछते हैं कि सीता माता को आप वापस क्‍यों नहीं बुला रहे तो वे कहते हैं कि सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। यह सुनकर लक्ष्‍मण क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं कि माता समान भाभी की अग्नि परीक्षा लेना उचित नहीं है। वे राम के विरुद्ध विद्रोह पर उतारू हो जाते हैं। इस पर श्रीराम लक्ष्‍मण को गूढ़ रहस्‍य बताते हैं। सीता हरण के पहले ही इसकी भूमिका रखी जा चुकी थी। ️राम को यह पता था कि रावण रूप बदलकर सीता को हरने आएगा। इसलिए उन्‍होंने सीता को इस संबंध में अवगत करा दिया था। दोनों ने इस लीला को आरंभ किया। इसके अनुसार वास्‍तविक सीता को अग्रि को सौंप दिया गया एवं वचन लिया गया कि रावण के वध के बाद ही सीता को अग्रि से वापस लिया जाएगा। बदले में सीता की प्रतिछाया, प्रतिबिंब को लंकेश हरकर ले जाएगा। ऐसा ही हुआ। लंका में पूरे समय वास्‍तविक सीता न होकर उनकी छाया थी। बाद में जब रावण का वध हो गया तो श्रीराम के कहने पर लक्ष्‍मण ने अग्नि उत्‍पन्‍न की।सीता माता से इससे गुजरने का आहवान किया गया। वे अग्नि से गुजरकर अंर्तध्‍यान हो गईं और कुछ ही पलों बाद अग्रि देवता प्रकट हुए। उनके साथ वास्‍तविक सीता माता प्रत्‍यक्ष थीं। इस प्रकार सीता माता वापस श्रीराम के पास आ गईं। यह दृश्‍य देखकर लक्ष्‍मण, हनुमान, सुग्रीव, अंगद, जामवंत सहित समस्‍त वानर सेना भावुक हो गई।-प्रेरक /वनिता पंजाब भक्ति कथायें🙏❤️🌹जय सियाराम🌹❤️🙏🌻**********************************🌻

#रामवाह्य जगत से नाता टूटाअंतर्मन दीदार हुआ।यार को जब से रब मानारब तब से मेरा यार हुआ।।जो संसार कहाता था उसकी माया पता चली। माया की छाया से निकले भीतर सब संसार हुआ।। अधिकारों की बात चली तो पत्ता पत्ता खड़ा हुआ।इच्छा मन से ज्यों ही त्यागी सर्वस्व ही अधिकार हुआ।।जो बूंद नयन में रोकी थीउसी में सागर ढूंढ लिया। बूंद में खुद को बांध लिया अब सागर पार हुआ न हुआ।। मुट्ठी मेरी खोल के देखो पढ़ नहीं लकीरें पाओगे।भाग खोजते उसमें मेरा हर लेख वहां पर राम हुआ।।*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹

A poem from the 'You Know' series Do you know ! Where did you hide What I could not get you .... Inside silk cocoon Inside mustard Prasun Under the banyan shade Beyond the horizon Where the sun sets Bird's nest Freshly feathers In pen ink Innocent by innocence In the world of the world In vain Under the book cover Behind Monalisa's smile In devotion to Meera In the liberation of gautam In Rana's sword Call of bose In the blackness of the sun In Tulsi's Ram In the hole of the piper In sudama's friend In the plum of Shabari In dasaratha's munder In the melody of Baiju In the fire of jauhar In the beat of cartel In the impression of Khusro Yes you were hidden .... * By philanthropist Vanita Kasaniyan Punjab * 🌹🙏🙏🌹

' तुमको पता है ' श्रृंखला से एक कविता तुमको पता है !तुम कहां छुपे थे ?जो मैं तुम्हें पा न सकी....सिल्क ककून के अंदरसरसों प्रसून के अंदरबरगद की छांव तलेक्षितिज के पार जहां सूर्य ढलेचिड़िया के घोंसले मेंउसके पंखों के हौसले मेंकलम की स्याही मेंनिर्दोष की बेगुनाही मेंदुनिया के जंजाल मेंबेकार के सवाल मेंकिताब कवर के नीचेमोनालिसा की मुस्कान के पीछेमीरा की भक्ति मेंगौतम की मुक्ति मेंराणा की तलवार मेंबोस की पुकार मेंसूर के श्याम मेंतुलसी के राम मेंमुरली के छिद्र मेंसुदामा के मित्र मेंशबरी के बेर मेंदशरथ की मुंडेर मेंबैजू के राग मेंजौहर की आग मेंकरतल की थाप मेंखुसरो की छाप मेंहां तुम छुपे थे....*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹

#Rama Break out of the world The inner heart was seen. Man is considered a god ever since God has been my friend since then. What the world was called He came to know about his illusion. Get out of the shadow of maya The whole world happened inside. If we talk about rights Leaf Leaf stood up. As soon as ever Everything is right. The drop which was stopped in Nayan He found the ocean in it. Bound yourself in the drop Now the ocean has not crossed. Fist look at my shell Will not get rid of reading Find my part in it Every article there was Ram. * By philanthropist Vanita Kasaniyan Punjab * 🌹🙏🙏🌹

# રામા દુનિયામાંથી તૂટી પડવું અંદરનું હૃદય જોવામાં આવ્યું. ત્યારથી માણસને ભગવાન માનવામાં આવે છે ભગવાન ત્યારથી મારો મિત્ર છે. જેને વિશ્વ કહેવાતું તેને તેના ભ્રાંતિ વિશે ખબર પડી માયાની છાયામાંથી બહાર નીકળો આખી દુનિયા અંદર થઈ. જો આપણે હકની વાત કરીએ લીફ લીફ .ભો થયો. જલદીથી બધુ બરાબર છે. જે ડ્રોપ નયનમાં બંધ થઈ ગયો તેમાં તે સમુદ્ર મળ્યો. ડ્રોપમાં જાતે બાઉન્ડ હવે સમુદ્ર પાર નથી થયો. મારા શેલ પર મૂક્કો જુઓ વાંચવાથી મુક્તિ મળશે નહીં તેમાં મારો ભાગ શોધો ત્યાં દરેક લેખ રામ હતા. * સામાજિક કાર્યકર વનિતા કસાણી પંજાબ દ્વારા * 🌹🙏🙏🌹

ڪهڙا 33 خدا ماس ۾ خوش آهن؟ * انسان دوستي جي ماهر وانتايا ڪيساني پنجاب طرفان * حصيداري ڪريو هندو ڪئلينڊر موجب ، هر ٽئين سال هڪ اضافي مهيني شامل ڪري ٿو. انهي جو سبب سج ۽ چنڊ جي سالياني حرڪت ۾ 11 ڏينهن جو فرق آهي ، جيڪو پل ڪرڻ لاءِ هر ٽئين سال وڌيڪ شامل ڪيو وڃي ٿو. اهو سال بيازن ڪري ٿو جڏهن ته قمري مهيني جو سال 13 مهينا ٿي وڃي ٿو. هن ڀيري اوور ڊرافٽ 18 سيپٽمبر کان 16 آڪٽوبر 2020 تائين شروع ٿيندو. ايم ڊي ايم ڊي اوليا ايم پي هفتي ۾ 10،00،000 ڪمائڻ واري ڇوڪري راز کي ٻڌائيندي وڌيڪ سکو رب وشنو ادڪڪامس جو عظيم ديوتا آھي. هن مهيني جي ڪهاڻي لارڊ وشنو ، لارڊ وشنو جي هڪ اوارشن ۽ رب ڪرشن سان جڙيل آهي. هن مهيني ۾ سري ڪرشنا ، شريمان ڀاگوت گيتا ، شري رام ڪتا واچين ۽ لارڊ شري وشنو جو شري نريشنگ هاروپ خاص طور تي پو ‏worshipيا ويندا آهن. هن مهيني جي عبادت ڪرڻ پنهنجي پنهنجي اهميت آهي. اشتهار سازي ھن مھيني ۾ وڌيڪ ديوي جي 33 ديوتائن جي پو ‏isا اھم آھي- وشنو ، جشنو ، مھاوشنو ، ھري ، ڪرشنا ، بھادھوجا ، ڪيشاوا ، مدھاوا ، راما ، اچيوٿا ، پرووشوتم ، گووند ، وامان ، شريش ، سريانٿ ، نارائن ، مدھروپوپ ، انيرودھ ، اتي تروڪرم ، واسوديوا ، يگتيوني ، اننت ، وشوکشيهنم ، شيشين ، سنڪرشن ، پرديمانا ، داتياري ، ويشوتومخ ، جناردن ، ڌاراوا ، ڊيمودر ، ميگرودن ۽ سرپتي جي جي عبادت مان وڏو فائدو آهي. مذهبي تصنيفات موجب شري نريشا سنگهه هن مهيني جو نالو ٻڌائي ڇڏيو آهي ۽ چيو ته هاڻي مان هن مهيني جو ديوتا ٿي چڪو آهيان ۽ هن نالي سان س ‏worldي دنيا پاڪ ٿي ويندي هن مهيني ۾ مان جيڪو به خوش ٿيندو ، اهو ڪڏهن به غريب نه هوندو ۽ هن جون خواهشون پوريون ٿينديون. تنهن ڪري ، منٿر ڪرڻ ، سادگي ، خيرات ۽ هن مهيني دوران لاتعداد فضيلت جو حصول. هن ڪهاڻي شيئر ڪريو. فيسبوڪ ‏Twitter WhatsApp ‎ونيتدر بلاگ تي خبرون پڙهو بالي ووڊ لائف اسٽائل نجومي ڪهاڻيون مهاڀارت رامائن جون ڪهاڻيون مذهب عالمي دلچسپ ۽ مهانگو. بلاگ هندي جي تابعداري ڪريو فيسبوڪ ‏Twitter ‎يوٽيوب انسٽاگرام اشتهار سازي زندگي جي ڳولها هاڻي تمام آسان ٿي چڪي آهي! ان ڪري انڊيا جي شادي تي ا ‏register ‎رجسٽر ٿيو- مفت ۾ رجسٽر ٿيو! ايندڙ آرٽيڪل * سماجي ڪارڪن پاران ونيتا ڪاسياني پنجاب * ‏🌹🙏🙏🌹 ‎سج جي شعاع صحت جا فائدا: ڇا توھان ‏knowاڻو ھو سج خدا اسان کي بيمارين جي حملي کان بچائيندو آھي تجويز ڪيل خبرون ايم ڊي ايم ڊي جوڑوں جو درد 2 ڏينهن ۾ دور ٿي ويندو. اھو ڪر فلڪوسٽيل ڇا تون جوڑوں جو درد برداشت ڪري رهيو آهين؟ مهرباني ڪري اهو ضرور پڙهو فلڪوسٽيل هفتي ۾ 10،00،000 ڪمائڻ واري ڇوڪري راز کي ٻڌائيندي اولمپڪ تجارت ويجهو ئي لاڳاپيل ‏informationاڻ

