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*"भंडारा.....*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबतीन दोस्त भंडारे मे भोजन कर रहे थे कि-*उनमें से पहला बोला....* काश....हम भी ऐसे भंडारा कर पाते .....*दूसरा बोला....* हां यार ....सैलरी आने से पहले जाने के रास्ते बनाकर आती हैं ...*तीसरा बोला....* खर्चे इतने सारे होते है तो कहा से करें भंडारा ....पास बैठे एक *महात्मा* भी भंडारे का आनंद ले रहे थे वो उन दोस्तों की बाते सुन रहे थे; महात्मा उन तीनों से बोले....बेटा भंडारा करने के लिए धन नहीं केवल अच्छे मन की जरूरत होती है ....वह तीनो आश्चर्यचकित होकर महात्मा की ओर देखने लगे ....महात्मा ने सभी की उत्सुकता को देखकर हंसते हुए कहा बच्चों .....बिस्कुट का पैकेट लो और उन्हें चीटियों के स्थान पर बारीक चूर्ण बनाकर उनके खाने के लिए रख दो देखना अनेकों चीटियां उन्हें खुश होकर खाएगी हो गया भंडारा .....चावल-दाल के दाने लाओ उसे छतपर बिखेर दो चिडिया कबूतर आकर खाऐंगे ...हो गया भंडारा ...बच्चों ....ईश्वर ने सभी के लिए अन्न का प्रबंध किया है ये जो तुम और मैं यहां बैठकर पूड़ी सब्जी का आनंद ले रहे है ना इस अन्न पर ईश्वर ने हमारा नाम लिखा हुआ है...बच्चों तुम भी जीव जन्तुओं के लिए उनके नाम के भोजन का प्रबंध करने के लिए जो भी करोगे वो भी उस ऊपरवाले की इच्छाओं से होगा ....यही तो है भंडारा ...जाने कौन कहा से आ रहा है या कोई कही जा रहा है किसी को पता भी नहीं होता कि किसको कहाँ से क्या मिलेगा ....सब उसी की माया है .....तीनों युवकों के चेहरे पर एक अच्छी सुकून देने वाली खुशी थी ....*ऐसे अच्छे दान पुण्य के काम करते रहिए, अपार प्रसन्नता मिलती रहेगी।**🙏जय भोलेनाथ🙏* ...ॐ नमो नारायणाय जी,,,

*"भंडारा.....* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब तीन दोस्त भंडारे मे भोजन कर रहे थे कि- *उनमें से पहला बोला....* काश....हम भी ऐसे भंडारा कर पाते ..... *दूसरा बोला....* हां यार ....सैलरी आने से पहले जाने के रास्ते बनाकर आती हैं ... *तीसरा बोला....* खर्चे इतने सारे होते है तो कहा से करें भंडारा .... पास बैठे एक *महात्मा* भी भंडारे का आनंद ले रहे थे वो उन दोस्तों की बाते सुन रहे थे; महात्मा उन तीनों से बोले....बेटा भंडारा करने के लिए धन नहीं केवल अच्छे मन की जरूरत होती है .... वह तीनो आश्चर्यचकित होकर महात्मा की ओर देखने लगे .... महात्मा ने सभी की उत्सुकता को देखकर हंसते हुए कहा बच्चों .....बिस्कुट का पैकेट लो और उन्हें चीटियों के स्थान पर बारीक चूर्ण बनाकर उनके खाने के लिए रख दो देखना अनेकों चीटियां उन्हें खुश होकर खाएगी हो गया भंडारा .....चावल-दाल के दाने लाओ उसे छतपर बिखेर दो चिडिया कबूतर आकर खाऐंगे ...हो गया भंडारा ... बच्चों ....ईश्वर ने सभी के लिए अन्न का प्रबंध किया है ये जो तुम और मैं यहां बैठकर पूड़ी सब्जी का आनंद ले रहे है ना इस अन्न पर ईश्वर ने हमारा नाम लिखा हुआ है... बच्चो...

