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दुर्गा माँ के अनेक रूप में से एक माँ शैलपुत्री के बारे में आप क्या बता सकते हैं?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संगरिया राजस्थान की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबनेहा जी प्रश्न के लिए धन्यवाद।आइए देखते हैं देवी माँ का शैलपुत्री नाम कहाँ किस संदर्भ में आया है।दुर्गा सप्तशती के पाठ के आरम्भ में पाठ की सिद्धि सफलता के लिए★ कवच ★कीलक और ★अर्गलाइन तीन का पाठ करने पर जोर दिया गया है।इनमें से प्रथम देव्या कवचम के पाठ से साधक का सम्पूर्ण शरीर सभी प्रकार की बाधाओं से सुरक्षित हो जाता है।इसमें ५६ श्लोक हैं।देवी चण्डिका को नमस्कार के उपरांत इन श्लोकों में से आरंभ के तीसरे चौथे और पांचवें श्लोक में जगदंबिका के नौ नाम दिए हैं:प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्म चारिणी ।तृतीयं चंद्र घण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम।।पञ्चमं स्कन्द मातेति षष्टम कात्यायनीति च।सप्तम कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम ।।नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गा: प्रकीर्तिताः।उपरोक्त नौ नामों में प्रथम नाम शैलपुत्री है। इसका अर्थ हुआ गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती।यह हिमालय की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री रूप में प्रकट हुईं। इसकी पुराण व्याख्या से इतर अन्य तांत्रिक व्याख्याएं भी हैं।विभिन्न पुराणों में इसका आख्यान है। इसी प्रकार अन्य नामों की भी व्याख्या है।_______________________________★शैलपुत्री पार्वती शिव की अर्धांगिनी हैं , शिव शक्ति के इस संयुक्त स्वरूप की शाक्त शैव दर्शनों में कई तरह से व्याख्या है।★यह शैलपुत्री पार्वती ही आदिशक्ति हैं जिनके विविध नाम रूप हैं। सृजन पालन संहार करने वाली शक्ति हैं,महा सरस्वती महालक्ष्मी महाकाली हैं, सर्व व्यापी चेतना हैं।________________________________दुर्गा सतशती के पंचम अध्य्याय में कहा गया है कि जब देवता , शुम्भ निशुम्भ राक्षसों से पराजित होकर गिरिराज हिमालय पर गए और वहाँ भगवती विष्णु माया की स्तुति करने लगे:"नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम।।"उस समय देवी पार्वती गंगाजी के जल में स्नान करने के लिए वहाँ आईं और देवों से पूँछा कि आप किसकी स्तुति कर रहे हैं? तब पार्वती जी के शरीरकोश से प्रकट हुई शिवा देवी बोलीं, यह मेरी ही स्तुति कर रहे हैं।◆पार्वती के शरीर से अम्बिका के प्रादुर्भाव से पार्वती का शरीर काले रंग का हो गया अतः वे हिमालय पर रहने वाली कालिका देवी के नाम से विख्यात हुईं।(दुर्गा सप्तशती पञ्चम अध्याय श्लोक ८८ )●देवी माँ के इन नौ नाम के बाद दुर्गा सप्तशती के अगले अर्गला पाठ में ग्यारह नाम वर्णित हैं :●१-जयन्ती २-मंगला ३-काली ४-भद्रकाली ५-कपालिनी ६-दुर्गा ७-क्षमा ८-शिवा ९-धात्री १०-स्वाहा ११-स्वधा .●दुर्गा सप्तशती में परिशिष्ट में दुर्गा के बत्तीस नाम भी दिए गए हैं।मेरे विचार से विगत कुछ दशकों से देवी माँ के कवच में वर्णित नाम मीडिया में कुछ अधिक ही चर्चित हो गए हैं जबकि जिस देवी कवच में ये नाम आरम्भ में आए हैं उस कवच का कोई उल्लेख मीडिया में नहीं देखा जाता है।●इन नौ नामों के चित्र भी गीता प्रेस गोरखपुर ने उपलब्ध कराए हैं इसलिए भी इन नौ नामों का मीडिया में चलन बढ़ा है।●जबकि नव रात्रि की देवी साधना में अथवा नित्य ही दुर्गा सप्तशती के समस्त या कुछ अध्यायों का जो पाठ करते हैं उनमें इन नौ नामों का अलग से उल्लेख नहीं किया जाता।कोई देवी साधक शरीर रक्षा के लिए नित्य कवच का पाठ करते हैं उनकी उपासना में ये नौ नाम पाठ आरम्भ में स्वतः ही आ जाते हैं। इन नौ नामों में कुछ के पुराण आख्यान भी हैं ।वस्तुतः साकार सगुण रूप आसानी से मन को ग्रहण होता है इसलिए त्रिदेव, गणेश, देवी माँ के सगुण रूप ही अधिक प्रचलित हैं।★★पार्वती कुंडलिनी शक्ति के रूप में:जब कुंडलिनी शक्ति का वर्णन किया जाता है तब इस शक्ति को छह चक्रों में से प्रथम मूलाधार चक्र में स्थित माना जाता है। रोचक तथ्य यह है कि इस मूलाधार चक्र के रक्षक पार्वती पुत्र गणेश जी हैं।◆इस षड़चक्र के आधार प्रथम चक्र में ही शक्ति का वास है और इसकी कृपा के लिए सर्वप्रथम गणेश उपासना आवश्यक है।