मासमध्ये कोणत्या 33 देवांना प्रसन्न केले जाते? * सामाजिक कार्यकर्ते वनिता कासाणी पंजाब * 🌹🙏🙏🌹 सामायिक करा हिंदू कॅलेंडरनुसार, प्रत्येक तिसर्‍या वर्षी अतिरिक्त महिन्याची भर पडते. सूर्य आणि चंद्राच्या वार्षिक हालचालींमध्ये 11 दिवसांचा फरक हे त्याचे कारण आहे, जे दर तिस third्या वर्षी भरण्यासाठी जोडले जाते. हे वर्षाचे संतुलन असते तर चंद्र महिन्याचे वर्ष 13 महिने होते. यावेळी ओव्हरड्राफ्ट 18 सप्टेंबरपासून 16 ऑक्टोबर 2020 पर्यंत सुरू होईल. Mgid Mgid ओलिंप व्यापार दर आठवड्याला 10,00,000 मिळवणारी मुलगी रहस्ये सांगेल अधिक जाणून घ्या → भगवान विष्णु हे अधमाचे सर्वोच्च देवता आहेत. या महिन्याची कहाणी भगवान विष्णू, भगवान विष्णूचे अवतार आणि श्रीकृष्णाशी संबंधित आहे. या महिन्यात श्रीकृष्ण, श्रीमद् भागवत गीता, श्री राम कथा वचन आणि भगवान श्री विष्णूचे श्री नृसिंह स्वरूप यांची विशेष पूजा केली जाते. या महिन्याच्या पूजेला स्वतःचे वेगळेपण आहे. जाहिरात या महिन्यात मोठ्या महिन्याच्या greater 33 देवतांची उपासना करणे महत्त्वाचे आहे- विष्णू, जिष्णू, महाविष्णु, हरि, कृष्ण, भादोकाजा, केशव, माधव, राम, अच्युत, पुरुषोत्तम, गोविंद, वामन, श्रीशांत, श्रीकांत, नारायण, मधुरिपु, अनिरुद्ध, तेथे त्रिविक्रम, वासुदेव, यज्ञतोनी, अनंता, विश्‍वशीभूणम, शेषायिन, शंकरशन, प्रद्युम्ना, दैतारी, विश्ववतमुख, जनार्दन, धारवस, दामोदर, मगहरदान आणि श्रीपती जी यांच्या पूजेचा मोठा फायदा आहे. धार्मिक ग्रंथांनुसार, श्री नृशा सिंह यांनी या महिन्याला आपले नाव दिले आहे आणि म्हणाले की आता मी या महिन्याचा स्वामी बनलो आहे आणि या नावाने संपूर्ण जग पवित्र होईल. या महिन्यात मला जे काही आवडेल ते कधीही गरीब होणार नाही आणि त्याच्या इच्छा पूर्ण होतील. म्हणून, या महिन्यात जप, तपस्या, दान, आणि असीम पुण्य प्राप्त करणे. ही कथा सामायिक करा: फेसबुक ट्विटर व्हॉट्सअ‍ॅप विनीतद्रब्लोगवरील बातम्या वाचा बॉलिवूड लाइफ स्टाईल ज्योतिष महाभारत रामायण कथा कथा जगातील मजेशीर आणि उत्साहवर्धक हिंदी हिंदी अनुसरण करा फेसबुक ट्विटर YouTube इन्स्टाग्राम जाहिरात जीवनात शोधणे आता खूप सोपे झाले आहे! तर इंडिया मॅटरमनीवर आजच नोंदणी करा - विनामूल्य नोंदणी करा! पुढील लेख * सामाजिक कार्यकर्ते वनिता कासाणी पंजाब * 🌹🙏🙏🌹 सूर्य किरणांचे आरोग्यविषयक फायदे: तुम्हाला माहिती आहे काय की सूर्यदेव आजारांच्या आक्रमणापासून आपले रक्षण करते शिफारस केलेल्या बातम्या Mgid Mgid संयुक्त वेदना 2 दिवसात निघून जातील. करू फ्लेकोस्टील आपण संयुक्त वेदना ग्रस्त आहेत? कृपया नक्की वाचा फ्लेकोस्टील दर आठवड्याला 10,00,000 मिळवणारी मुलगी रहस्ये सांगेल ऑलिम्प व्यापार प्रचलित संबंधित माहिती

માસમાં કયા 33 ભગવાન ખુશ છે? * સામાજિક કાર્યકર વનિતા કસાણી પંજાબ દ્વારા * 🌹🙏🙏🌹 શેર કરો હિન્દુ કેલેન્ડર મુજબ, દર ત્રીજા વર્ષે એક વધારાનો મહિનો ઉમેરવામાં આવે છે. આનું કારણ એ છે કે સૂર્ય અને ચંદ્રની વાર્ષિક હિલચાલમાં 11 દિવસનો તફાવત છે, જે દરેક ત્રીજા વર્ષે પુલ કરવામાં વધુ ઉમેરવામાં આવે છે. આ વર્ષને સંતુલિત કરે છે જ્યારે ચંદ્ર મહિનાનું વર્ષ 13 મહિના બને છે. આ વખતે ઓવરડ્રાફટ 18 સપ્ટેમ્બરથી 16 Octoberક્ટોબર 2020 સુધી શરૂ થશે. મિગિડ મિગિડ ઓલિમ્પ ટ્રેડ દર અઠવાડિયે 10,00,000 કમાતી છોકરી રહસ્યો જણાવશે વધુ જાણો → ભગવાન વિષ્ણુ એ આધિકમસના સર્વોચ્ચ દેવતા છે. આ મહિનાની કથા ભગવાન વિષ્ણુ, ભગવાન વિષ્ણુના અવતાર અને ભગવાન કૃષ્ણ સાથે સંકળાયેલી છે. આ મહિનામાં શ્રી કૃષ્ણ, શ્રીમદ્ ભાગવત ગીતા, શ્રી રામ કથા વચન અને ભગવાન શ્રી વિષ્ણુના શ્રી નૃસિંહ સ્વરૂપની વિશેષ પૂજા કરવામાં આવે છે. આ મહિનાની પૂજા-અર્ચનાનું પોતાનું મહત્વ છે. જાહેરાત આ મહિનામાં મોટા મહિનાના de 33 દેવોની ઉપાસના મહત્વપૂર્ણ છે- વિષ્ણુ, જિષ્ણુ, મહાવિષ્ણુ, હરિ, કૃષ્ણ, ભાધોકજા, કેશવ, માધવ, રામ, અચ્યુત, પુરુષોત્તમ, ગોવિંદ, વામન, શ્રીશ, શ્રીકાંત, નારાયણ, મધુરીપુ, અનિરુદ્ધ, ત્યાં ત્રિવિક્રમ, વસુદેવ, યજ્yટોની, અનંત, વિશ્વકિભૂનમ, શેષાયિન, શંકરશન, પ્રદ્યુમ્ન, દૈતારી, વિશ્વત્વમુખ, જનાર્દન, ધરવસ, દામોદર, મગધરન અને શ્રીપતિ જીની ઉપાસનાથી મોટો લાભ થાય છે. ધાર્મિક ગ્રંથો અનુસાર શ્રી નૃષા સિંહે આ મહિને પોતાનું નામ આપ્યું છે અને કહ્યું છે કે હવે હું આ મહિનાનો સ્વામી બની ગયો છું અને આ નામથી આખું વિશ્વ પવિત્ર બનશે. આ મહિનામાં મને જે ગમે છે, તે ક્યારેય ગરીબ રહેશે નહીં અને તેની ઇચ્છાઓ પૂર્ણ થશે. તેથી, આ મહિના દરમિયાન જાપ, તપ, દાન, અને અનંત ગુણોની પ્રાપ્તિ. આ વાર્તા શેર કરો: ફેસબુક Twitter વોટ્સેપ વિનિતાદ્રલબ્લોગ પરના સમાચાર વાંચો બોલીવુડની જીવનશૈલી જ્યોતિષશાસ્ત્ર વાર્તાઓ મહાભારત રામાયણની વાર્તાઓ ધર્મ ધર્મ રસિક અને ઉત્તેજક બ્લોગ હિન્દી અનુસરો ફેસબુક Twitter યુટ્યુબ ઇન્સ્ટાગ્રામ જાહેરાત જીવનની શોધ કરવી હવે ખૂબ જ સરળ થઈ ગઈ છે! તેથી આજે ભારત મેટ્રિમોનિ પર નોંધણી કરો - નિ forશુલ્ક નોંધણી કરો! આગળનો લેખ * સામાજિક કાર્યકર વનિતા કસાણી પંજાબ દ્વારા * 🌹🙏🙏🌹 સૂર્ય કિરણો આરોગ્ય લાભો: શું તમે જાણો છો સૂર્ય ભગવાન આપણને રોગોના આક્રમણથી બચાવે છે ભલામણ કરેલા સમાચાર મિગિડ મિગિડ સાંધાનો દુખાવો 2 દિવસમાં દૂર થઈ જશે. કરો Flekosteel શું તમે સાંધાનો દુખાવો અનુભવી રહ્યા છો? તે વાંચવા માટે ખાતરી કરો Flekosteel દર અઠવાડિયે 10,00,000 કમાતી છોકરી રહસ્યો જણાવશે ઓલિમ્પ વેપાર પ્રચલિત છે સંબંધિત માહિતી