कैलाश पर्वत क्षेत्र पर रुके एक माह तो 2 वर्ष 6 माह की जिंदगी गुजर जाती है।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि इस पर्वत पर भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। जो भी इस पर्वत पर आकर उनके दर्शन कर लेता है उसका जीवन पूरी तरह से सफल हो जाता है। इस पावन स्थल पर हर साल लाखों श्रद्धालु मन में सिर्फ ये आस लिए आते हैं कि शिव के साक्षात दर्शन मात्र से उनके सारे कष्ट मिट जाएंगे। कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र कहा जाता है, जहां धरती और आकाश एक साथ आ मिलते हैं। कहते हैं कि कैलाश पर्वत के ठीक ऊपर स्वर्ग और ठीक नीचे धरती (मृत्युलोक) हैं। 'परम रम्य गिरवरू कैलासू, सदा जहां शिव उमा निवासू।’ पौराणिक और प्रसिद्ध कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत भगवान शिव का धाम है। आप ये तो जानते होंगे की कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं पर ये नहीं जानते होंगे की वह इस दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत हैं । कहा जाता है कि अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डार है। कैलाश पर्वत भारत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षस ताल झील है। इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है । ऊंचाई के मामले में कैलाश पर्वत, विश्व विख्यात माउंट एवरेस्ट से ज्यादा विशाल तो नहीं है, लेकिन कैलाश की भव्यता उसके आकार में है। ध्यान से देखने पर यह पर्वत शिवलिंग के आकार का लगता है, जो पूरे साल बर्फ की चादर ओढ़े रहता है। कैलाश पर्वत अमरनाथ यात्रा पर जाते समय रास्ते में आता हैं। तिब्बत की हिमालय रेंज में स्थित हैं। कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्त्रोतों से घिरा है सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकर सूर्य के सामान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के सामान है कैलाश-मानसरोवर जाने के अनेक मार्ग हैं किंतु उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थान से अस्ककोट, खेल, गर्विअंग, लिपूलेह, खिंड, तकलाकोट होकर जानेवाला मार्ग अपेक्षाकृत सुगम है। इसके एक ओर उत्तरी, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है। यहां एक ऐसा केंद्र भी है जिसे एक्सिस मुंडी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं। रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं। यह पर्वत पिरामिडनुमा है। इसके शिखर पर कोई नहीं चढ़ सकता है। यहां 2 रहस्यमयी सरोवर हैं- मानसरोवर और राक्षस ताल। यहीं से भारत और चीन की बड़ी नदियों का उद्गम होता है। यहां निरंतर 'डमरू' या 'ॐ' की आवाज सुनाई देती है लेकिन यह आवाज कहां से आती है? यह कोई नहीं जानता। दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। जब सूर्य की पहली किरण इस पर्वत पर पड़ती है, तो यह स्वर्ण-सा चमकने लगता है। कैलाश पर्वत की तलहटी में 1 दिन होता है 1 माह के बराबर ! इसका मतलब यह है कि 1 माह ढाई साल का होगा। दरअसल, वहां दिन और रात तो सामान्य तरीके से ही व्यतीत होते हैं लेकिन वहां कुछ इस तरह की तरंगें हैं कि यदि व्यक्ति वहां 1 दिन रहे तो उसके शरीर का तेजी से क्षरण होता है अर्थात 1 माह में जितना क्षरण होगा, उतना 1 ही दिन में हो जाएगा। इसे इस तरह समझें कि यदि सामान्य दिनों की तरह हमारे नाखूनों को हम 1 माह में 4 बार काटते हैं तो हमें वहां 1 दिन में 4 बार काटने होंगे। हाथ-पैर के नाखून और बाल अत्यधिक तेजी से बढ़ जाते हैं। सुबह क्लीन शेव रहे व्यक्ति की रात तक अच्छी-खासी दाढ़ी निकल आती है। कैलाश पर्वत पर कंपास काम नहीं करता यहाँ आने पर दिशा भ्रम होने लगता है. यह जगह बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव है। लेकिन ये जगह बेहद पावन, शांत और शक्ति देने वाली है! कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ सका सिर्फ एक बौध लामा को छोड़ कर ... ऐसा भी अनुभव होता है कि कैलाश की परिक्रमा मार्ग पर एक ऐसा खास पॉइंट आता है, जहां पर आध्यात्मिक शक्तियां