इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना😊चलती कलम छोड़ झाडू घसीटना By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब दूध की मलाई खाना छोड़मक्खन के लिये बचत करनादुपट्टे से उम्र के सम्बंध जोड़नाकभी साड़ी में घसीटनाकभी चुनरी खीसकने से संभालनाकिताबें छोड़ गृहस्थी पढ़नाएक एक फुल्का गोल सेंकनासहेलियाँ छोड़ दीवारों से बात करनाचुप रहनामस्तियाँ भुलाबड़ी होने का ढोंग करनाझुमकियों से कानों का बोझ मरनाघूंघट में खुद को गुनहगार समझनापीला रंग उड़ा करतुम्हारी पसंद पहननाहाथ की घड़ी उतारखनकती चूडियाँ पहननापायलों का पैरों में चुभनाकपड़ों के साथ सपने निचौड़धूप में सुखानारोज सुबह जल्दी उठनाअपनी फिक्र छोड़सबकी सुननाबाल वनिता महिला आश्रममैथ के सवाल करते करतेअचानक दूध के हिसाब करनाइतना आसान कहाँ था गृहिणी होना ।।😊🤝💐❣️❤️💛💛 ✍️
इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना😊
चलती कलम छोड़ झाडू घसीटना
दूध की मलाई खाना छोड़
मक्खन के लिये बचत करना
दुपट्टे से उम्र के सम्बंध जोड़ना
कभी साड़ी में घसीटना
कभी चुनरी खीसकने से संभालना
किताबें छोड़ गृहस्थी पढ़ना
एक एक फुल्का गोल सेंकना
सहेलियाँ छोड़ दीवारों से बात करना
चुप रहना
मस्तियाँ भुला
बड़ी होने का ढोंग करना
झुमकियों से कानों का बोझ मरना
घूंघट में खुद को गुनहगार समझना
पीला रंग उड़ा कर
तुम्हारी पसंद पहनना
हाथ की घड़ी उतार
खनकती चूडियाँ पहनना
पायलों का पैरों में चुभना
कपड़ों के साथ सपने निचौड़
धूप में सुखाना
रोज सुबह जल्दी उठना
अपनी फिक्र छोड़
सबकी सुनना
मैथ के सवाल करते करते
अचानक दूध के हिसाब करना
इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना ।।😊
🤝💐❣️❤️💛💛 ✍️
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