महाभारत में कई ऐसे योद्धा है जिनका वर्णन नहीं किया है पर मैं उन योद्धा का वर्णन करूंगा।
भागदत्त-
पागज्योतिष का राजा नरकासुर का पुत्र भागदत को अर्जुन भीम सातकि एक साथ हरा नहीं पाये थे यह युद्ध में इन्द्र के समान योद्धा था । अर्जुन ने इनका वध छल से किया राजसूय यज्ञ में भी अर्जुन इनको हरा नहीं पाते थे तो इन्द ने सुलह कराई और इन्हीं के कारण अर्जुन का दिग्विजय विफल हुआ।
कृतवर्मा-
भगवान कृष्ण के भक्त कृतवर्मा ने महाभारत युद्ध में चार पांडव और उनके बेटे को हराया । ये भगवान कृष्ण की नारायणी सेना का सेनापति था और सातकि से इनका बैर था और उसको हर बार हराया पर वह हारने पर रण छोड़ कर पलायन कर जाता इस कारण वह बच गया महाभारत युद्ध में। ये अर्जुन को भी परास्त कर देते अगर भगवान कृष्ण अर्जुन के सारथी न होते क्योंकि ये भगवान कृष्ण का सम्मान करते थे।
भूरिश्रवा-
इन्द्र के बराबर का योद्धा भूरिश्रवा ने महाभारत युद्ध में रणछोड सातकि को कई बार हराया पर वह युद्ध छोड़कर भाग खड़े हुए जब एक बार सातकि को मारने वाले थे तभी अर्जुन ने कायरतापूर्ण काम करके पीछे से तीर चलाकर इनका एक हाथ काट दिया और तभी कायर सातकि ने ध्यान मुद्रा में बैठे भुरिश्रवा का वध कर दिया और अर्जुन पर कायर का कलंक लगा ।
साम्ब-
भगवान कृष्ण का पुत्र और दुर्योधन का दामाद साम्ब भी नारायणी सेना का एक महासेनापति था पर कृष्ण ने इनको युद्ध करने से मना किया और ये अपने ससुर दुर्योधन वध के बाद अपने पिता भगवान कृष्ण से घृणा करने लगे ।
सुशर्मा-
त्रिगर्त के राजा सुशरमा को दुर्योधन ने वचन दिया की उसका सिर कभी भी किसी के आगे नहीं झुकेगा पर अर्जुन ने दिग्विजय में सुशरमा को हराया और उसका अपमान किया इससेे सुशरमा अर्जुन से युद्ध करने को आतुर थे। महाभारत युद्ध में अर्जुन को एक बार सेना लेकर बंदी बना लिया और अर्जुन को अधमरा कर दिया पर इतने में कृष्ण ने अर्जुन को बचाकर सुशरमा का वध कर दिया । इसने अर्जुन को कई बार घायल किया और अधमरा किया।
विकर्ण
दुर्योधन का भाई विकरण एक अतिमहारथी योद्धा था इसने दोण की गुरु परीक्षा में धुपद को बंदी बना लेता पर दुर्योधन की नीति के कारण पीछे हटना पड़ा ।यह धर्म को मानने वाले योद्धा थे और दोपदी चीरहरण का खुल कर विरोध जताया पर दुर्योधन नहीं माना इसका वध भीम ने कम पीड़ा देकर किया।
प्रदुमन
भगवान कृष्ण का पुत्र प्रदुम्न नै अर्जुन को राक्षश निकुंभ से बचाव किया वरना निकुंभ अर्जुन का वध कर देता।
महाभारत युद्ध में इन्होंने कृष्ण के कहने पर भाग नहीं लिया और घायल सैनिकों का उपचार किया और भोजन की व्यवस्था का जिम्मा सौंपा गया। इनका वर्णन स्कनदपुराण में मिलता है महाभारत में नहीं।
सोमदत्त-
भीष्म पितामह के चचेरे भाई थे। इन्होंने उपपाडव को कई बार हराया और युद्ध छोड़कर चले जाने पर विवश किया। सातकि को 14 बार हराया पर हर बार समर्पण के कारण उसे छोड़ दिया। भीष्म पितामह को महाभारत युद्ध में कई बार सहायता दी जब वह घायल हुए।
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