गणपति अथर्व शीर्ष में भी रक्तवर्ण गणेश को मूलाधार में स्थित कहा गया है:त्वम मूलाधार स्थितोsसि नित्यं,त्वम शक्ति त्रयात्मकः त्वाम योगिनो ध्यायन्ति नित्यमयही बात इस कथा के रूप में प्रतीक रूप से वर्णित की गई है कि पार्वती जी ने अपने शरीर के उबटन से पुतला बना कर उसमें चेतना संचार कर द्वार रक्षा में नियुक्त किया ।शक्ति से चेतन इसी पुतले को बाद में गणेश कहा गया।★तंत्र की दृष्टि से देवी माँ को दस महाविद्याओं के रूप में वर्णित किया गया है : १ काली, २ तारा, ३ श्रीविद्या या त्रिपुर सुंदरी या ललिता, ४ भुवनेश्वरी, ५ त्रिपुर भैरवी,६ धूमावती, ७ छिन्नमस्ता, ८बगला, ९ मातंगी , १० कमला।देश के विभिन्न भागों में उपरोक्त दस महाविद्याओं में से प्रत्येक के सिद्ध मन्दिर भी हैं।इतना ही क्यों सारे भारत में देवी के 52 सिद्ध पीठ भी हैं । चित्र देखिए जो गूगल के सौजन्य से आगे प्रस्तुत है।★★इनमें से हिंगलाज पीठ व एक अन्य पीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में है जिसकी सेवा आज भी हिन्दू मुसलमान मिलकर करते हैं ।जबकि सुगंधा व एक अन्य बंगला देश में है।दुर्गा चालीसा में भी "हिंगलाज में तुमही भवानी" ऐसा उल्लेख है ।मेरी माताजी जब यह पढ़ती थीं तो समझ नहीं आता था कि इसका क्या अर्थ है।हिंगलाजदेवी मन्दिर।चित्र इण्डिया टाइम्स के सौजन्य सेजरा विचार कीजिए कि विभिन्न भूगोल भाषा व स्थानीय संस्कृति की विविधता के बाद भी इन 52 शक्तिपीठों ने हजारों वर्षों से भारत को कितने मजबूत सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधे रखा है। भले ही राजनीतिक दृष्टि से उन क्षेत्रों में अलग अलग राज्य वंशों का शासन रहा।पर अब आज के सिक्कूलर उधार बुद्धिवादी सनातन धर्म के इस एकता मूलक प्रभाव के प्रति एलर्जिक हैं।अभी देवी माँ के सगुण रूप की चर्चा की ।जबकि वेद की दृष्टि से विचार करें तो देवी माँ को मूल प्रकृति और ब्रह्म स्वरूपणी ही कहा गया है। देखिए अथर्व वेद का देवी अथर्व शीर्षम जिसमें देवों के यह प्रश्न करने पर कि देवी आप कौन हैं तो देवी ने कहा:मैं ब्रह्म स्वरूपणी हूँ। मैं ही प्रकृति और पुरुषरूपात्मक जगत हूँ। ….अहम अखिलं जगत। मैं ही रुद्र और वसु हूँ.. विष्णु ब्रह्म देव और प्रजापति को धारण करती हूँ…यह सगुण निर्गुण निरूपण बहुत ही मनोरम है।इसका सदैव अर्थ समझते हुए अध्ययन मनन करते रहना चाहिए।● प्रश्न के उत्तर का सार यानिष्कर्ष:●शैल पुत्री यह नाम देवी माँ के नौ नामों में से एक प्रथम नाम है जो शैलजा पार्वती को संबोधित है। यह देवी कवच में आया है तथा इसका पुराण में कथाआख्यान भी है।●शैल पुत्री पार्वती ही आदिशक्ति रूप हैं और शिव की अर्द्धांगिनी हैं। ●शैल पुत्री पार्वती ही महा सरस्वती महा लक्ष्मी और महाकाली हैं। शैलपुत्री पार्वती ही दश महाविद्या हैं,सृजन पालन संहारशक्ति हैं और चेतना रूप से सवर्त्र व्याप्त हैं।या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता ।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।: षड़चक्र चित्र, देश के शक्ति पीठ स्थल चित्र गूगल से, शैलपुत्री गीता प्रेस की पुस्तक से, हिंगलाज india times से साभार।

दुर्गा माँ के अनेक रूप में से एक माँ शैलपुत्री के बारे में आप क्या बता सकते हैं? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संगरिया राजस्थान की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब नेहा जी प्रश्न के लिए धन्यवाद। आइए देखते हैं देवी माँ का शैलपुत्री नाम कहाँ किस संदर्भ में आया है। दुर्गा सप्तशती के पाठ के आरम्भ में पाठ की सिद्धि सफलता के लिए ★  कवच ★कीलक और ★अर्गला इन तीन का पाठ करने पर जोर दिया गया है। इनमें से प्रथम  देव्या कवचम  के पाठ से साधक का सम्पूर्ण शरीर सभी प्रकार की बाधाओं से सुरक्षित हो जाता है।इसमें ५६ श्लोक हैं। देवी चण्डिका को नमस्कार के उपरांत इन श्लोकों में से आरंभ के तीसरे चौथे और पांचवें श्लोक में जगदंबिका के नौ नाम दिए हैं: प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्म चारिणी ।तृतीयं चंद्र घण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम।। पञ्चमं स्कन्द मातेति षष्टम कात्यायनीति च। सप्तम कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम ।। नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गा: प्रकीर्तिताः। उपरोक्त नौ नामों में प्रथम नाम शैलपुत्री है। इसका अर्थ हुआ गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती। यह हिमालय की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत...