માસમાં કયા 33 ભગવાન ખુશ છે? * સામાજિક કાર્યકર વનિતા કસાણી પંજાબ દ્વારા * 🌹🙏🙏🌹 શેર કરો હિન્દુ કેલેન્ડર મુજબ, દર ત્રીજા વર્ષે એક વધારાનો મહિનો ઉમેરવામાં આવે છે. આનું કારણ એ છે કે સૂર્ય અને ચંદ્રની વાર્ષિક હિલચાલમાં 11 દિવસનો તફાવત છે, જે દરેક ત્રીજા વર્ષે પુલ કરવામાં વધુ ઉમેરવામાં આવે છે. આ વર્ષને સંતુલિત કરે છે જ્યારે ચંદ્ર મહિનાનું વર્ષ 13 મહિના બને છે. આ વખતે ઓવરડ્રાફટ 18 સપ્ટેમ્બરથી 16 Octoberક્ટોબર 2020 સુધી શરૂ થશે. મિગિડ મિગિડ ઓલિમ્પ ટ્રેડ દર અઠવાડિયે 10,00,000 કમાતી છોકરી રહસ્યો જણાવશે વધુ જાણો → ભગવાન વિષ્ણુ એ આધિકમસના સર્વોચ્ચ દેવતા છે. આ મહિનાની કથા ભગવાન વિષ્ણુ, ભગવાન વિષ્ણુના અવતાર અને ભગવાન કૃષ્ણ સાથે સંકળાયેલી છે. આ મહિનામાં શ્રી કૃષ્ણ, શ્રીમદ્ ભાગવત ગીતા, શ્રી રામ કથા વચન અને ભગવાન શ્રી વિષ્ણુના શ્રી નૃસિંહ સ્વરૂપની વિશેષ પૂજા કરવામાં આવે છે. આ મહિનાની પૂજા-અર્ચનાનું પોતાનું મહત્વ છે. જાહેરાત આ મહિનામાં મોટા મહિનાના de 33 દેવોની ઉપાસના મહત્વપૂર્ણ છે- વિષ્ણુ, જિષ્ણુ, મહાવિષ્ણુ, હરિ, કૃષ્ણ, ભાધોકજા, કેશવ, માધવ, રામ, અચ્યુત, પુરુષોત્તમ, ગોવિંદ, વામન, શ્રીશ, શ્રીકાંત, નારાયણ, મધુરીપુ, અનિરુદ્ધ, ત્યાં ત્રિવિક્રમ, વસુદેવ, યજ્yટોની, અનંત, વિશ્વકિભૂનમ, શેષાયિન, શંકરશન, પ્રદ્યુમ્ન, દૈતારી, વિશ્વત્વમુખ, જનાર્દન, ધરવસ, દામોદર, મગધરન અને શ્રીપતિ જીની ઉપાસનાથી મોટો લાભ થાય છે. ધાર્મિક ગ્રંથો અનુસાર શ્રી નૃષા સિંહે આ મહિને પોતાનું નામ આપ્યું છે અને કહ્યું છે કે હવે હું આ મહિનાનો સ્વામી બની ગયો છું અને આ નામથી આખું વિશ્વ પવિત્ર બનશે. આ મહિનામાં મને જે ગમે છે, તે ક્યારેય ગરીબ રહેશે નહીં અને તેની ઇચ્છાઓ પૂર્ણ થશે. તેથી, આ મહિના દરમિયાન જાપ, તપ, દાન, અને અનંત ગુણોની પ્રાપ્તિ. આ વાર્તા શેર કરો: ફેસબુક Twitter વોટ્સેપ વિનિતાદ્રલબ્લોગ પરના સમાચાર વાંચો બોલીવુડની જીવનશૈલી જ્યોતિષશાસ્ત્ર વાર્તાઓ મહાભારત રામાયણની વાર્તાઓ ધર્મ ધર્મ રસિક અને ઉત્તેજક બ્લોગ હિન્દી અનુસરો ફેસબુક Twitter યુટ્યુબ ઇન્સ્ટાગ્રામ જાહેરાત જીવનની શોધ કરવી હવે ખૂબ જ સરળ થઈ ગઈ છે! તેથી આજે ભારત મેટ્રિમોનિ પર નોંધણી કરો - નિ forશુલ્ક નોંધણી કરો! આગળનો લેખ * સામાજિક કાર્યકર વનિતા કસાણી પંજાબ દ્વારા * 🌹🙏🙏🌹 સૂર્ય કિરણો આરોગ્ય લાભો: શું તમે જાણો છો સૂર્ય ભગવાન આપણને રોગોના આક્રમણથી બચાવે છે ભલામણ કરેલા સમાચાર મિગિડ મિગિડ સાંધાનો દુખાવો 2 દિવસમાં દૂર થઈ જશે. કરો Flekosteel શું તમે સાંધાનો દુખાવો અનુભવી રહ્યા છો? તે વાંચવા માટે ખાતરી કરો Flekosteel દર અઠવાડિયે 10,00,000 કમાતી છોકરી રહસ્યો જણાવશે ઓલિમ્પ વેપાર પ્રચલિત છે સંબંધિત માહિતી

कौन से 33 देवता होते हैं अधिक मास में प्रसन्न। *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹shareहिंदू कैलेंडर में अनुसार हर तीसरे साल में अतिरिक्त मास यानी अधिक मास जुड़ता है। इसका कारण सूर्य और चंद्रमा की वार्षिक चाल में 11 दिनों का अंतर होता है, जिसे पाटने के लिए हर तीसरे वर्ष अधिक को जोड़ दिया जता है। इससे वर्ष में संतुलन हो जाता है जबकि उसे वर्ष चंद्रमास 13 माह का हो जाता है। इस बार अधिकमास 18 सितंबर से प्रारंभ होकर 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा।MgidMgidOLYMP TRADE10,00,000 प्रति सप्ताह कमाने वाली लड़की बताएगी राज़और जानें→ अधिकमास के अधिपति देवता भगवान विष्णु है। इस मास की कथा भगवान विष्णु के अवतार नृःसिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। इस मास में श्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीराम कथा वाचन और श्रीविष्णु भगवान के श्री नृःसिंह स्वरूप की उपासना विशेष रूप से की जाती है। इस माह उपासना करने का अपना अलग ही महत्व है।विज्ञापन इस माह में अधिक मास के 33 देवताओं की पूजा का महत्व है- विष्णु, जिष्णु, महाविष्णु, हरि, कृष्ण, भधोक्षज, केशव, माधव, राम, अच्युत, पुरुषोत्तम, गोविंद, वामन, श्रीश, श्रीकांत, नारायण, मधुरिपु, अनिरुद्ध, त्रीविक्रम, वासुदेव, यगत्योनि, अनन्त, विश्वाक्षिभूणम्, शेषशायिन, संकर्षण, प्रद्युम्न, दैत्यारि, विश्वतोमुख, जनार्दन, धरावास, दामोदर, मघार्दन एवं श्रीपति जी की पूजा से बड़ा लाभ होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री नृःसिंह भगवान ने इस मास को अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं और इसके नाम से सारा जगत पवित्र होगा। इस महीने में जो भी मुझे प्रसन्न करेगा, वह कभी गरीब नहीं होगा और उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। इसलिए इस मास के दौरान जप, तप, दान से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है।Share this Story:facebooktwitterwhatsappVnitadrblogg पर पढ़ें समाचार बॉलीवुड लाइफ स्‍टाइल ज्योतिष महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां धर्म-संसार रोचक और रोमांचकFollow ब्लॉग Hindifacebooktwitteryoutubeinstagramविज्ञापनजीवनसंगी की तलाश अब हो गई है बेहद आसान! तो आज ही भारत मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें- निःशुल्क रजिस्ट्रेशन करे!अगला लेख*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹sun rays health benefits : क्या आप जानते हैं सूर्य देव बचाते हैं रोगों के आक्रमण सेसुझाए गए समाचारMgidMgidजोड़ों का दर्द 2 दिनों में चला जाएगा। इसे कीजिएFlekosteelक्या आप जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं? कृपया इसे जरूर पढ़ेFlekosteel10,00,000 प्रति सप्ताह कमाने वाली लड़की बताएगी राज़Olymp Tradeप्रचलितसम्बंधित जानकारी

Which 33 Gods Are Pleased in Mass?  * By philanthropist Vanita Kasaniyan Punjab * 🌹🙏🙏🌹  share  According to the Hindu calendar, every third year adds an extra month. The reason for this is the difference of 11 days in the annual movement of the sun and the moon, which is added more every third year to bridge. This balances the year, while the year of the lunar month becomes 13 months. This time the overdraft will start from 18 September till 16 October 2020.  Mgid  Mgid  OLYMP TRADE  Girl earning 10,00,000 per week will tell secrets  Learn more →    Lord Vishnu is the supreme God of Adhikamas. The story of this month is associated with Lord Vishnu, the incarnation of Lord Vishnu, and Lord Krishna. In this month Sri Krishna, Srimad Bhagwat Gita, Shri Ram Katha Vachan and Shri Nrisingh Swaroop of Lord Sri Vishnu are specially worshiped. Worshiping this month has its own significance.  advertising    Worship of 33 d...

, जय श्री राम

कौन से 33 देवता होते हैं अधिक मास में प्रसन्न *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*                           🌹🙏🙏🌹 share हिंदू कैलेंडर में अनुसार हर तीसरे साल में अतिरिक्त मास यानी अधिक मास जुड़ता है। इसका कारण सूर्य और चंद्रमा की वार्षिक चाल में 11 दिनों का अंतर होता है, जिसे पाटने के लिए हर तीसरे वर्ष अधिक को जोड़ दिया जता है। इससे वर्ष में संतुलन हो जाता है जबकि उसे वर्ष चंद्रमास 13 माह का हो जाता है। इस बार अधिकमास 18 सितंबर से प्रारंभ होकर 16 अक्टूबर 2020 तक रहेगा। Mgid Mgid OLYMP TRADE 10,00,000 प्रति सप्ताह कमाने वाली लड़की बताएगी राज़ और जानें→   अधिकमास के अधिपति देवता भगवान विष्णु है। इस मास की कथा भगवान विष्णु के अवतार नृःसिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। इस मास में श्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीराम कथा वाचन और श्रीविष्णु भगवान के श्री नृःसिंह स्वरूप की उपासना विशेष रूप से की जाती है। इस माह उपासना करने का अपना अलग ही महत्व है। विज्ञापन   इस माह में अधिक मास के 33 देवताओं की पू...