आगे बढ़ने के विरुद्ध चेतावनी देती हैं। वहां तलहटी में तेजी से मौसम बदलता है। ठंड अत्यधिक बढ़ जाती है। व्यक्ति को बेचैनी होने लगती है। अंदर से कोई कहता है, 'यहां से चले जाओ।' जिन लोगों ने चेतावनी को अनसुना किया, उनके साथ बुरे अनुभव हुए। कुछ लोग रास्ता भटककर जान गंवा बैठे। कहते हैं कि सन् 1928 में एक बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ही कैलाश पर्वत की तलहटी में जाने और उस पर चढ़ने में सफल रहे थे। मिलारेपा ही मानव इतिहास के एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें कि वहां जाने की आज्ञा मिली थी। मानस और सरोवर का संगम है कैलाश पर्वत ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ भगवान शिव का निवास स्थल ये कैलाश पर्वत खुद की तलहटी में कई रहस्य छुपाये है। कैलाश पर्वत से जुड़े कई ऐसे विचित्र रहस्य हैं जिसे आज तक दुनिया का कोई भी इंसान पता नहीं लगा पाया है। कैलाश मानसरोवर का नाम संस्कृत भाषा के दो शब्दों, मानस और सरोवर के संगम से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- मन का सरोवर. कैलाश पर्वत को पृथ्वी का केंद्र स्थल भी माना जाता है। चूँकि ये पर्वत मानसरोवर झील के नजदीक स्थित है इसलिए इसका नाम कैलाश मानसरोवर पड़ा है। शिव से मिलने के लिए लांघनी पड़ती है चीन की दीवार ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ समुद्र तट से लगभग 22068 फुट की ऊंचाई में बना कैलाश पर्वत हिमालय के उत्तरी दिशा में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन की सीमा के अंतर्गत आता है अतः ये भी कहा जा सकता है कि भारत की आस्था का प्रतीक कैलाश मानसरोवर को पाने के लिए चीन की दीवार भी लांघना पड़ता है। कैलाश पर साक्षात विराजते हैं शिव ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ कैलाश मानसरोवर का एक और तिलिस्मी रहस्य भी है जिसके बारे में आज तक आप अनजान होंगे। क्या आपको पता है कि शिव के समीप ले जाने वाला ये पर्वत आज तक शिव की सच्चे भक्त की तलाश में है। जी हाँ आपने बिलकुल सही पढ़ा कैलाश मानसरोवर इतिहास रहा है कि कोई भी इंसान आज तक इस पर्वत की चोटी पर नहीं पहुंच पाया है। धार्मिक गुरु ये तक बताते हैं कि जो भी शिव के उस निवास स्थल तक पहुँच जाएगा उसे साक्षात शिव के दर्शन होंगे और वो शिव का सच्चा भक्त कहलायेगा। शिव के चरणों तक भी कोई नहीं पहुंचा आज तक आज तक कोई भी इंसान कैलाश पर्वत की चोटी पर कभी नहीं पहुंचा। जो भी गया है या तो उसने अपनी ज़िन्दगी को खत्म कर लिया या फिर हार मन कर वापस लौट आया। शिव के निवास स्थल से पहले भी काफी खतरनाक और ऊँची-ऊँची चोटियां पड़ती हैं जहां तक कुछ लोग पहुँचने में सफल भी हुए मगर आज तक शिव के चरणों तक कोई नहीं पहुँच पाया है। ।। ॐ नमः शिवाय ।। ~~~~~~~~~

कैलाश पर्वत क्षेत्र पर रुके एक माह तो 2 वर्ष 6 माह की जिंदगी गुजर जाती है। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब  कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि इस पर्वत पर भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। जो भी इस पर्वत पर आकर उनके दर्शन कर लेता है उसका जीवन पूरी तरह से सफल हो जाता है। इस पावन स्थल पर हर साल लाखों श्रद्धालु मन में सिर्फ ये आस लिए आते हैं कि शिव के साक्षात दर्शन मात्र से उनके सारे कष्ट मिट जाएंगे। कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र कहा जाता है, जहां धरती और आकाश एक साथ आ मिलते हैं।  कहते हैं कि कैलाश पर्वत के ठीक ऊपर स्वर्ग और ठीक नीचे धरती (मृत्युलोक) हैं।  'परम रम्य गिरवरू कैलासू, सदा जहां शिव उमा निवासू।’  पौराणिक और प्रसिद्ध कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत भगवान शिव का धाम है। आप ये तो जानते होंगे की कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं पर ये नहीं जानते होंगे की वह इस दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत हैं । कहा जाता है कि अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डार है।  कैलाश पर्वत भारत में स्थि...