।।ॐ नमः शिवाय।।-------------+++---------------++++---------By smajsevi Vnita kasnia PunjabAapka bhi parivar टूट रहा हो बिखर रहा हो तो आप आज का यह प्रयोग यह उपाय अवश्य करें इस प्रयोग का असर इसका चमत्कार आप तुरंत दिखेगा।यदि आपके घर मे रोज लड़ाई झगड़े मारपीट एक तरह से दिनचर्या बन चुका है ऐसा तमाशा आपके घर रोज होने लग गया है और अब आपका परिवार टूटने लगा बिखरने लगा है।तो आज का यह प्रयोग आपके घर आपके परिवार के लिए एक वरदान सिद्ध होगा।आपको करना क्या है----------किसी भी शनिवार के दिन आपके घर जितने भी सदस्य हैं उन सभी के पुराने कपड़े का छोटा छोटा टुकड़ा आपको ले लेना है। जिस बच्चे का उम्र दस वर्ष से नीचे है उनके कपड़े आपको नही लेनी है।अब आप किसी पंसारी की दुकान पर जाएं और वँहा से ले आएं कुटम्बी जाल और अब जो कपड़े आपने लिया पुराने कपड़े घर के सदस्यों का उन कपड़ो को एक के ऊपर एक रखकर अब सबसे ऊपर इस कुटम्बी जाल को रख देना है।अब कलावे से इन सबको लपेट देना है इस प्रयोग को शनिवार को करना है शनिवार सुबह सात बजे से रात दस बजे तक आप यह कर सकते हैं।अब इसमें सिंदूर की पांच टिका तिलक इसपर लगाएंगे जो इत्र आपके पास हो थोड़ा सा इसपर इत्र डाल दें। अब इस पोटली को ले कर अपने पूजन कक्ष में जाएं और किसी भी देवी देवता के मूर्ति फोटो के पीछे रख दें।ध्यान रहे साफ सफाई करते वक्त कोई इसे निकाल कर कंही फेंक न दे इसे 21 दिनों तक दोबारा हाथ भी नही लगाना है फिर 22वे दिन इसे किसी नदी तालाब नहर कुंआ सरोवर में ले जाकर विषर्जन करें।यदि आपके यंहा कुंआ नहर नदी सरोवर तालाब नही है तो ऐसे लोग इसे किसी भी नीम या आम के वृक्ष के नीचे जमीन को गढ्ढा खोदकर गड़ा देंगे।इस प्रयोग का रिजल्ट आपको 1 से 2 दिनों के भीतर देखने को मिलेगा सब आपस मे मिलजुलकर रहने लगेंगे।।इस प्रयोग को करने के पश्चात जो परिणाम आपको मिलेगा उससे हमे अवगत अवश्य कराइये।।धन्यवादॐ नमः शिवाय।।ॐ क्लीं कृष्णाय

ग्रह ठीक ना कर सको तो गृह ठीक करो जिंदगी बदले गीआओ बताती हूं किस तरह जिंदगी की सारी मुश्किलें हल हो जाएंगी, जिंदगी किस तरह से सुख संपदा से गुजरेगी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबअगर आपके पास कुंडली नहीं है, अगर आप की कुंडली के ज्यादातर ग्रह पस्त हैं शनि ग्रह अस्त है। बहुत अनुष्ठान करा लिए, सही ज्योतिषाचार्य सही, गुरु या सही साधक नहीं मिला तो उसके बावजूद जिंदगी कैसे अच्छी होगी खुशियां कैसे आएंगी, आगे पढ़ो बताती हूं हमारी कुंडली में 12 खाने हैं पर भौतिक ग्रह 7 और छाया ग्रह 2 तो तीन खाने जो खाली हैं। वह किसके हैं बड़े महत्वपूर्ण और यही तीन खाने ऐसे हैं जो खुद आपके हाथ में हैं, इन तीन खानों में आप खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन बन सकते हो, खुद ही पीड़ित और खुद ही ज्योतिष बन सकते हो अपनी जिंदगी को खुद पलट कर रख सकते हो। नौ ग्रहों के 9 खानों के बाद दसवां खाना है दसवें ग्रह का वह है धरती ग्रह है, जिसे हम गिनते नहीं, उसमें आपका आता है कर्म और आपके शरीर में महत्वपूर्ण अंग अंगूठा, हमारा शरीर धरती के 3 मुख्य तत्वों से बना है जिनमें से वायु मिट्टी और पानी बाकी दो तत्व आकाशीय है अग्नि और आकाश हम जब भी ध्यान लगाते हैं खुद को बैलेंस करने के लिए तो जो ग्रह खराब है उसी की उंगली हम अंगूठे पर रखते हैं अंगूठा यानी हमारा धरती तत्व और हमारा यह शरीर उंगलियां यानी अलग-अलग ग्रह की प्रतीक या पंच तत्वों की प्रतीक। जिस तरह का अनबैलेंस जीवन होता है वही उंगली अंगूठे पर रखकर ध्यान लगाया जाता है और उस ग्रह की ताकत, ऊर्जा अंगूठे में ट्रांसफर की जाती है या शरीर में ट्रांसफर की जाती है आइए अब मुख्य बात ग्रह..... जिनकी यादें, साल्ट, पूर्व जन्मों की यादों के अनुसार हमारी प्रवृत्ति के अनुसार हमारे अंदर मिश्रित होते हैं और उन से लिए गए फैसले ही हमारा भविष्य और वर्तमान तय होते हैं। हमारा दसवां खाना पृथ्वी का 11वां खाना हनरे गृह का आज 11वें खाने के बारे बात करते हैं। घर का वास्तु इतना ज्यादा पावरफुल है कि वह सारे ग्रहों को ठीक कर सकता है। उनके बुरे प्रभाव को खत्म कर सकता है और जिंदगी सुख पूर्व कर सकता है। तो किसी भी हालत में अपने घर का वास्तु ठीक कीजिए।