09-03-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन ll🕉💚🌹💐🌿🌺🕉❤🕉🌺 🌿💐🌹💚🕉"मीठे बच्चे - चुप रहना भी बहुत बड़ा गुण है, तुम चुप रहकर बाप को याद करते रहो तो बहुत कमाई जमा कर लेंगे''प्रश्नः-कौन से बोल कर्म संन्यास को सिद्ध करते हैं, वह बोल तुम नहीं बोल सकते?उत्तर:-ड्रामा में होगा तो कर लेंगे, बाबा कहते यह तो कर्म संन्यास हो गया। तुम्हें कर्म तो अवश्य करना है। बिना पुरूषार्थ के तो पानी भी नहीं मिल सकता, इसलिए ड्रामा कहकर छोड़ नहीं देना है। नई राजधानी में ऊंच पद पाना है तो खूब पुरूषार्थ करो।ओम् शान्ति। पहले-पहले बच्चों को सावधानी मिलती है - बाप को याद करो और वर्से को याद करो। मनमनाभव। यह अक्षर भी व्यास ने लिखा है। संस्कृत में तो बाप ने समझाया नहीं है। बाप तो हिन्दी में ही समझाते हैं। बच्चों को कहते हैं कि बाप को और वर्से को याद करो। यह सहज अक्षर है कि हे बच्चों मुझ बाप को याद करो। लौकिक बाप ऐसे नहीं कहेंगे कि हे बच्चों मुझ अपने बाप को याद करो। यह है नई बात। बाप कहते हैं हे बच्चों मुझ अपने निराकार बाप को याद करो। यह भी बच्चे समझते हैं रूहानी बाप हम रूहों से बात करते हैं। घड़ी-घड़ी बच्चों को कहना कि बाप को याद करो, यह शोभता नहीं है। जबकि बच्चे जानते हैं हमारा फर्ज है रूहानी बाप को याद करना, तब ही विकर्म विनाश होंगे। बच्चों को निरन्तर याद करने की कोशिश करनी पड़े। इस समय कोई निरन्तर याद कर न सके, टाइम लगता है। यह बाबा कहते हैं मैं भी निरन्तर याद नहीं कर सकता हूँ। वह अवस्था पिछाड़ी में ठहरेगी। तुम बच्चों को पहला पुरूषार्थ बाप को याद करने का ही करना है। शिवबाबा से वर्सा मिलता है। भारतवासियों की ही बात है। यह स्थापना होती है, दैवी राजधानी की और जो धर्म स्थापन करते, उसमें कोई डिफीकल्टी नहीं होती है, उनके पिछाड़ी आते ही रहते हैं। यहाँ देवी-देवता धर्म वाले जो हैं उनको ज्ञान से उठाना पड़ता है। मेहनत लगती है। गीता, भागवत शास्त्रों में यह नहीं है कि बाप संगम पर राजधानी स्थापन करते हैं। गीता में लिखा है कि पाण्डव पहाड़ों पर चले गये, प्रलय हुई आदि-आदि...। वास्तव में यह बात तो है नहीं। तुम अब पढ़ रहे हो भविष्य 21 जन्मों के लिए। और स्कूलों में यहाँ के लिए ही पढ़ाते हैं। साधू सन्त आदि जो भी हैं वह भविष्य के लिए ही पढ़ाते हैं क्योंकि वह समझते हैं हम शरीर छोड़ मुक्तिधाम में चले जायेंगे, ब्रह्म में लीन हो जायेंगे। आत्मा परमात्मा में मिल जायेगी। तो वह भी हुआ भविष्य के लिए। परन्तु भविष्य के लिए पढ़ाने वाला एक ही रूहानी बाप है। दूसरा कोई नहीं। गाया हुआ भी है सर्व का सद्गति दाता एक ही है। वह तो सब अयथार्थ हो जाते हैं। यह बाप ही आकर समझाते हैं। वह भी साधना करते रहते हैं। ब्रह्म में लीन होने की साधना है अयथार्थ। लीन तो किसी को होना नहीं है। ब्रह्म महतत्व कोई भगवान नहीं है। यह सब हैं रांग। झूठखण्ड में हैं सब झूठ बोलने वाले। सचखण्ड में हैं सब सत्य बोलने वाले। तुम जानते हो सचखण्ड भारत में था, अब झूठखण्ड है। बाप भी भारत में ही आते हैं। शिव जयन्ती मनाते हैं परन्तु यह थोड़ेही जानते हैं कि शिव ने आकर भारत को सचखण्ड बनाया है। वह समझते हैं आता ही नहीं है। वह नाम रूप से न्यारा है। सिर्फ महिमा जो गाते हैं पतित-पावन, ज्ञान का सागर। सो ऐसे ही तोते मिसल कह देते हैं। बाप ही आकर समझाते हैं। कृष्ण जयन्ती मनाते हैं, गीता जयन्ती भी है। कहते हैं कृष्ण ने आकर गीता सुनाई। शिव जयन्ती के लिए किसको पता नहीं कि शिव क्या आकर करते हैं। आयेंगे भी कैसे? जबकि कहते हैं नाम रूप से न्यारा है। बाप कहते हैं मैं ही बैठ बच्चों को समझाता हूँ फिर यह ज्ञान प्राय:लोप हो जाता है। बाप खुद बतलाते हैं कि मैं आकर भारत को फिर से स्वर्ग बनाता हूँ। कोई तो पतित-पावन होगा ना। मुख्य भारत की ही बात है। भारत ही पतित है। पतित-पावन को भी भारत में ही पुकारते हैं। खुद कहते हैं - विश्व में शैतान का राज्य चल रहा है। बॉम्ब्स आदि बनाते रहते हैं। उनसे विनाश होना है। तैयारियाँ कर रहे हैं। जैसे वह रावण के प्रेरित किये हुए हैं। रावण का राज्य कब खलास होगा? भारतवासी कहेंगे जब कृष्ण आयेगा। तुम समझाते हो शिवबाबा आया हुआ है। वही सर्व का सद्गतिदाता है। बाप कहते हैं मुझे याद करो। यह अक्षर दूसरा कोई कह न सके। बाप ही कहते हैं मुझे याद करो तो खाद निकलेगी। तुम सतोप्रधान थे, अब तुम्हारी आत्मा में खाद पड़ी है। वह याद से ही निकलेगी, इनको याद की यात्रा कहा जाता है। मैं ही पतित-पावन हूँ। मुझे याद करने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे, इनको योग अग्नि कहा जाता है। सोने को आग में डालकर उनसे किचड़ा निकालते हैं। फिर सोने में खाद डालने लिए भी आग में डालते हैं। बाप कहते हैं वह है काम चिता। यह है ज्ञान चिता। इस योग अग्नि से खाद निकलेगी और तुम कृष्ण पुरी में जाने के लायक बनेंगे। कृष्ण जयन्ती पर कृष्ण को बुलाते हैं। तुम जानते हो कृष्ण को भी बाप से वर्सा मिलता है। कृष्ण स्वर्ग का मालिक था। बाप ने कृष्ण को यह पद दिया। राधे कृष्ण ही फिर लक्ष्मी-नारायण बनते हैं। राधे कृष्ण का जन्म दिन मनाते हैं। लक्ष्मी-नारायण का किसको पता नहीं। मनुष्य बिल्कुल मूँझे हुए हैं। अब तुम बच्चे समझते हो तो औरों को समझाना है। पहले-पहले पूछना है गीता में जो कहा है - मामेकम् याद करो, यह किसने कहा है? वह समझते हैं कृष्ण ने कहा है। तुम समझते हो भगवान निराकार है। उनसे ही ऊंच अर्थात् श्रेष्ठ मत मिलती है। ऊंच ते ऊंच परमपिता परमात्मा ही है। उनकी ही जरूर श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत हुई। उस एक की श्रीमत से ही सर्व की सद्गति होती है। गीता का भगवान ब्रह्मा विष्णु शंकर को भी नहीं कह सकते। वह फिर शरीरधारी श्रीकृष्ण को कह देते। तो इससे सिद्ध है कहाँ भूल है जरूर। तुम समझते हो मनुष्यों की बड़ी भूल है। राजयोग तो बाप ने सिखाया है, वही पतित-पावन है। बड़ी भारी-भारी जो भूलें हैं उन पर जोर देना है। एक तो ईश्वर को सर्वव्यापी कहना, दूसरा फिर गीता का भगवान कृष्ण को कहना, कल्प लाखों वर्ष का कहना - यह बड़ी भारी भूले हैं। कल्प लाखों वर्षों का हो नहीं सकता है। परमात्मा सर्वव्यापी हो नही सकता। कहते हैं वह प्रेरणा से सब कुछ करते हैं, परन्तु नहीं। प्रेरणा से थोड़ेही पावन बना देंगे। यह तो बाप बैठ सम्मुख समझाते हैं मामेकम् याद करो। प्रेरणा अक्षर रांग है। भल कहा जाता है शंकर की प्रेरणा से बॉम्ब्स आदि बनाते हैं। परन्तु यह ड्रामा में सारी नूँध है। इस यज्ञ से ही यह विनाश ज्वाला निकली है। प्रेरणा नहीं करते। यह तो विनाश अर्थ निमित्त बने हैं। ड्रामा में नूँध है। शिवबाबा का ही सारा पार्ट है। उनके बाद फिर पार्ट है ब्रह्मा विष्णु शंकर का। ब्रह्मा ब्राह्मण रचते हैं। वही फिर विष्णुपुरी के मालिक बनते हैं। फिर 84 जन्मों का चक्र लगाकर तुम आकर ब्रह्मा वंशी बने हो। लक्ष्मी-नारायण सो फिर आकर ब्रह्मा सरस्वती बनते हैं। यह भी समझाया है कि इन द्वारा एडाप्ट करते हैं इसलिए इसको बड़ी मम्मा कहते हैं। वह फिर निमित्त बनी हुई है। कलष माताओं को दिया जाता है। सबसे बड़ी सितार सरस्वती को दी है। सबसे तीखी है। बाकी सितार वा बाजा आदि कुछ है नहीं। सरस्वती की ज्ञान मुरली अच्छी थी। महिमा उनकी अच्छी थी। नाम तो बहुत डाल दिये हैं। देवियों की पूजा होती है। तुम अभी जानते हो हम ही यहाँ पूज्य बनते हैं फिर पुजारी बन अपनी ही पूजा करेंगे। अभी हम ब्राह्मण हैं फिर हम ही पूज्य देवी देवता बनेंगे, यथा राजा रानी तथा प्रजा। देवियों में जो ऊंच पद पाते हैं तो मन्दिर भी उन्हों के बहुत बनते हैं, नाम बाला भी उन्हों का होता है जो अच्छी रीति पढ़ते पढ़ाते हैं। तो अब तुम जानते हो पूज्य पुजारी हम ही बनते हैं। शिवबाबा तो सदैव पूज्य है। सूर्यवंशी देवी देवता जो थे वे ही पुजारी फिर भगत बनते हैं। आपेही पूज्य आपेही पुजारी की सीढ़ी बहुत अच्छी रीति समझाते हैं। बिगर चित्र भी तुम किसको समझा सकते हो। जो सीखकर जाते हैं उनकी बुद्धि में सारी नॉलेज है। 84 जन्मों की सीढ़ी भारतवासी चढ़ते उतरते हैं। उन्हों के 84 जन्म हैं। पूज्य थे फिर हम पुजारी बनें। हम सो, सो हम का अर्थ भी तुमने बहुत अच्छी तरह समझा है। आत्मा सो परमात्मा हो न सके। बाप ने हम सो, सो हम का अर्थ समझाया है। हम सो देवता, सो क्षत्रिय.... बनें। हम सो का दूसरा कोई अर्थ है नहीं। पूज्य, पुजारी भी भारतवासी ही बनते हैं और धर्म में कोई पूज्य पुजारी नहीं बनते हैं। तुम ही सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी बनते हो। समझानी कितनी अच्छी मिली है। हम सो देवी देवता थे। हम आत्मा निर्वाणधाम में रहने वाली हैं। यह चक्र फिरता रहता है। जब दु:ख सामने आता है तो बाप को याद करते हैं। बाप कहते हैं मैं दु:ख के समय ही आकर सृष्टि को बदलता हूँ। ऐसे नहीं कि नई सृष्टि रचता हूँ। नहीं, पुरानी को नया बनाने मैं आता हूँ। बाप आते ही हैं संगम पर। अब नई दुनिया बन रही है। पुरानी खलास होनी है। यह है बेहद की बात।तुम तैयार हो जायेंगे तो सारी राजधानी तैयार हो जायेगी। कल्प-कल्प जिन्होंने जो पद पाया है उस अनुसार पुरूषार्थ चलता रहता है। ऐसे नहीं ड्रामा में जो पुरूषार्थ किया होगा सो होगा। पुरुषार्थ करना होता है फिर कहा जाता है कल्प पहले भी ऐसे पुरूषार्थ किया था। हमेशा पुरूषार्थ को बड़ा रखा जाता है। प्रालब्ध पर बैठ नहीं जाना है। पुरूषार्थ बिगर प्रालब्ध मिल न सके। पुरूषार्थ करने बिगर पानी भी नहीं पी सकते। कर्म संन्यास अक्षर रांग है। बाप कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में भी रहो। बाबा सबको यहाँ तो नहीं बिठा देंगे। शरणागति गाई हुई है। भट्ठी बननी थी क्योंकि उन्हों को तंग किया गया। तो आकर बाप के पास शरण ली। शरण तो देनी पड़े ना। शरण एक परमपिता परमात्मा की ही ली जाती है। गुरू आदि की शरण नहीं ली जाती है। जब बहुत दु:ख होता है तो तंग होकर आकर शरण लेते हैं। गुरूओं के पास कोई तंग होकर नहीं जाते हैं। वहाँ तो ऐसे ही जाते हैं। तुम रावण से बहुत तंग हुए हो। अब राम आया है रावण से छुड़ाने। वह तुमको शरण में लेते हैं। तुम कहते हो बाबा हम आपके हैं। गृहस्थ व्यवहार में रहते भी शरण शिवबाबा की ली है। बाबा हम आपकी ही मत पर चलेंगे।बाप श्रीमत देते हैं - गृहस्थ व्यवहार में रहते मुझे याद करो और सबकी याद छोड़ दो। मेरी याद से ही विकर्म विनाश होंगे। सिर्फ शरण लेने की बात नहीं है। सारा मदार याद पर है। बाप के सिवाए ऐसा कोई समझा न सके। बच्चे समझते हैं बाप के पास इतने लाखों कहाँ आकर रहेंगे। प्रजा भी अपने-अपने घर रहती है, राजा के पास थोड़ेही रहती है। तो तुमको सिर्फ कहा जाता है एक को याद करो। बाबा हम आपके हैं। आप ही सेकेण्ड में सद्गति का वर्सा देने वाले हो। राजयोग सिखलाकर राजाओं का राजा बनाते हो। बाप कहते हैं जिन्होंने कल्प पहले बाप से वर्सा लिया है वही आकर लेंगे। पिछाड़ी तक सबको आकर बाप से वर्सा लेना है। अभी तुम पतित होने के कारण अपने को देवता कहला नहीं सकते। बाप सब बातें समझाते हैं। कहते हैं मेरे नूरे रत्न, जब तुम सतयुग में आते हो तो तुम वन-वन से राजाई करते हो। औरों की तो जब वृद्धि हो, लाखों की अन्दाज में हों तब राजाई चले। तुमको लड़ने करने की दरकार नहीं। तुम योगबल से बाप से वर्सा लेते हो। चुप रहकर सिर्फ बाप को और वर्से को याद करो। पिछाड़ी में तुम चुप रहेंगे फिर यह चित्र आदि काम नहीं आयेंगे। तुम होशियार हो जायेंगे। बाप कहते हैं - सिर्फ मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। अब करो, न करो तुम्हारी मर्जी। कोई देहधारी के नाम रूप में नहीं फँसना है। बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी। तुम मेरे पास आ जायेंगे। फुल पास होने वाले को राजाई मिलेगी। सारा मदार याद की यात्रा पर है। आगे चल नये भी बहुत आगे निकलते जायेंगे। अच्छा!मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।धारणा के लिए मुख्य सार:-1) किसी देहधारी के नाम रूप में नहीं फंसना है। एक बाप की श्रीमत पर चलकर सद्गति को पाना है। चुप रहना है।2) भविष्य 21 जन्मों के लिए अच्छी रीति पढ़ना और दूसरों को पढ़ाना है। पढ़ने और पढ़ाने से ही नाम बाला होगा।वरदान:-अपने स्व-स्वरूप और स्वदेश के स्वमान में स्थित रहने वाले मास्टर लिबरेटर भव llआजकल के वातावरण में हर आत्मा किसी न किसी बात के बंधन वश है। कोई तन के दु:ख के वशीभूत है, कोई सम्बन्ध के, कोई इच्छाओं के, कोई अपने दुखदाई संस्कार-स्वभाव के, कोई प्रभू प्राप्ति न मिलने के कारण, पुकारने चिल्लाने के दु:ख के वशीभूत...ऐसी दुख-अशान्ति के वश आत्मायें अपने को लिबरेट करना चाहती हैं तो उन्हें दु:खमय जीवन से लिबरेट करने के लिए अपने स्व-स्वरूप और स्वदेश के स्वमान में स्थित रह, रहमदिल बन मास्टर लिबरेटर बनो।स्लोगन:-सदा अचल अडोल रहने के लिए एकरस स्थिति के आसन पर विराजमान रहो llOm Shanti & Thanks 2u All🙏💐🕉🕉💐🙏