🙏🙏जय श्री सीताराम जी 🙏🙏🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁(पिछली पोस्ट से आगे)By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब कुछ लोग कहते हैं कि ईश्वर निराकार है, कुछ लोग कहते हैं कि ईश्वर साकार है और कुछ लोग कहते हैं कि इससे तो हमारी समझ से बेकार है। तो समझाने वाले ने कहा -- प्रकाश सफ़ेद सफ़ेद होता है। तो अंधा बोला - यह सफ़ेद सफ़ेद कैसा होता है? कहा -- सफेद नहीं जानते? ••• ना। ••• जैसे खीर होती है। अंधा बोला -- यह खीर कैसी होती है? खीर? बगुले को देखा है? बगुला जैसा सफेद होता है, बस वैसी ही। ••• अच्छा यह बगुला कैसा होता है? उसने अंधे का हाथ पकड़ा और ऐसे टेढ़ा किया। ऐसा बगुला होता है सफेद सफेद, ऐसी ही सफेद सफेद खीर। तो अंधा बोला -- समझ गया, समझ गया। अच्छा क्या समझे? अंधा बोला -- बड़ी टेढ़ी खीर होती है। अब बताओ, खीर टेढ़ी होती है क्या? देखो उसको समझाना मुश्किल है। हम जितने लोग हैं, परमात्मा को समझाना बहुत कठिन है। एक विद्यालय में एक शिक्षक थे। प्राइमरी स्कूल में वह पढ़ाते थे, पर वह तुतलाते थे। तो जैसे उन्हें 'क' पढ़ाना है। तो वह क्या बोलते? बोलते -- पढ़ो त। अब बोलो, तो विद्यार्थी भी कहते त। तो वे कहते त नहीं त। तो वे भी कहते त। तो नाराज़ होते, कहते तुप। त नहीं त। वे भी कहते त। विद्यार्थी भी क्या करते, उनकी मजबूरी थी। उन्होंने युक्ति निकाली, बोले -- तौआ ता त। वे कहना चाहते थे कौआ का क। पर वे कह पाते तौआ ता त। सभी विद्यार्थी भी कहते तौआ ता त। लाख कोशिश की, पर नहीं समझा सके। वाणी असमर्थ है उसे समझाने में, और जिनको ज्ञान, वैराग्य के नेत्र नहीं हैं, उनके लिए परमात्मा को समझना कठिन है। एक और उदाहरण से समझें। आप भोपाल में बैठे हैं। अब मान लो कोई कहने लगे, भोपाल दक्षिण में है। दूसरा कहे -- दक्षिण में नहीं,। उत्तर में है, तीसरा कहता है -- नहीं-नहीं, पूरब में है। चौथा कहता है -- पूरब में नहीं, पश्चिम में है। अच्छा एक बात बताओ, भोपाल से पूछो कि तुम कहां हो? तो भोपाल यही कहेगा कि हम तो जहां थे वहीं हैं, न पूरब, न पश्चिम, न उत्तर, न दक्षिण। तो ये लोग जो इतनी बातें कर रहे हैं, क्या ग़लत बोल रहे हैं? मुझे लगता है, ये ग़लत नहीं बोल रहे हैं, न सही बोल रहे हैं। ये भोपाल के वारे में सूचना नहीं दे रहे हैं कि भोपाल कहाँ है? ये तो अपने वारे में सूचना दे रहे हैं कि हम कहाँ हैं? जो उत्तर में है उसे भोपाल दक्षिण में दिखाई देगा, जो दक्षिण में होगा उसे भोपाल उत्तर में दिखाई देगा, पूरब वाले को पश्चिम में दिखेगा, पश्चिम वाले को पूरब में दिखेगा। ये लोग एक काम करें। इन्हें जैसा जहां से दिख रहा है, वह वैसा ही मानकर वहां से चल पड़ें और जैसे ही अपनी-अपनी दिशा से चलकर भोपाल आ जायेंगे, तो पूरब, पश्चिम, उत्तर दक्षिण का झगड़ा ही समाप्त। अब न पूरब, न पश्चिम, न उत्तर, न दक्षिण। आप ऐसे सोचो, एक आदमी यात्रा करता है। सड़क पर लिखा है, पांच किलोमीटर, दो किलोमीटर, एक किलोमीटर। पर जहां जीरो लिखा हुआ आ जाय, समझ लो शहर आ गया। हमारा अहंकार जहां शून्य होता है। वहीं परमात्मा की पूर्णता प्रकट होती है।