घर की ढलान उत्तर पूर्व साइड में रखें, छत की भी और फर्श की भी, यह सबसे मुख्य पार्ट है यह आपके जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है पश्चिम और दक्षिण साइड भारी उत्तर और पूर्व साइड हल्का वायु और धूप उत्तर और पूर्व से आनी चाहिए घर के मुखिया का कमरा नृत्य कोण में घर की अलमारी घर का पैसा सब इसी कोण में रसोई अग्नि कोण में सीढ़ियां दक्षिण साइड में अगर बिटिया की शादी नहीं हो रही तो उसका कमरा वावय कोण में, घर के लोग अपने संप्रदाय अपने धर्म के अनुसार मंत्र का जप रोजाना करें। अपने इष्ट की भक्ति करते रहें। घर के मध्य में वास्तु यंत्र स्थापित होना चाहिए। घर का मध्य खाली होना चाहिए वहां कोई ज्यादा बोझ नहीं होना चाहिए, अगर मंत्र जप करने का समय नहीं है तो ऐसे कई तरह की बेल या छोटे यंत्र आते हैं कि उस पर मंत्र चलता रहता है घर की रसोई ठीक कर ली तो औरतों का जीवन सुखी कर लिया अगर औरतों का जीवन सुखी नहीं है तो घर की रसोई भी ठीक नहीं है। जिनका भी अग्नि कौन बढ़ा हुआ है प्लाट का, उनका व्यापार नहीं चलेगा, नृत्य कोण में दिक्कत है तो समाज में प्रतिष्ठा तथा औलाद को लेकर दिक्कत है ।घर का वास्तु ठीक करने से घर रहने वाले सभी प्राणियों की कुंडली ठीक हो जाती है। ध्यान से भी ग्रह ठीक होते हैं यह अगली पोस्ट में सिर्फ घर का वास्तु ठीक करके मैंने बहुत लोगों की जिंदगी बदल दी है, बीमार रहने वाली औरतों को ठीक किया है।जो वर्षों से ठीक नहीं हो रही थी संतान को लेकर मुश्किल है सिर्फ वास्तु ठीक करने से हो गई धन और पैसे की दिक्कत भी सिर्फ घर के वास्तु को ठीक करने से हो गई। कुछ लोगों की कुंडली ऐसी होती है कि मैं कितनी भी कोशिश कर लूं वह लोग जप अनुष्ठान नही करा पाते हैं ना वह बात मानते हैं उनका बस वास्तु ठीक कर दो फिर सब ठीकबाल वनिता महिला आश्रम

यदि घर कलह से हैं परेशान तो ये 7 उपाय जिंदगी को बनाएंगे आसानBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब1- रात्रि को सोने से पहले किसी पीतल के बर्तन में कपूर लेकर उसे गाय के शुद्ध घी में डुबोकर जला दें। इस उपाय से घर के क्लेश का नाश होता है तथा घर में शांति आती है।2- यदि पति-पत्नी में क्लेश रहता है, तो पत्नी रात को सोते समय बिना टोके कुछ कपूर पति के तकिये की नीचे रख दे और सुबह बिना टोके उसे जला दे। इसके पश्चात् राख को बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दे। इस उपाय से आपस में शांति बनी रहेगी तथा प्रेम बढ़ेगा।3- घर की कलह को दूर करने के लिए गृह स्वामी को पीपल के वृक्ष की सेवा करनी चाहिए। साथ ही पीपल के पौधे को रोपना और एक बड़े पेड़ में तब्दील होने तक उसकी निरंतर देखभाल करना चाहिए।4- घर के अंदर सप्ताह में किसी एक दिन कपूर जलाकर उसका धुंआ घर में देने से गृह क्लेश नहीं होता तथा घर में शांति का वास रहता है।5- रविवार के दिन उपले पर कपूर और गुड़ रखकर उस पर थोड़ा घी डाल कर जलाएं। इस उपाय से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होंगी।6- मंगलवार के दिन हनुमान जी के समक्ष पंचमुखी दीप प्रज्ज्वलित करें और अष्टगंध जलाकर उसकी सुगंध पूरे घर में फैलाएं। घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होगा।7- घर के सभी छोटे बड़ों की समान रूप से इज्जत करनी चाहिए और उनके द्वारा कही बातों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। नाम बाल वबाल वनिता महिला आश्रम

🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺 💖💙💖💙💖💙💖💙💖💙💖💙💖💙💖 🌹❤!!#शुभ_संध्या ‎#वंदन_जी!!❤🌹💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺 🌲🌹🌷࿗ ‎#जय_श्री_राधे_कृष्णा ࿗🌷🌹🌲~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ‏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹!!श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा!!🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🥀By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🥀🙏🙏🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀!🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿*!!फूलों में सज रहे हैं, ‏श्री वृन्दावन बिहारी।!**!!और संग में सज रही है वृषभानु की दुलारी॥* ‏🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿*!!टेडा सा मुकुट सर पर रखा है किस अदा से,!!*!!करुना बरस रही है, ‏करुना भरी निगाह से।!**!!बिन मोल बिक गयी हूँ, ‏जब से छबि निहारी॥* ‏🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿*!!बहिया गले में डाले जब दोनों मुस्कुराते,!!**!!सब को ही प्यारे लगते, ‏सब के ही मन को भाते।!**!!इन दोनों पे मैं सदके, ‏इन दोनों पे मैं वारी॥* ‏🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿*!!श्रृंगार तेरा प्यारे, ‏शोभा कहूँ क्या उसकी,!!**!!इत पे गुलाबी पटका, ‏उत पे गुलाबी साडी॥* ‏🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿*!!नीलम से सोहे मोहन, ‏स्वर्णिम सी सोहे राधा।!**!!इत नन्द का है छोरा, ‏उत भानु की दुलारी॥* ‏🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿*!!चुन चुन के कालिया जिसने बंगला तेरा बनाया,!!**!!दिव्या आभूषणों से जिसने तुझे सजाया,!!* ‏🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿 ‎*!! ‏फूलों में सज रहे हैं, ‏श्री वृन्दावन बिहारी।!* *!!और संग में सज रही है वृषभानु की दुलारी!!* ‏🌿🌿🌿🌼🌹🌹❤️❤️🌹🌹🌼🌿🌿 ‎*!! ‏हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे ‎!!* *!!हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे ‎!!* ❤️🌹🌹🌼🌼🌹🌹🌼🌼🌹🌹❤️ ‎*आंसू पोंछ कर मेरे* * ‏मेरे कृष्ण ने हँसाया है मुझे ‎*🙏 ‎*मेरी हर गलती पर भी मेरे ‎* *ठाकुर ने सीने से लगाया है मुझे** ‏विश्वास क्यों न हो मुझे अपने बंसी वाले पर । ‎* *उसने हर हाल में ‎................*💓 ‎* ‏जीना सिखाया है मुझे ‎"!!*🙏 🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿 ‎❤राधे राधे❤ ‏🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿 ‎* ‏जिसकी नजरो में है श्याम प्यारे,* *वो तो रहते हैं जग से न्यारे।* * ‏जिसकी नज़रों में मोहन समाये,* *वो नज़र फिर तरसती नहीं है॥* ‏🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹 ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ 🌿🌿🌹🌹🌸🌸❤️❤️🌸🌸🌹🌹🌿🌿*🙏🏼#अलबेली_सरकार ‎#करदो_करदो_बेडा_पार 🌸 🌹🙏जय जय श्री राधे राधे जी🙏🌹💖💙💖💙💖💙💖💙💖💙💖💙💖💙💖🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖 🌹🌹‼️ ‎#बाल_वनीता_महील ‎_आश्रम‼️🌹🌹🌷🎊#राधे_माला_कीर्तन_पोस्ट🎊🌷🌺*""*•.¸जय श्री राधे ‎¸.•*""*🌺🍒👣#श्री_राधेकृष्णमयी_सुप्रभात👣🍒By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🏵️🧡🏵️🧡🏵️🧡💃🧘💃🧡🏵️🧡🏵️🧡🏵️✍️ ‎#आया ‎#सावन बड़ा मन भावन रिम ‎- ‏झिम की✨ ✨🏵️🔶🏵️🔶🏵️🔶🏵️🔶🏵️🔶🏵️🔶🏵️✨✨पड़े फुहार राधा झूला झूल रहीं कान्हा संग में💃✨🏵️🧡🏵️🧡🏵️🧡💃🧘💃🧡🏵️🧡🏵️🧡🏵️🙏 ‎#सुंदर 👌#भजन 💃सावन का पहला राधा रानी ‎✨✨✨✨✨✨✨ ‏जूं कान्हा के नाम💃 👇👍🙏श्री हरि सखी री...