08-03-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन ll🕉💚🌹💐🌿🌺🕉❤🕉🌺 🌿💐🌹💚🕉"मीठे बच्चे - श्रीमत पर कल्याणकारी बनना है, सबको सुख का रास्ता बताना है'' llप्रश्नः-किसी भी प्रकार की ग़फलत होने का मुख्य कारण क्या है?उत्तर:-देह-अभिमान। देह-अभिमान के कारण ही बच्चों से बहुत भूलें होती हैं। वह सर्विस भी नहीं कर सकते हैं। उनसे ऐसा कर्म होता है जो सब ऩफरत करते हैं। बाबा कहते - बच्चे आत्म-अभिमानी बनो। कोई भी अकर्तव्य नहीं करो। क्षीरखण्ड हो सर्विस के अच्छे-अच्छे प्लैन बनाओ। मुरली सुनकर धारण करो, इसमें बेपरवाह नहीं बनो।गीत:-छोड़ भी दे आकाश सिंहासन.......ओम् शान्ति। रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप की श्रीमत। अभी हम सब सेन्टर्स के बच्चों से बात कर रहे हैं। अब जो त्रिमूर्ति, गोला, झाड़, सीढ़ी, लक्ष्मी-नारायण का चित्र और कृष्ण का चित्र - यह 6 चित्र हैं मुख्य। यह जैसे पूरी प्रदर्शनी है, इनमें सब सार आ जाता है। जैसे नाटक के पर्दे बनाये जाते हैं, एडवरटाइज़ के लिए। वह कभी बरसात आदि में खराब नहीं होते हैं। ऐसे यह मुख्य चित्र बनाने चाहिए। बच्चों को श्रीमत मिलती है रूहानी सर्विस बढ़ाने लिए, भारतवासी मनुष्यों का कल्याण करने के लिए। गाते भी हैं - कल्याणकारी बेहद का बाप है तो जरूर कोई अकल्याणकारी भी होगा। जिस कारण बाप को आकर फिर कल्याण करना पड़ता है। रूहानी बच्चे जिनका कल्याण हो रहा है, वह इन बातों को समझ सकते हैं। जैसे हमारा कल्याण हुआ है तो हम फिर औरों का भी कल्याण करें। जैसे बाप को भी चिन्तन चलता है कि कैसे कल्याण करें। युक्तियाँ बता रहे हैं। 6 बाई 9 साइज़ के शीट पर यह चित्र बनाने चाहिए। देहली जैसे शहरों में अक्सर करके बहुत मनुष्य आते हैं। जहाँ गवर्नमेन्ट की एसेम्बली आदि होती है। पोट्रियेट तरफ बहुत लोग आते हैं, वहाँ यह चित्र रखने चाहिए। बहुतों का कल्याण करने अर्थ बाप मत देते हैं। ऐसे टीन पर बहुत चित्र बन सकते हैं। देही-अभिमानी बन बाप की सर्विस में लगना है। बाप राय देते हैं - यह चित्र हिन्दी और अंग्रेजी में बनाने चाहिए। यह 6 चित्र मुख्य जगह पर लग जायें। अगर ऐसे मुख्य स्थानों पर लग जायें तो तुम्हारे पास सैकड़ों समझने के लिए आयेंगे। परन्तु बच्चों में देह-अभिमान होने के कारण बहुत भूलें होती हैं। ऐसे कोई मत समझे कि मैं पक्का देही-अभिमानी हूँ। गलतियाँ तो बहुत होती हैं, सच नहीं बतलाते हैं। समझाया जाता है, ऐसा कोई कर्तव्य नहीं करो जो कोई खराब नफरत लाये कि इनमें देह-अभिमान है। तुम सदैव युद्ध के मैदान में हो। और जगह तो 10-20 वर्ष तक युद्ध चलती है। तुम्हारी माया से अन्त तक युद्ध चलनी है। परन्तु है गुप्त, जिसको कोई जान नहीं सकते। गीता में जो महाभारत लड़ाई है, वह जिस्मानी दिखाई है। परन्तु है यह रूहानी। रूहानी युद्ध है पाण्डवों की। वह जिस्मानी युद्ध है जो परमपिता परमात्मा से विप्रीत बुद्धि हैं। तुम ब्राह्मण कुल भूषणों की है प्रीत बुद्धि। तुमने और संग तोड़ एक बाप के संग जोड़ी है। बहुत बार देह-अभिमान आने कारण भूल जाते हैं फिर अपना ही पद भ्रष्ट कर लेते हैं। फिर अन्त में बहुत पछताना पड़ेगा। कुछ कर नहीं सकेंगे। यह कल्प-कल्प की बाजी है। इस समय कोई अकर्तव्य कार्य करते हैं तो कल्प-कल्पान्तर के लिए पद भ्रष्ट हो जाता है। बड़ा घाटा पड़ जाता है।बाप कहते हैं - आगे तुम 100 प्रतिशत घाटे में थे। अब बाप 100 प्रतिशत फायदे में ले जाते हैं। तो श्रीमत पर चलना है। हर एक बच्चे को कल्याणकारी बनना है। सबको सुख का रास्ता बताना है। सुख है ही स्वर्ग में, नर्क में है दु:ख। क्यों? यह है विशश दुनिया, वह वाइसलेस थी, अब विशश दुनिया बनी है, फिर बाप वाइसलेस बनाते हैं। इन बातों को दुनिया में कोई नहीं जानते हैं। तो मुख्य यह चित्र परमानेन्ट स्थानों पर लगने चाहिए। पहला नम्बर देहली मुख्य, सेकण्ड बॉम्बे और कलकत्ता, कोई को ऑर्डर देने से शीट पर बना सकते हैं। आगरा में भी घूमने के लिए बहुत जाते हैं। बच्चे सर्विस तो बहुत अच्छी कर रहे हैं और भी कुछ कर्तव्य करके दिखायें। यह चित्र बनाने में कोई तकलीफ नहीं हैं। सिर्फ एक्सपीरियन्स (अनुभव) चाहिए। अच्छे बड़े चित्र हों जो कोई दूर से भी पढ़ सके। गोला भी बड़ा बन सकता है। सेफ्टी से रखना पड़े, जो कोई खराब न करे। यज्ञ में असुरों के विघ्न पड़ते हैं क्योंकि यह हैं नई बातें। यह दुकान निकाल बैठे हैं। आखरीन में सब समझ जायेंगे कि हम उतरते आये हैं, जरूर कुछ खामी है। बाप है ही कल्याणकारी। वही बता सकते हैं कि भारत का कल्याण कैसे और कब हुआ है। भारत को तमोप्रधान कौन बनाते हैं फिर सतोप्रधान कौन बनाते हैं, यह चक्र कैसे फिरता है, कोई नहीं जानते हैं। संगमयुग को भी नहीं जानते हैं। समझते हैं भगवान युगे-युगे आता है। कभी कहते हैं भगवान तो नाम रूप से न्यारा है। भारत प्राचीन स्वर्ग था। यह भी कहते हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले देवताओं का राज्य था फिर कल्प की आयु लम्बी दे दी है, तो बच्चों को देही-अभिमानी बनने की बड़ी मेहनत करनी है। आधाकल्प सतयुग और त्रेता में तुम आत्म-अभिमानी थे परन्तु परमात्म-अभिमानी नहीं थे। यहाँ तो फिर तुम देह-अभिमानी बन पड़े हो। फिर देही-अभिमानी बनना पड़े। यात्रा अक्षर भी है, परन्तु अर्थ नहीं समझते हैं। मनमनाभव का अर्थ है रूहानी यात्रा पर रहो। हे आत्मायें मुझ बाप को याद करो। कृष्ण तो ऐसे कह न सके। वह गीता का भगवान कैसे हो सकता है। उन पर कोई कलंक लगा न सके। यह भी बाप ने समझाया है सीढ़ी जब उतरे हैं तो आधाकल्प काम चिता पर बैठ काले हो जाते हैं। अब है ही आइरन एज। उनकी सम्प्रदाय काली ही होगी। परन्तु सबका सांवरा रूप कैसे बनायें। चित्र आदि जो भी बनाये हैं सब बेसमझी के। उसको ही श्याम फिर सुन्दर कहना... यह कैसे हो सकता है। उनको कहा ही जाता है अन्धश्रद्धा से गुड़ियों की पूजा करने वाले। गुड़ियों का नाम रूप ऑक्यूपेशन आदि हो नहीं सकता। तुम भी पहले गुड़ियों की पूजा करते थे ना। अर्थ कुछ भी नहीं समझते थे। तो बाबा ने समझाया है - प्रदर्शनी के चित्र मुख्य बन जायें। कमेटी बने जो प्रदर्शनी पिछाड़ी प्रदर्शनी करती रहे। बन्धन मुक्त तो बहुत हैं। कन्यायें बन्धनमुक्त हैं। वानप्रस्थी भी बन्धनमुक्त हैं। तो बच्चों को डायरेक्शन अमल में लाना चाहिए। यह है गुप्त पाण्डव। कोई को भी पहचान में नहीं आ सकते। बाप भी गुप्त, ज्ञान भी गुप्त। वहाँ मनुष्य, मनुष्य को ज्ञान देते हैं। यहाँ परमात्मा बाप ज्ञान देते हैं आत्माओं को। परन्तु यह नहीं समझते कि आत्मा ज्ञान लेती है क्योंकि वह आत्मा को निर्लेप कह देते हैं। वास्तव में आत्मा ही सब कुछ करती है। पुनर्जन्म आत्मा लेती है, कर्मों के अनुसार। बाप यह सब प्वांइट्स अच्छी रीति बुद्धि में डालते हैं। सब सेन्टर्स में नम्बरवार देही-अभिमानी हैं। जो अच्छी रीति समझते और फिर समझाते हैं। देह-अभिमानी न कुछ समझते न समझा सकते हैं। मैं कुछ समझती नहीं हूँ, यह भी देह-अभिमान है। अरे तुम तो आत्मा हो। बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं। दिमाग ही खुल जाना चाहिए। तकदीर में नहीं है तो खुलता ही नहीं। तो बाप तदबीर कराते हैं परन्तु तकदीर में नहीं है तो पुरूषार्थ भी नहीं करते हैं। है बहुत सहज, अल्फ और बे समझना है। बेहद के बाप से वर्सा मिलता है। तुम भारतवासी सब गॉड गॉडेज थे। प्रजा भी ऐसी थी। इस समय पतित बन पड़े हैं। कितना समझाया जाता है। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। बाप कहते हैं बच्चे हमने तुमको गॉड गॉडेज बनाया। तुम अब क्या बन गये हो। यह है कुम्भी पाक नर्क। विषय वैतरणी नदी में मनुष्य जानवर पंछी आदि सब एक समान दिखाते हैं। यहाँ तो मनुष्य और ही खराब हो पड़े हैं। मनुष्यों में क्रोध भी कितना है। लाखों को मार देते हैं। भारत जो वेश्यालय बना है फिर इनको शिवालय शिवबाबा ही बनाते हैं। बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं। डायरेक्शन देते हैं ऐसे-ऐसे करो। चित्र बनाओ। फिर जो बड़े-बड़े मनुष्य हैं उन्हों को समझाओ। यह प्राचीन योग, प्राचीन नॉलेज सबको सुननी चाहिए। हाल लेकर प्रदर्शनी लगानी है। उन्हों को तो पैसे आदि कुछ नहीं लेने चाहिए। फिर भी जो ठीक समझो तो किराया लो। चित्र तो आप देखो, चित्र देखेंगे तो फिर झट पैसे वापिस कर देंगे। सिर्फ युक्ति से समझाना चाहिए। अथॉरिटी तो हाथ में रहती है ना। चाहे तो सब कुछ कर सकते हैं। वह थोड़ेही समझते हैं, विनाश काले विपरीत बुद्धि तो विनाश को प्राप्त हो गये। पाण्डवों ने तो भविष्य में पद पाया। सो भी राज्य पीछे भविष्य में होगा। अभी थोड़ेही होगा। यह मकान आदि सब टूट जायेंगे। अब बाप ने समझाया है प्रदर्शनी भी करनी चाहिए। खूब अच्छी तरह से कार्ड पर निमन्त्रण देना है। तुम पहले बड़ों को समझाओ तो मदद भी करेंगे। बाकी सोये नहीं रहना है। कई बच्चे देह-अभिमान में सोये रहते हैं। कमेटी बनाए क्षीरखण्ड हो प्लैन बनाना चाहिए। बाकी मुरली नहीं पढ़ेंगे तो धारणा कैसे होगी। ऐसे बहुत लागर्ज (बेपरवाह) हैं। अच्छा!मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।धारणा के लिए मुख्य सार:-1) देही-अभिमानी बनकर सर्विस की भिन्न-भिन्न युक्तियाँ निकालनी हैं। आपस में क्षीरखण्ड होकर सर्विस करनी है। जैसे बाप कल्याणकारी है ऐसे कल्याणकारी बनना है।2) प्रीत बुद्धि बन और संग तोड़ एक संग जोड़ना है। कोई ऐसा अकर्तव्य नहीं करना है जो कल्प-कल्पान्तर के लिए नुकसान हो जाए।वरदान:-सदा उमंग, उत्साह में रह चढ़ती कला का अनुभव करने वाले महावीर भव llमहावीर बच्चे हर सेकेण्ड, हर संकल्प में चढ़ती कला का अनुभव करते हैं। उनकी चढ़ती कला सर्व के प्रति भला अर्थात् कल्याण करने के निमित्त बना देती है। उन्हें रूकने वा थकने की अनुभूति नहीं होती, वे सदा अथक, सदा उमंग-उत्साह में रहने वाले होते हैं। रूकने वाले को घोड़ेसवार, थकने वाले को प्यादा और जो सदा चलने वाले हैं उनको महावीर कहा जाता है। उनकी माया के किसी भी रूप में आंख नहीं डूबेगी।स्लोगन:-शक्तिशाली वह है जो अपनी साधना द्वारा जब चाहे शीतल स्वरूप और जब चाहे ज्वाला रूप धारण कर ले।मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य -आत्मा कभी परमात्मा का अंश नहीं हो सकती है:- बहुत मनुष्य ऐसे समझते हैं, हम आत्मायें परमात्मा की अंश हैं, अब अंश तो कहते हैं टुकडे को। एक तरफ कहते हैं परमात्मा अनादि और अविनाशी है, तो ऐसे अविनाशी परमात्मा को टुकडे में कैसे लाते हैं! अब परमात्मा कट कैसे हो सकता है, आत्मा ही अज़र अमर है, तो अवश्य आत्मा को पैदा करने वाला अमर ठहरा। ऐसे अमर परमात्मा को टुकडे में ले आना गोया परमात्मा को भी विनाशी कह दिया लेकिन हम तो जानते हैं कि हम आत्मा परमात्मा की संतान हैं। तो हम उसके वंशज ठहरे अर्थात् बच्चे ठहरे वो फिर अंश कैसे हो सकते हैं? इसलिए परमात्मा के महावाक्य हैं कि बच्चे, मैं खुद तो इमार्टल हूँ, जागती ज्योत हूँ, मैं दीवा हूँ, मैं कभी बुझता नहीं हूँ और सभी मनुष्य आत्माओं का दीपक जगता भी है तो बुझता भी है। उन सबको जगाने वाला फिर मैं हूँ क्योंकि लाइट और माइट देने वाला मैं हूँ, बाकी इतना जरुर है मुझ परमात्मा की लाइट और आत्मा की लाइट दोनों में फर्क अवश्य है। जैसे बल्ब होता है कोई ज्यादा पॉवर वाला, कोई कम पॉवर वाला होता है, वैसे आत्मा भी कोई ज्यादा पॉवर वाली कोई कम पॉवर वाली है। बाकी परमात्मा की पॉवर कोई से कम ज्यादा नहीं होती है तभी तो परमात्मा के लिये कहते हैं। परमात्मा सर्वशक्तिवान अर्थात् सर्व आत्माओं से उसमें शक्ति ज्यादा है। वही सृष्टि के अन्त में आता है, अगर कोई समझे परमात्मा सृष्टि के बीच में आता है अर्थात् युगे युगे आता है तो मानो परमात्मा बीच में आ गया तो फिर परमात्मा सर्व से श्रेष्ठ कैसे हुआ। अगर कोई कहे परमात्मा युगे युगे आता है, तो क्या ऐसा समझें कि परमात्मा घड़ी घड़ी अपनी शक्ति चलाता है। ऐसे सर्वशक्तिवान की शक्ति इतने तक है, अगर बीच में ही अपनी शक्ति से सबको शक्ति अथवा सद्गति दे देवे तो फिर उनकी शक्ति कायम होनी चाहिए फिर दुर्गति को क्यों प्राप्त करते हो? तो इससे साबित (सिद्ध) है कि परमात्मा युगे युगे नहीं आता है अर्थात् बीच बीच में नहीं आता है। वो आता है कल्प के अन्त समय और एक ही बार अपनी शक्ति से सर्व की सद्गति करता है। जब परमात्मा ने इतनी बड़ी सर्विस की है तब उनका यादगार बड़ा शिवलिंग बनाया है और इतनी पूजा करते हैं, तो अवश्य परमात्मा सत् भी है, चैतन्य भी है और आनंद स्वरूप भी है। अच्छा - ओम् शान्ति।Om Shanti & Thanks 2u All🙏💐🕉🕉💐🙏