(क्रमशः)(बाल वनिता महिला आश्रम,=

🙏🙏जय श्री सीताराम जी 🙏🙏 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 (पिछली पोस्ट से आगे) By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब          कुछ लोग कहते हैं कि ईश्वर निराकार है, कुछ लोग कहते हैं कि ईश्वर साकार है और कुछ लोग कहते हैं कि इससे तो हमारी समझ से बेकार है। तो समझाने वाले ने कहा -- प्रकाश सफ़ेद सफ़ेद होता है। तो अंधा बोला - यह सफ़ेद सफ़ेद कैसा होता है? कहा -- सफेद नहीं जानते? ••• ना। ••• जैसे खीर होती है। अंधा बोला -- यह खीर कैसी होती है?          खीर? बगुले को देखा है? बगुला जैसा सफेद होता है, बस वैसी ही। ••• अच्छा यह बगुला कैसा होता है?           उसने अंधे का हाथ पकड़ा और ऐसे टेढ़ा किया। ऐसा बगुला होता है सफेद सफेद, ऐसी ही सफेद सफेद खीर। तो अंधा बोला -- समझ गया, समझ गया।           अच्छा क्या समझे? अंधा बोला -- बड़ी टेढ़ी खीर होती है। अब बताओ, खीर टेढ़ी होती है क्या? देखो उसको समझाना मुश्किल है। हम जितने लोग हैं, परमात्मा को समझाना बहुत कठिन है।          एक वि...
भारत सरकार कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय BY समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब मुख्य सामग्री पर जाएं | भाषा का चयन करें  अंग्रेज़ी राष्ट्रीय प्रतीक पीएम-किसान सम्मान निधि कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय बाल वनिता महिला आश्रम भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के साथ बातचीत और पीएम-किसान सम्मान निधि का विमोचन 14 मई 2021 11:00 पूर्वाह्न IST पीएम-किसान हेल्पलाइन नंबर 155261/011-24300606, 011-23381092 प्राइम मिनिस्टर आंकड़े अवधि के अनुसार भुगतान की संख्या अप्रैल-जुलाई 2021-22 : 10,34,32,471 दिसंबर-मार्च 2020-21 : 10,17,09,900 अगस्त-नवंबर 2020-21 : 10,21,86,328 अप्रैल-जुलाई 2020-21 : 10,49,20,156 दिसंबर-मार्च 2019-20 : 8,95,25,662 अगस्त-नवंबर 2019-20: 8,76,11,700 अप्रैल-जुलाई 2019-20 : 6,63,17,214 दिसंबर-मार्च 2018-19 : 3,16,06,334 भुगतान की सफलता वित्तीय वर्ष  2021-2022  अवधि  1 डैशबोर्ड अवधि 1: अप्रैल-जुलाई; अवधि 2: अगस्त से नवंबर; अवधि 3: दिसंबर से मार्च + - Jammu and KashmirJammu and Kashmir Himachal PradeshHima...