🙌✍️#श्रंगारित राधे हुई, ‏कृष्ण करें श्रंगार ‎✨✨✨✨✨✨✨✨✨तीनों ‎#लोक निहारिए, ‏कहां है ऐसा प्यार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨रंग देख राधे का बोले, ‏हर्षित कृष्ण मुरार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨शरद ‎#पूर्णिमा चाँद हो, ‏अमृत की हो बहार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨मंद मंद मुस्काए राधे, ‏देख कृष्ण का प्यार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨हृदय करें आलिंगन ले लूं, ‏लौटाने को प्यार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨मुरली धरी हाथ के नीचे, ‏करने को आभार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨हे कान्हा सावन है आयो, ‏सुनने राग मल्हार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨"विकुश" ‏हृदय विचलित रहता है, ‏दर्शन को हर बार✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨🙏आन बसों नयनन् में मेरे, ‏हे मेरी सरकार🙏 ‎✨✨✨✨🙇👁️‍🗨️🙇✨✨✨✨🙋🏼‍♂️जय जय श्री राधे👣😔✨✨✨✨✨✨शुभ मंगल प्रभात जी🙏💖➖🔶आप सभी का दिन शुभ हो जी🔶➖💖 ‎❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤*🙏🏼🌸🌼#अलबेली_सरकार_कर के सभी भक्तो को मेरा ‎#प्रणाम🙏🙏 ‎❤❤❤❤❤❤❤❤*🙏🏼🌸🌼#अलबेली_सरकार ‎#करदो_करदो_बेडा_पार🙏🏼🌸🌼🌿🌿🌿🌿🌹🌿🌿🌿🌿*🌷🍀 ‎#सुप्रभात,,,राधे राधे जी 🍀🌷*🙏🙏🙏🙏बाल वनिता महिला आश्रम🌺🌿 🌿🌿🌿🌿🌷🌷 🌿🌿🌿🌿🌿🌺*💐#राधे_माला# #कीर्तन_पोस्ट*💐 ‎#बाल_वनिता_महिला_आश्रम🌸 🌾 ‎#श्री_राधेकृष्णमयी ‎#शुभ_प्रभात ‎#स्नेह_वंदन 🌾 🌸👐#राधे_राधे_जी👐भक्ति रस भक्ति मय पावन अलबेली सरकार✨✨✨✨✨✨✨✨✨🌹प्रिय भक्तों आप सभी लोगों को जय श्री राधे कृष्णा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरो कान्हा गुलाब को फूल🌹किशोरी मेरी कुसुम कली🌼मेरो कान्हा गुलाब को फूल🌹,किशोरी मेरी कुसुम कली🌼💚💚💚💚💚💚💚💚💚💚💚💚💚💚💚कान्हा मेरो नन्द जू को छोना, ‏श्री राधे वृषभान लली,किशोरी मेरी कुसुम कली🌼,मेरो कान्हा गुलाब को फूल🌹, ‏किशोरी मेरी कुसुम कली🌼 💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜कान्हा भावे माखन-लोना, ‏राधे भावे मिसरी की डली,किशोरी मेरी कुसुम कली🌼,मेरो कान्हा गुलाब को फूल🌹, ‏किशोरी मेरी कुसुम कली🌼💛💛💛💛💛💛💛💛💛💛💛💛💛कान्हा खेले नन्द जू के अँगना, ‏राधे खेले रंगीली गली,किशोरी मेरी कुसुम कली🌼,मेरो कान्हा गुलाब को फूल🌹, ‏किशोरी मेरी कुसुम कली🌼🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ‎⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️⚡️ ना दिन का पता ना रात का । एक जवाब दे शयाम मेरी बात का ।। कितने दिन बीत गये तुझसे बिछड़े हुये ।ये बता दे कौन सा दिन रखा हैं हमारी मुलाकात का ।। 🌹जय श्री कृष्णा🌹 🌼श्री राधें राधें🌼 ‎❄️🙏❄️👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏*🙏🏼🌸🌼#अलबेली_सरकार_करदो_करदो_बेडा_पार🙏🏼🌸*🌞🌞सुप्रभात 🌞🌞* *🙏🙏जय श्री कृष्णा 🙏🙏**।। आपका दिन शुभ और मंगलमय हो ।।*🌿🌿🌿🌿🌹🌿🌿🌿🌿*🌷🍀 सुप्रभात,,,राधे राधे जी 🍀🌷* #वनिता ‎#कासनियां ‎#पंजाब🙏🙏🙏🙏*💐#राधे_माला ‎#कीर्तन_पोस्ट*💐 🌸 🌾 ‎#श्री_राधे ‎#कृष्णमयी ‎*🙏🌷#सुप्रभात🌷🙏*#स्नेह_ #वंदन 🌾 🌸👐#राधे_राधे_जी👐¸.•*""*•¸ ¸.•*""*•.¸ ¸.•*""*•.¸ ‏🌺🌻🌹🌷🌼🌸💐🍄🌲🌳 ‎#बाल_वनिता_महिला_आश्रम 🌾🌷#अलबेली_दरबार के सभी परम भक्तों प्रभु प्रेमियों को ‎*#दिल_से ‎*#राधे_राधे जी* ‏👐👐राधे माला ‎#कीर्तन🌺 में आपका ‎#हार्दिक_अभिनंदन जी🌷🌺🍀🌻चलो भक्तो👏🌿💕🌷💐 ‎#राधे_माला_कीर्तन में चलते हैं.....और ‎#प्रभु_चरणों 🐾में अपनी-अपनी ‎#हाजरी लगाते हैं❤❤❤❤❤❤❤❤मृदुल भाषिणी राधा । राधा ॥सौंदर्य राषिणी राधा । राधा ॥परम् पुनीता राधा । राधा ॥नित्य नव नीता राधा । राधा ॥रास विला सिनी राधा । राधा ॥दिव्य सु वा सिनी राधा । राधा ॥नवल किशोरी राधा । राधा ॥अति ही भोरी राधा । राधा ॥कंचन वर्णी राधा । राधा ॥नित्य सुख करणी राधा । राधा ॥सुभग भा मिनी राधा । राधा ॥जगत स्वा मिनी राधा । राधा ॥कृष्ण आन न्दिनी राधा । राधा ॥आनंद कन्दि नी राधा । राधा ॥ प्रेम मूर्ति राधा । राधा ॥रस आपूर्ति राधा । राधा ॥नवल ब्रजेश्वरी राधा राधा ॥नित्य रासेश्वरी राधा राधा ॥कोमल अंगि नी राधा । राधा ॥कृष्ण संगिनी राधा । राधा ॥कृपा वर्षि णी राधा । राधा ॥परम् हर्षि णी राधा । राधा ॥सिंधु स्वरूपा राधा । राधा ॥परम् अनूपा राधा । राधा ॥परम् हितकारी राधा । राधा ॥कृष्ण सुखकारी राधा । राधा ॥निकुंज स्वामिनी राधा । राधा ॥