10-03-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन ll🕉💚🌹💐🌿🌺🕉❤🕉🌺 🌿💐🌹💚🕉"मीठे बच्चे - तुम्हें गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र बनना है, एक बाप की मत पर चलना है, कोई भी डिस-सर्विस नहीं करनी है।प्रश्नः-किन बच्चों को माया ज़ोर से अपना पंजा मारती है? बड़ी मंजिल कौन सी है?उत्तर:-जो बच्चे देह-अभिमान में रहते हैं उन्हें माया जोर से पंजा मार देती है, फिर नाम-रूप में फंस पड़ते हैं। देह-अभिमान आया और थप्पड़ लगा, इससे पद भ्रष्ट हो जाता है। देह-अभिमान तोड़ना यही बड़ी मंजिल है। बाबा कहते बच्चे देही-अभिमानी बनो। जैसे बाप ओबीडियन्ट सर्वेन्ट है, कितना निरंहकारी है, ऐसे निरंहकारी बनो, कोई भी अंहकार न हो।गीत:-न वह हमसे जुदा होंगे.......ओम् शान्ति। बच्चों ने गीत सुना। बच्चे कहते हैं हम बाबा के थे और बाबा हमारा था, जब मूलवतन में थे। तुम बच्चों को ज्ञान तो अच्छी रीति मिला है। तुम जानते हो हमने चक्र लगाया है। अब फिर हम उनके बने हैं। वह आया है राजयोग सिखाकर स्वर्ग का मालिक बनाने। कल्प पहले मुआफिक फिर आया है। अब बाप कहते हैं हे बच्चे, तो बच्चे होकर यहाँ मधुबन में नहीं बैठ जाना है। तुम अपने गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र रहो। कमल का फूल पानी में रहता है परन्तु पानी से ऊपर रहता है। उन पर पानी लगता नहीं है। बाप कहते हैं तुमको रहना घर में ही है सिर्फ पवित्र बनना है। यह तुम्हारा बहुत जन्मों के अन्त का जन्म है। जो भी मनुष्य-मात्र हैं उन सबको पावन बनाने मैं आया हूँ। पतित-पावन सर्व का सद्गति दाता एक ही है। उनके सिवाए पावन कोई बना नहीं सकता। तुम जानते हो आधाकल्प से हम सीढ़ी उतरते आये हैं। 84 जन्म तुमको जरूर पूरे करने हैं और 84 का चक्र पूरा कर जब फिर जड़जड़ीभूत अवस्था को पाते हैं तब मुझे आना पड़ता है। बीच में और कोई पतित से पावन बना नहीं सकता। कोई भी न बाप को, न रचना को जानते हैं। ड्रामा अनुसार सबको कलियुग में पतित तमोप्रधान बनना ही है। बाप आकर सबको पावन बनाए शान्तिधाम ले जाते हैं। और तुम बाप से सुखधाम का वर्सा पाते हो। सतयुग में कोई दु:ख होता नहीं है। अभी तुम जीते जी बाप के बने हो। बाप कहते हैं तुमको गृहस्थ व्यवहार में रहना है। बाबा कभी किसको कह नहीं सकते कि तुम घरबार छोड़ो। नहीं। गृहस्थ व्यवहार में रहते सिर्फ अन्तिम जन्म पवित्र बनना है। बाबा ने कभी कहा है क्या कि तुम घरबार छोड़ो। नहीं। तुमने ईश्वरीय सेवा अर्थ आपेही छोड़ा है। कई बच्चे हैं घर गृहस्थ में रहते भी ईश्वरीय सर्विस करते हैं। छुड़ाया नहीं जाता है। बाबा किसको भी छुड़ाते नहीं हैं। तुम तो आपेही सर्विस पर निकले हो। बाबा ने किसको छुड़ाया नहीं है। तुम्हारे लौकिक बाप शादी के लिए कहते हैं। तुम नहीं करते हो क्योंकि तुम जानते हो कि अब मृत्युलोक का अन्त है। शादी बरबादी ही होगी फिर हम पावन कैसे बनेंगे। हम क्यों न भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में लग जाएं। बच्चे चाहते हैं कि रामराज्य हो। पुकारते हैं ना - हे पतित-पावन सीताराम। हे राम आकर भारत को स्वर्ग बनाओ। कहते भी हैं परन्तु समझते कुछ नहीं हैं। सन्यासी लोग कहते हैं इस समय का सुख काग विष्टा के समान है। बरोबर है भी ऐसे। यहाँ सुख तो है ही नहीं। कहते रहते हैं परन्तु किसकी बुद्धि में नहीं है। बाप कोई दु:ख के लिए यह सृष्टि थोड़ेही रचते हैं। बाप कहते हैं क्या तुम भूल गये हो - स्वर्ग में दु:ख का नाम निशान नहीं रहता है। वहाँ कंस आदि कहाँ से आये।अब बेहद का बाप जो सुनाते हैं उनकी मत पर चलना है। अपनी मनमत पर चलने से बरबादी कर देते हैं। आश्चर्यवत सुनन्ती, कथन्ती, भागन्ती या ट्रेटर बनन्ती। कितनी जाकर डिससर्विस करते हैं। उनका फिर क्या होगा? हीरे जैसा जीवन बनाने बदले कौड़ी मिसल बना देते हैं। पिछाड़ी में तुमको सब अपना साक्षात्कार होगा। ऐसी चलन के कारण यह पद पाया। यहाँ तो तुमको कोई भी पाप नहीं करना है क्योंकि तुम पुण्य आत्मा बनते हो। पाप का फिर सौगुणा दण्ड हो जायेगा। भल स्वर्ग में तो आयेंगे परन्तु बिल्कुल ही कम पद। यहाँ तुम राजयोग सीखने आये हो फिर प्रजा बन जाते हैं। मर्तबे में तो बहुत फर्क है ना। यह भी समझाया है - यज्ञ में कुछ देते हैं फिर वापिस ले जाते हैं तो चण्डाल का जन्म मिलता है। कई बच्चे फिर चलन भी ऐसी चलते हैं, जो पद कम हो जाता है।बाबा समझाते हैं ऐसे कर्म नहीं करो जो राजा रानी के बदले प्रजा में भी कम पद मिले। यज्ञ में स्वाहा होकर भागन्ती होते तो क्या जाकर बनेंगे। यह भी बाप समझाते हैं बच्चे, कोई भी विकर्म नहीं करो, नहीं तो सौगुणा सजायें मिलेंगी। फिर क्यों नुकसान करना चाहिए। यहाँ रहने वालों से भी जो घर गृहस्थ में रहते हैं, सर्विस में रहते हैं वे बहुत ऊंच पद पाते हैं। ऐसे बहुत गरीब हैं, 8 आना वा रूपया भेज देते हैं और जो भल यहाँ हजार भी देवें तो भी गरीब का ऊंच पद हो जाता है क्योंकि वह कोई पाप कर्म नहीं करते हैं। पाप करने से सौगुणा बन जायेगा। तुमको पुण्य आत्मा बन सबको सुख देना है। दु:ख दिया तो फिर ट्रिब्युनल बैठती है। साक्षात्कार होता है कि तुमने यह-यह किया, अब खाओ सजा। पद भी भ्रष्ट हो जायेगा। सुनते भी रहते हैं फिर भी कई बच्चे उल्टी चलन चलते रहते हैं। बाप कहते हैं हमेशा क्षीरखण्ड होकर रहो। अगर लूनपानी होकर रहते हैं तो बहुत डिससर्विस करते हैं। कोई के नाम रूप में फंस पड़ते हैं तो यह भी बहुत पाप हो जाता है। माया जैसे एक चूहा है, फूंक भी देती, काटती भी रहती, खून भी निकल आता, पता भी नहीं पड़ता। माया भी ब्लड निकाल देती है। ऐसे कर्म करवा देती जो पता भी नहीं पड़ता। 