भारत सरकार कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय मुख्य सामग्री पर जाएं | भाषा का चयन करें  अंग्रेज़ी राष्ट्रीय प्रतीक पीएम-किसान सम्मान निधि कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के साथ बातचीत और पीएम-किसान सम्मान निधि का विमोचन 14 मई 2021 11:00 पूर्वाह्न IST पीएम-किसान हेल्पलाइन नंबर 155261/011-24300606, 011-23381092 प्राइम मिनिस्टर आंकड़े अवधि के अनुसार भुगतान की संख्या अप्रैल-जुलाई 2021-22 : 10,34,32,471 दिसंबर-मार्च 2020-21 : 10,17,09,900 अगस्त-नवंबर 2020-21 : 10,21,86,328 अप्रैल-जुलाई 2020-21 : 10,49,20,156 दिसंबर-मार्च 2019-20 : 8,95,25,662 अगस्त-नवंबर 2019-20: 8,76,11,700 अप्रैल-जुलाई 2019-20 : 6,63,17,214 दिसंबर-मार्च 2018-19 : 3,16,06,334 भुगतान की सफलता वित्तीय वर्ष  2021-2022  अवधि  1 अवधि 1: अप्रैल-जुलाई; अवधि 2: अगस्त से नवंबर; अवधि 3: दिसंबर से मार्च + - Jammu and KashmirJammu and Kashmir Himachal PradeshHimachal Pradesh PunjabPunjab Chand...

. "पापनाशिनी गंगा"By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब एक समय शिव जी महाराज पार्वती के साथ हरिद्वार में घूम रहे थे। पार्वती जी ने देखा कि सहस्त्रों मनुष्य गंगा में नहा-नहाकर ‘हर-हर गंगे’ कहते चले जा रहे हैं परंतु प्राय: सभी दु:खी और पाप परायण हैं। तब पार्वती जी ने बड़े आश्चर्य से शिव जी से पूछा कि "हे देव ! गंगा में इतनी बार स्नान करने पर भी इनके पाप और दु:खों का नाश क्यों नहीं हुआ ? क्या गंगा में सामर्थ्य नहीं रही ?" शिवजी ने कहा, ‘‘प्रिये ! गंगा में तो वही सामर्थ्य है, परंतु इन लोगों ने पापनाशिनी गंगा में स्नान ही नहीं किया है तब इन्हें लाभ कैसे हो ?’’ पार्वती जी ने आश्चर्य से कहा कि - ‘‘स्नान कैसे नहीं किया ? सभी तो नहा-नहा कर आ रहे हैं। अभी तक इनके शरीर भी नहीं सूखे हैं।’’ शिवजी ने कहा, ‘‘ये केवल जल में डुबकी लगाकर आ रहे हैं। तुम्हें कल इसका रहस्य समझाऊंगा।’’ दूसरे दिन बड़े जोर की बरसात होने लगी। गलियाँ कीचड़ से भर गईं। एक चौड़े रास्ते में एक गहरा गड्ढा था, चारों ओर लपटीला कीचड़ भर रहा था। शिवजी ने लीला से ही वृद्ध रूप धारण कर लिया और दीन-विवश की तरह गड्ढे में जाकर ऐसे पड़ गए, जैसे कोई मनुष्य चलता-चलता गड्ढे में गिर पड़ा हो और निकलने की चेष्टा करने पर भी न निकल पा रहा हो। पार्वती जी को उन्होंने यह समझाकर गड्ढे के पास बैठा दिया कि-"तुम लोगों को सुना-सुनाकर यूं पुकारती रहो कि मेरे वृद्ध पति अकस्मात गड्ढे में गिर पड़े हैं कोई पुण्यात्मा इन्हें निकालकर इनके प्राण बचाए और मुझ असहाय की सहायता करे।" शिवजी ने यह और समझा दिया कि जब कोई गड्ढे में से मुझे निकालने को तैयार हो तब इतना और कह देना कि "भाई ! मेरे पति सर्वथा निष्पाप हैं इन्हें वही छुए जो स्वयं निष्पाप हो यदि आप निष्पाप हैं तो इनके हाथ लगाइए नहीं तो हाथ लगाते ही आप भस्म हो जाएंगे।’’ पार्वती जी गड्ढे के किनारे बैठ गईं और आने-जाने वालों को सुना-सुनाकर शिवजी की सिखाई हुई बात कहने लगीं। गंगा में नहाकर लोगों के दल के दल आ रहे हैं। सुन्दर युवती को यूं बैठी देख कर कइयों के मन में पाप आया, कई लोक लज्जा से डरे तो कइयों को कुछ धर्म का भय हुआ, कई कानून से डरे। कुछ लोगों ने तो पार्वती जी को यह भी सुना दिया कि "मरने दे बुड्ढे को क्यों उसके लिए रोती है ?" आगे और कुछ दयालु सच्चरित्र पुरुष थे, उन्होंने करुणावश हो युवती के पति को निकालना चाहा परंतु पार्वती के वचन सुनकर वे भी रुक गए। उन्होंने सोचा कि "हम गंगा में नहाकर आए हैं तो क्या हुआ, पापी तो हैं ही, कहीं होम करते हाथ न जल जाये, बूढ़े को निकालने जाकर। इस स्त्री के कथनानुसार हम स्वयं भस्म न हो जाएं।" किसी का साहस नहीं हुआ। सैंकड़ों आए, सैंकड़ों ने पूछा और चले गए। संध्या हो चली। शिवजी ने कहा, ‘‘पार्वती ! देखा, आया कोई सच्चे ह्रदय से गंगा में नहाने वाला है ?’’ थोड़ी देर बाद एक जवान हाथ में लोटा लिए हर-हर गंगे करता हुआ निकला, पार्वती ने उसे भी वही बात कही। युवक का हृदय करूणा से भर आया। उसने शिवजी को निकालने की तैयारी की। पार्वती ने रोक कर कहा कि ‘‘भाई यदि तुम सर्वथा निष्पाप नहीं होगे तो मेरे पति को छूते ही जल जाओगे।’’ उसने उसी समय बिना किसी संकोच के दृढ़ निश्चय के साथ पार्वती से कहा कि "माता ! मेरे निष्पाप होने में तुझे संदेह क्यों होता है ? देखती नहीं मैं अभी गंगा नहाकर आया हूँ। भला, गंगा में गोता लगाने के बाद भी कभी पाप रहते हैं ? तेरे पति को निकालता हूँ।" युवक ने लपककर बूढ़े को ऊपर उठा लिया। शिव-पार्वती ने उसे अधिकारी समझकर अपना असली स्वरूप प्रकट कर उसे दर्शन देकर कृतार्थ किया। शिवजी ने पार्वती से कहा कि ‘‘इतने लोगों में से इस एक ने ही गंगा स्नान किया है।’’ इसी दृष्टांत के अनुसार जो लोग बिना श्रद्धा और विश्वास के केवल दम्भ के लिए गंगा स्नान करते हैं उन्हें वास्तविक फल नहीं मिलता परंतु इसका यह मतलब नहीं कि गंगा स्नान व्यर्थ जाता है। गंगा स्नान का बहुत पुण्य भी है। ----------:::×:::----------- "हर हर गंगे"*******************************************

. "पापनाशिनी गंगा" By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब           एक समय शिव जी महाराज पार्वती के साथ हरिद्वार में घूम रहे थे। पार्वती जी ने देखा कि सहस्त्रों मनुष्य गंगा में नहा-नहाकर ‘हर-हर गंगे’ कहते चले जा रहे हैं परंतु प्राय: सभी दु:खी और पाप परायण हैं। तब पार्वती जी ने बड़े आश्चर्य से शिव जी से पूछा कि "हे देव ! गंगा में इतनी बार स्नान करने पर भी इनके पाप और दु:खों का नाश क्यों नहीं हुआ ? क्या गंगा में सामर्थ्य नहीं रही ?" शिवजी ने कहा, ‘‘प्रिये ! गंगा में तो वही सामर्थ्य है, परंतु इन लोगों ने पापनाशिनी गंगा में स्नान ही नहीं किया है तब इन्हें लाभ कैसे हो ?’’ पार्वती जी ने आश्चर्य से कहा कि - ‘‘स्नान कैसे नहीं किया ? सभी तो नहा-नहा कर आ रहे हैं। अभी तक इनके शरीर भी नहीं सूखे हैं।’’ शिवजी ने कहा, ‘‘ये केवल जल में डुबकी लगाकर आ रहे हैं। तुम्हें कल इसका रहस्य समझाऊंगा।’’           दूसरे दिन बड़े जोर की बरसात होने लगी। गलियाँ कीचड़ से भर गईं। एक चौड़े रास्ते में एक गहरा गड्ढा था, चारों ओर लपटीला कीचड़ भर रहा था। श...