नवल भामिनी राधा । राधा ॥रास रासे श्वरी राधा । राधा ॥स्वयम् परमेश ्वरी राधा । राधा ॥सकल गुणीता ‎#राधा । राधा ॥रसि किनी पुनीता राधा । राधा ॥कर जोरि वन्दन करूँ मैंनित नित करूँ प्रणामरसना से गाती रहूँश्री राधा राधा नामजय श्री कृष्ण जी*🙏🏼🌸🌼#अलबेली ‎#सरकार_करदो_करदो_बेडा_पार🙏🏼🌸🌼🌿🌿🌿🌿🌹🌿🌿🌿🌿*🌷🍀,,,राधे राधे जी 🍀🌷*🙏🙏🙏🙏*💐#राधे_माला_कीर्तन_पोस्ट*💐 🌸 🌾 ‎#श्री_राधेकृष्णमयी ‎#शुभ_प्रभात ‎#स्नेह_वंदन 🌾 🌸👐#राधे_राधे_जी👐¸.•*""*•¸ ¸.•*""*•.¸ ¸.•*""*•.¸ ‏🌺🌻🌹🌷🌼🌸💐🍄🌲🌳 🌾🌷#अलबेली_दरबार के सभी परम भक्तों प्रभु प्रेमियों को ‎*#दिल_से ‎*#राधे_राधे जी* ‏👐👐राधे माला ‎#कीर्तन🌺 में आपका ‎#हार्दिक_अभिनंदन जी🌷🌺🍀🌻चलो भक्तो👏🌿💕🌷💐 ‎#राधे_माला_कीर्तन 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क्या श्रीराम का पिनाक को भंग करना उचित था?माता सीता के स्वयंवर के विषय में हम सभी जानते हैं। इसी स्वयंवर में श्रीराम ने उस पिनाक को सहज ही उठा कर तोड़ डाला जिसे वहाँ उपस्थित समस्त योद्धा मिल कर हिला भी ना सके। हालाँकि कई लोग ये पूछते हैं कि श्रीराम ने धनुष उठा कर स्वयंवर की शर्त तो पूरी कर ही दी थी, फिर उस धनुष को भंग करने की क्या आवश्यकता थी?यदि आप मेरा दृष्टिकोण पूछें तो मैं यही कहूंगा कि उस धनुष की आयु उतनी ही थी। अपना औचित्य (देवी सीता हेतु श्रीराम का चुनाव) पूर्ण करने के उपरांत उस धनुष का उद्देश्य समाप्त हो गया। उसके उपरांत पिनाक का पृथ्वी पर कोई अन्य कार्य शेष नही था। कदाचित यही कारण था कि श्रीराम ने उस धनुष को भंग कर दिया।वैसे यदि आप वाल्मीकि रामायण एवं रामचरितमानस का संदर्भ लें तो दोनों में एक ही चीज लिखी है - सीता स्वयंवर के समय श्रीराम द्वारा उस महान धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के प्रयास में वो धनुष टूट गया। अर्थात मूल रामायण के अनुसार श्रीराम ने उस धनुष को जान-बूझ कर नही तोड़ा था अपितु प्रत्यंचा चढ़ाते समय वो अनायास ही टूट गया। भगवान परशुराम के क्रोधित होने पर श्रीराम उन्हें भी यही कहते हैं कि वो धनुष उनसे अनजाने में टूट गया।हालांकि यदि आप पिनाक के इतिहास के बारे में पढ़े, जिसका वर्णन विष्णु पुराण और शिव पुराण, दोनों में विस्तार से दिया गया है, तो इस धनुष के भंग होने का वास्तविक कारण आपके समझ मे आ जाएगा। इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी है जिसके अनुसार समय आने पर पिनाक को भंग होना ही था और वो भी भगवान विष्णु के द्वारा ही। इस कथा के अनुसार भगवान शंकर का धनुष पिनाक और भगवान नारायण का धनुष श्राङ्ग, दोनों का निर्माण स्वयं परमपिता ब्रह्मा ने किया था। एक बार इस बात पर चर्चा हुई कि दोनों धनुषों में से श्रेष्ठ कौन है। तब ब्रह्मदेव की मध्यस्थता में भोलेनाथ और श्रीहरि में अपने-अपने धनुष से युद्ध हुआ। हर और हरि के युद्ध का परिणाम तो भला क्या निकलता किन्तु उस युद्ध में श्रीहरि की अद्भुत धनुर्विद्या देखने के लिए महादेव एक क्षण के लिए रुक गए।युद्ध के अंत में दोनों ने ब्रह्मा जी से निर्णय देने को कहा। शिवजी और विष्णुजी धनुर्विद्या में अंतर बता पाना असंभव था। किन्तु कोई निर्णय तो देना ही था इसी कारण ब्रह्माजी ने कहा कि चूंकि महादेव युद्ध मे एक क्षण रुक कर नारायण का कौशल देखने लगे थे, इसी कारण श्राङ्ग पिनाक से श्रेष्ठ है। ये सुनकर महादेव बड़े रुष्ट हुए और उन्होंने उसी समय पिनाक का त्याग कर दिया। उन्होंने भगवान विष्णु से कहा कि अब आप ही इस धनुष का नाश करें। महादेव की इच्छा का मान रखते हुए श्रीहरि ने कहा कि समय आने पर वे उस धनुष को भंग करेंगे।भगवान शंकर द्वारा त्याग दिए जाने के पश्चात वो धनुष कुछ समय तक ब्रह्मा जी के पास ही रहा। बाद में उन्होंने उसे वरुण को दे दिया। वरुण देव ने पिनाक को देवराज इंद्र को रखने को दिया। बाद में इंद्र ने उस धनुष का दायित्व मिथिला के तत्कालीन राजा देवरात को दिया। यही देवरात मिथिला नरेश जनक के पूर्वज थे। पीढ़ी दर पीढ़ी होता हुआ वो धनुष जनक को प्राप्त हुआ। पृथ्वी पर उसे "शिव धनुष" कहा गया। महर्षि वाल्मीकि ने मूल रामायण में इसे शिव धनुष ही कहा है जबकि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में इसे पिनाक कहा है।