5 विकार एकदम सिर मूड़ लेते हैं। बाबा सावधानी तो देंगे ना। ऐसा न हो जो फिर ट्रिब्युनल के सामने कहें कि हमको सावधान थोड़ेही किया। तुम जानते हो ईश्वर पढ़ाते हैं। खुद कितना निरहंकारी है। कहते हैं हम ओबीडियन्ट सर्वेन्ट हैं। कोई-कोई बच्चों में कितना अहंकार रहता है। बाबा का बनकर फिर ऐसे-ऐसे कर्म करते हैं जो बात मत पूछो। इससे तो जो बाहर गृहस्थ व्यवहार में रहते हैं वह बहुत ऊंच चले जाते हैं। देह-अभिमान आते ही माया जोर से पंजा मार देती है। देह-अभिमान तोड़ना बड़ी मंजिल है। देह-अभिमान आया और थप्पड़ लगा। तो देह-अभिमान में आना ही क्यों चाहिए जो पद भ्रष्ट हो जाए। ऐसा न हो वहाँ जाकर झाड़ू लगाना पड़े। अब अगर बाबा से कोई पूछे तो बाबा बता सकते हैं। खुद भी समझ सकते हैं कि मैं कितनी सेवा करता हूँ। हमने कितनों को सुख दिया है। बाबा, मम्मा सबको सुख देते हैं। कितना खुश होते हैं। बाबा बॉम्बे में कितनी ज्ञान की डांस करते थे, चात्रक बहुत थे ना। बाप कहते हैं बहुत चात्रक के सामने ज्ञान की डांस करता हूँ तो अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स निकलती हैं। चात्रक खींचते हैं। तुमको भी ऐसा बनना है तब तो फालो करेंगे। श्रीमत पर चलना है। अपनी मत पर चलकर बदनामी कर देते हैं तो बहुत नुकसान हो पड़ता है। अभी बाप तुमको समझदार बनाते हैं। भारत स्वर्ग था ना। अब ऐसा कोई थोड़ेही समझता है। भारत जैसा पावन कोई देश नहीं। कहते हैं लेकिन समझते नहीं हैं कि हम भारतवासी स्वर्गवासी थे, वहाँ अथाह सुख था। गुरूनानक ने भगवान की महिमा गाई है कि वह आकर मूत पलीती कपड़े धोते हैं। जिसकी ही महिमा है एकोअंकार.... शिवलिंग के बदले अकालतख्त नाम रख दिया है। अब बाप तुमको सारी सृष्टि का राज़ समझाते हैं। बच्चे एक भी पाप नहीं करना, नहीं तो सौगुणा हो जायेगा। मेरी निंदा करवाई तो पद भ्रष्ट हो जायेगा। बहुत सम्भाल करनी है। अपना जीवन हीरे जैसा बनाओ। नहीं तो बहुत पछतायेंगे। जो कुछ उल्टा किया है वह अन्दर में खाता रहेगा। क्या कल्प-कल्प हम ऐसे करेंगे जिससे नींच पद पायेंगे। बाप कहते हैं मात-पिता को फालो करना चाहते हो तो सच्चाई से सर्विस करो। माया तो कहाँ न कहाँ से घुसकर आयेगी। सेन्टर्स की हेड्स को बिल्कुल निरहंकारी होकर रहना है। बाप देखो कितना निरहंकारी है। कई बच्चे दूसरों से सर्विस लेते हैं। बाप कितना निरहंकारी है। कभी किसी पर गुस्सा नहीं करते। बच्चे अगर नाफरमानबरदार हों तो बाप उनको समझा तो सकते हैं। तुम क्या करते हो, बेहद का बाप ही जानते हैं। सब बच्चे एक समान सपूत नहीं होते, कपूत भी होते हैं। बाबा समझानी देते हैं। ढेर बच्चे हैं। यह तो वृद्धि को पाते हजारों की अन्दाज में हो जायेंगे। तो बाप बच्चों को सावधानी भी देते हैं, कोई गफलत नहीं करो। यहाँ पतित से पावन बनने आये हो तो कोई भी पतित काम नहीं करो। न नाम रूप में फंसना है, न देह-अभिमान में आना है। देही-अभिमानी हो बाप को याद करते रहो। श्रीमत पर चलते रहो। माया बड़ी प्रबल है। बाबा सब कुछ समझा देते हैं। अच्छा!मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।धारणा के लिए मुख्य सार:-1) बाप समान निरहंकारी बनना है। किसी से सेवा नहीं लेनी है। किसी को दु:ख नहीं देना है। ऐसा कोई पाप कर्म न हो, जिसकी सजा खानी पड़े। आपस में क्षीरखण्ड होकर रहना है।2) एक बाप की श्रीमत पर चलना है, अपनी मत पर नहीं।वरदान:-दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा विश्व की देख-रेख करने वाले मास्टर रचयिता भव llजिसकी बुद्धि जितनी दिव्य है, दिव्यता के आधार पर उतनी स्पीड तेज है। तो दिव्य बुद्धि के विमान द्वारा एक सेकेण्ड में स्पष्ट रूप से विश्व परिक्रमा कर सर्व आत्माओं की देख रेख करो। उन्हें सन्तुष्ट करो। जितना आप चक्रवर्ती बनकर चक्र लगायेंगे उतना चारों ओर का आवाज निकलेगा कि हम लोगों ने ज्योति देखी, चलते हुए फरिश्ते देखे। इसके लिए स्वयं कल्याणी के साथ विश्व कल्याणी मास्टर रचता बनो।स्लोगन:-मास्टर दाता बन अनेक आत्माओं को प्राप्तियों का अनुभव कराना ही ब्रह्मा बाप समान बनना है।मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य1) ईश्वर सर्वव्यापी नहीं है, उसका प्रमाण क्या है? शिरोमणी गीता में जो भगवानुवाच है बच्चे, जहाँ जीत है वहाँ मैं हूँ, यह भी परमात्मा के महावाक्य हैं। पहाड़ों में जो हिमालय पहाड़ है उसमें मैं हूँ और सांपों में काली नाग मैं हूँ इसलिए पर्वत में ऊंचा पर्वत कैलाश पर्वत दिखाते हैं और सांपों में काली नाग, तो इससे सिद्ध है कि परमात्मा अगर सर्व सांपों में केवल काले नाग में है, तो सर्व सांपों में उसका वास नहीं हुआ ना। अगर परमात्मा ऊंचे ते ऊंचे पहाड़ में है गोया नीचे पहाड़ों में नहीं है और फिर कहते हैं जहाँ जीत वहाँ मेरा जन्म, गोया हार में नहीं हूँ। अब यह बातें सिद्ध करती हैं कि परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है। एक तरफ ऐसे भी कहते हैं और दूसरे तरफ ऐसे भी कहते हैं कि परमात्मा अनेक रूप में आते हैं, जैसे परमात्मा को 24 अवतारों में दिखाया है, कहते हैं कच्छ मच्छ आदि सब रूप परमात्मा के हैं। अब यह है उन्हों का मिथ्या ज्ञान, ऐसे ही परमात्मा को सर्वत्र समझ बैठे हैं जबकि इस समय कलियुग में सर्वत्र माया ही व्यापक है तो फिर परमात्मा व्यापक कैसे ठहरा? गीता में भी कहते हैं कि मैं फिर माया में व्यापक नहीं हूँ, इससे सिद्ध है कि परमात्मा सर्वत्र नहीं है।2) निराकारी दुनिया - आत्मा और परमात्मा के रहने का स्थान:- अब यह तो हम जानते हैं कि जब हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो निराकार का अर्थ यह नहीं कि उनका कोई आकार नहीं है, जैसे हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो इसका मतलब है जरुर कोई दुनिया है, परन्तु उसका स्थूल सृष्टि मुआफिक आकार नहीं है, ऐसे परमात्मा निराकार है लेकिन उनका अपना सूक्ष्म रूप अवश्य है। तो हम आत्मा और परमात्मा का धाम निराकारी दुनिया है। तो जब हम दुनिया अक्षर कहते हैं, तो इससे सिद्ध है वो दुनिया है और वहाँ रहता है तभी तो दुनिया नाम पड़ा, अब दुनियावी लोग तो समझते हैं परमात्मा का रूप भी अखण्ड ज्योति तत्व है, वो हुआ परमात्मा के रहने का ठिकाना, जिसको रिटायर्ड होम कहते हैं। तो हम परमात्मा के घर को परमात्मा नहीं कह सकते हैं। अब दूसरी है आकारी दुनिया, जहाँ ब्रह्मा विष्णु शंकर देवतायें आकारी रूप में रहते हैं और यह है साकारी दुनिया, जिनके दो भाग है - एक है निर्विकारी स्वर्ग की दुनिया जहाँ आधाकल्प सर्वदा सुख है, पवित्रता और शान्ति है। दूसरी है विकारी कलियुगी दु:ख और अशान्ति की दुनिया। अब वो दो दुनियायें क्यों कहते हैं? क्योंकि यह जो मनुष्य कहते हैं स्वर्ग और नर्क दोनों परमात्मा की रची हुई दुनिया है, इस पर परमात्मा के महावाक्य है बच्चे, मैंने कोई दु:ख की दुनिया नहीं रची जो मैंने दुनिया रची है वो सुख की रची है। अब यह जो दु:ख और अशान्ति की दुनिया है वो मनुष्य आत्मायें अपने आपको और मुझ परमात्मा को भूलने के कारण यह हिसाब किताब भोग रहे हैं। बाकी ऐसे नहीं जिस समय सुख और पुण्य की दुनिया है वहाँ कोई सृष्टि नहीं चलती। हाँ, अवश्य जब हम कहते हैं कि वहाँ देवताओं का निवास स्थान था, तो वहाँ सब प्रवृत्ति चलती थी परन्तु इतना जरुर था वहाँ विकारी पैदाइस नहीं थी जिस कारण इतना कर्मबन्धन नहीं था। उस दुनिया को कर्मबन्धन रहित स्वर्ग की दुनिया कहते हैं। तो एक है निराकारी दुनिया, दूसरी है आकारी दुनिया, तीसरी है साकारी दुनिया। अच्छा - ओम् शान्ति।Om Shanti & Thanks 2u All🙏💐🕉🕉💐🙏