एक अन्य कथा के अनुसार जब नारायण और महादेव युद्ध के लिए तत्पर हुए तो उस समय एक आकाशवाणी हुई कि ये युद्ध संसार के कल्याण के लिए संकट है जिससे संसार का नाश हो जाएगा। इस पर श्रीहरि तो पहले की भांति धनुषबद्ध रहे किन्तु भगवान रूद्र ने आकाशवाणी सुन कर उसे पृथ्वी पर फेंक दिया। बाद में वही धनुष जनक के पूर्वज देवरात को प्राप्त हुआ।कहते हैं कि एक बार माता सीता ने केवल ७ वर्ष की आयु में उस धनुष को उठा लाया था जिसे कोई हिला भी नही पाता था। तब राजा जनक ने ये प्रण किया कि वो उसी से सीता का विवाह करेंगे जो इस महान धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा। उधर भगवान विष्णु श्रीराम के रूप में अवतरित हो चुके थे। सीता स्वयंवर में श्रीराम रूपी नारायण ने महादेव की इच्छा को फलीभूत करने के लिए ही अंततः उस धनुष को भंग कर दिया। अर्थात वो महान धनुष महादेव की इच्छा से ही भंग हुआ, सीता स्वयंवर तो केवल निमित्त मात्र था।वास्तव में ये घटना सृष्टि के उस नियम को भी प्रतिपादित करती है जिसके अनुसार सृष्टि में कुछ भी अनश्वर नही है, चाहे वो मनुष्य हो अथवा वस्तु। समय पूर्ण होने पर सबका नाश होना अवश्यम्भावी है, यही सृष्टि का अटल नियम है। जय श्री हरिहर।

अशोक सुंदरी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्रों श्री कार्तिकेय एवं श्रीगणेश के विषय में तो हम सभी जानते हैं किन्तु उनकी कन्या "अशोकसुन्दरी" के विषय में सबको अधिक जानकारी नहीं है। हालांकि महादेव की और भी पुत्रियां मानी गयी हैं, विशेषकर जिन्हें नागकन्या माना गया - जया, विषहरी, शामिलबारी, देव और दोतलि। किन्तु अशोक सुंदरी को ही महादेव की की पुत्री बताया गया है इसीलिए वही गणेशजी एवं कार्तिकेय की बहन मानी जाती है। कई जगह पर इन्हे गणेश की छोटी बहन भी बताया गया है लेकिन अधिकतर स्थानों पर ये मान्यता है कि ये गणेश की बड़ी बहन थी। पद्मपुराण अनुसार अशोक सुंदरी देवकन्या हैं।  इनकी उत्पत्ति के विषय में एक कथा है कि देवी पार्वती ने उन्हें कल्पवृक्ष से प्राप्त किया था। एक बार देवी पार्वती को उदास देख कर महादेव ने उनका मन बहलाने के लिए उन्हें स्वर्गलोक के नंदनवन ले गए। वहाँ कल्पवृक्ष को देख कर माता को अत्यधिक हर्ष हुआ और वे उनके नीचे ही बैठ गयी। उस समय देवराज इंद्र ने माता की बड़ी सेवा की जिससे वे अत्यंत प्रसन्न हुई। उसी वृक्ष के नीचे बै...
*💐माँ के प्रेम की पराकाष्ठा💐* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब *गाँव के सरकारी स्कूल में संस्कृत की क्लास चल रही थी। गुरूजी दिवाली की छुट्टियों का कार्य बता रहे थे।* *तभी शायद किसी शरारती विद्यार्थी के पटाखे से स्कूल के स्टोर रूम में पड़ी दरी और कपड़ो में आग लग गयी। देखते ही देखते आग ने भीषण रूप धारण कर लिया। वहां पड़ा सारा फर्निचर भी स्वाहा हो गया।* *सभी विद्यार्थी पास के घरो से, हेडपम्पों से जो बर्तन हाथ में आया उसी में पानी भर भर कर आग बुझाने लगे।* *आग शांत होने के काफी देर बाद स्टोर रूम में घुसे तो सभी विद्यार्थियों की दृष्टि स्टोर रूम की बालकनी (छज्जे) पर जल कर कोयला बने पक्षी की ओर गयी।* *पक्षी की मुद्रा देख कर स्पष्ट था कि पक्षी ने उड़ कर अपनी जान बचाने का प्रयास तक नही किया था और वह स्वेच्छा से आग में भस्म हो गया था।* *सभी को बहुत आश्चर्य हुआ।* बाल वनिता महिला आश्रम *एक विद्यार्थी ने उस जल कर कोयला बने पक्षी को धकेला तो उसके नीचे से तीन नवजात चूजे दिखाई दिए, जो सकुशल थे और चहक रहे थे।* *उन्हें आग से बचाने के लिए पक्षी ने अपने पंखों के नीचे छिपा लिया और अपनी जान देकर अपने चूजों क...