‼️💖💖ॐ श्री लक्ष्मी नारायण नमो नमः 💖💖‼️🌳🌳🌳🌳🌳🌳🚩🚩🚩🚩🚩विजया एकादशी 🚩🚩🚩🚩🚩 By समाजसेवी वनिता कासनिया पंजाब: भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. इस व्रत को रखने से जीवन की हर समस्या से छुटकारा मिलता है. भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀इस एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है. पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिलता है. पद्म पुराण के अनुसार, ये अत्यंत पुण्यदायी एकादशी है.🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 व्रत विधि🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀एकादशी व्रत निर्जला किया जाए तो उत्तम माना गया है. अगर निर्जला नहीं कर सकते तो केवल पानी के साथ, या केवल फलों के साथ या एक समय सात्विक भोजन के साथ रख सकते हैं. इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें. सात्विक रहें. मन में बुरे विचारों को न आने दें.🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 पूजन विधि🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀एकादशी के दिन पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें. उपवास के साथ-साथ भगवन कथा का पाठ व श्रवण करें और रात्रि में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें. द्वादशी के दिन ब्राह्ण को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें. तत्पश्चात व्रत का पारण करें. व्रत से पहली रात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिये, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये.🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 विजया एकादशी व्रत कथा🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀द्वापर युग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई. उन्होंने अपनी शंका भगवान श्री कृष्ण के सामने प्रकट की. भगवान श्री कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि हे कुंते कि सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा व महत्व के बारे में जाना था, उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो, बात त्रेता युग की है जब भगवान श्रीराम माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने लिये सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया. समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे. चूंकि श्री राम मानव रूप में थे इसलिये वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे. उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा लेकिन यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें अवश्य मिल सकता है. फिर क्या था भगवान श्री राम उनके पास पंहुच गये. उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी. तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब होंगे ही साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगें. समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई विधिनुसार भगवान श्री राम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को प्रास्त किया.🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 विजया एकादशी तिथि🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं. इस वर्ष विजया एकादशी 9 मार्च, मंगलवार को है.🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 विजया एकादशी 2021 मुहूर्त🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀एकादशी तिथि का प्रारंभ 8 मार्च, सोमवार को दोपहर 3:44 बजे से हो रहा है, जो अगले दिन 9 मार्च को दोपहर 03:02 बजे तक रहेगा. उदया तिथि 9 मार्च को है, इसलिए व्रत 9 मार्च को रखा जाएगा. #ॐ_नमो_भगवते_वासुदेवाय_नमः🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖

कोमल है तू कमजोर नहीं तू,शक्ति का नाम ही नारी हैजग को जीवन देने वाली,मौत भी तुझसे हारी है। नारी शक्ति को प्रणाम 🙏#internationalwomensday