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ब्रह्मांड में सबसे बड़ी वस्तु क्या है?(बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब)IT Pro, F1 fan and Space enthusiast.हो सकता है कि यह जवाब Quora अंग्रेज़ी पर वनिता कासनियां द्वारा द्रा दिए गए जवाब का सटीक अनुवाद न हो:What is the largest object in the universe?सबसे बड़ी गैर-गोलाकार ठोस वस्तु: Haumea – 620 किलोमीटर रेडियससबसे बड़ा चंद्रमा: Ganymede – 2,634 किलोमीटर रेडियस (वनिता कासनियां पंजाब)सबसे बड़ा चट्टानी ग्रह: Kepler-10c – 15,000 किलोमीटर रेडियससबसे बड़ा गैस विशाल ग्रह: HD 100546 b – 4.19 लाख किलोमीटर रेडियससबसे बड़ा रिंग सिस्टम: J1407b – 9 करोड़ किलोमीटर रेडियससबसे बड़ा तारा: Stephenson 2-18 – 150 करोड़ किलोमीटर रेडियससबसे बड़ा ब्लैक होल: TON 618 – 19.4 हजार करोड़ किलोमीटर रेडियससबसे बड़ा नाब्युला: LAB-1 – 6 लाख प्रकाश वर्ष रेडियससबसे बड़ी आकाशगंगा: IC 1101 – 78.4 लाख प्रकाश वर्ष रेडियससबसे बड़ी संरचना: हरक्यूलिस-कोरोना बोरेलिस महान दीवार – 20 अरब प्रकाश-वर्ष रेडियस

ब्रह्मांड में सबसे बड़ी वस्तु क्या है? (बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब) IT Pro, F1 fan and Space enthusiast. हो सकता है कि यह जवाब Quora अंग्रेज़ी पर वनिता कासनियां द्वारा  द्रा दिए गए जवाब का सटीक अनुवाद न हो: What is the largest object in the universe? सबसे बड़ी गैर-गोलाकार ठोस वस्तु: Haumea –  620 किलोमीटर रेडियस सबसे बड़ा चंद्रमा: Ganymede –  2,634 किलोमीटर रेडियस   (वनिता कासनियां पंजाब ) सबसे बड़ा चट्टानी ग्रह: Kepler-10c –  15,000 किलोमीटर रेडियस सबसे बड़ा गैस विशाल ग्रह: HD 100546 b –  4.19 लाख किलोमीटर रेडियस सबसे बड़ा रिंग सिस्टम: J1407b –  9 करोड़ किलोमीटर रेडियस सबसे बड़ा तारा: Stephenson 2-18 –  150 करोड़ किलोमीटर रेडियस सबसे बड़ा ब्लैक होल: TON 618 –  19.4 हजार करोड़ किलोमीटर रेडियस सबसे बड़ा नाब्युला: LAB-1 –  6 लाख प्रकाश वर्ष रेडियस सबसे बड़ी आकाशगंगा: IC 1101 –  78.4 लाख प्रकाश वर्ष रेडियस सबसे बड़ी संरचना: हरक्यूलिस-कोरोना बोरेलिस महान दीवार –  20 अरब प्रकाश-वर्...
#रामायण_में_वर्णित_मुख्य_स्थान :: बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब  1.#तमसानदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।   2.#श्रृंगवेरपुरतीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।   3.#कुरईगांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।   4.#प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था ।   5.#चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते हैं।   6.#सतना: चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि क...

शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को पांच ऋण चुकाने होते हैं बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब द्वारा1.माता का ऋण2.पिता का ऋण3.गुरु का ऋण4.धरती का ऋण5.धर्म का ऋणइन्हे कभी नही चुकाया जा सकता1.माता का ऋण चुकाने के लिये कन्या दान करना चाहिए2.पिता का ऋण चुकाने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए3.गुरु ऋण चुकाने के लिए लोगों को शिक्षित करना चाहिए4.धरती का ऋण चुकाने के लिए कृषि करें या पेड लगाएं5.धर्म का ऋण चुकाने के लिए धर्म का प्रचार करेंसनातन शिक्षा व धर्म का प्रसार करें -आधिकांश समस्याएँ स्वतः ही समाप्त हो जाएगी!

शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को पांच ऋण चुकाने होते हैं   बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब द्वारा 1.माता का ऋण 2.पिता का ऋण 3.गुरु का ऋण 4.धरती का ऋण 5.धर्म का ऋण इन्हे कभी नही चुकाया जा सकता 1.माता का ऋण चुकाने के लिये कन्या दान करना चाहिए 2.पिता का ऋण चुकाने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए 3.गुरु ऋण चुकाने के लिए लोगों को शिक्षित करना चाहिए 4.धरती का ऋण चुकाने के लिए कृषि करें या पेड लगाएं 5.धर्म का ऋण चुकाने के लिए धर्म का प्रचार करें सनातन शिक्षा व धर्म का प्रसार करें - आधिकांश समस्याएँ स्वतः ही समाप्त हो जाएगी!

गर्न्थ विष्णु पुराण में विष्णु महान, शिव पुराण में शिव और भागवत पुराण में विष्णु और शिव को परमात्मा ने बनाया, आखिर असलियत क्या है? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब संगरिया राजस्थान जी अच्छा प्रश्न है। सबसे पहली बात, परमात्मा अनंत हैं.. केवल एक रूप तक सीमित नहीं। शिव और विष्णु एक ही परब्रह्म परमात्मा के दो रूप हैं। पुराणों में उस एक परमात्मा के अलग अलग रूपों को श्रेष्ठ बताया हैं ताकि हम उनके अलग अलग रूपों में कि गई लीला के बारे में जान सके। केवल एक परमात्मा हैं जो अलग अलग रूपों में वास करते हैं। ये बात मैं नहीं कह रहा, ये हमारे शास्त्र कहते हैं।2.125.41 महाभारत का हरिवंश पर्व कहता है:-रुद्रस्य परमो विष्णुविष्णोश्च परम: शिवः।एक समान द्विधा भूतो लोके चरति नित्यसः।।रुद्रस्य परमो विशनुर्वीश्नोश्च परमः शिवः |एक ईवा द्विधा भुतो लोक चरती नित्यशाः |हिंदी अनुवाद:-रुद्र (शिव) के सर्वोच्च स्वामी विष्णु हैं और विष्णु के सर्वोच्च स्वामी रुद्र अर्थात शिव हैं। एक ही प्रभु संसार में सदैव दो रूपों में विचरण करता रहता है।2.125.29 में महाभारत के हरिवंश पर्व में यह भी लिखा है कि:-शिवाय विष्णुरूपाय विष्णवे शिवरूपीणे ।जन्मान्तरं न पश्यि तेन तौ दिशतः शिवम्शिवाय विशनुरुपया विषवे शिवरूपिने |यथअंतरम न पश्यमी तेना तौ दिशातः शिवम् || 2.125.29शिव विष्णु के रूप में हैं और विष्णु शिव के रूप में हैं। इनमें कोई अंतर नहीं है और दोनों ही रूप शुभ फल प्रदान करते हैं।अब भेद बुद्धि वाले मूर्ख पाखंडी लोग भगवान में भी ऊँच नीच करते हैं, शिव बड़े विष्णु छोटे, विष्णु बड़े शिव छोटे। इस प्रकार कुछ लोग अज्ञान वश परमात्मा के दो रूपों में भेद भाव रखते हैं.. ये रूप ज्यादा श्रेष्ठ, ये रूप थोड़ा कम। ऐसी मानसिकता वाले लोग हमेशा अहंकारी होते हैं।दो उदाहरण हमारे शास्त्रों से:-प्रजापति दक्ष- ब्रह्मा जी के पुत्र दक्ष ने माँ आदि शक्ति भवानी को प्रसन्न किया और वरदान के रूप में उनसे पुत्री रूप में जन्म लेने को कहा। माता रानी ने ऐसा ही किया, सती (माँ भवानी अर्थात पार्वती जी का अवतार) ने भगवान शिव से विवाह किया। दक्ष को शिव से नफ़रत थी, शिव सन्यासी की तरह रहते थे, कोई अच्छे कपड़े नहीं पहनते थे.. इसलिए दक्ष ने शिव जी के बारे में उल्टी सीधी बातें करी जिसके कारण क्रोध में आकर माता रानी ने अपने सती रूप में अग्नि में खुदकर देह त्याग दिया। शिव जी वैसे तो भोलेनाथ हैं लेकिन क्रोधित होने पर महारुद्र भी कहलाते हैं। दक्ष भगवान विष्णु का भक्त था, सोच रहा था कि विष्णु और उनकी इतनी विशाल सेना के होते हुए उसे कुछ नहीं हो सकता। भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया और अपनी जटाओं से एक बाल निकला और ज़मीन पर पटक दिया जिससे उनके प्रतिरूप वीरभद्र प्रकट हुए। वीरभद्र ने दक्ष की पूरी सेना का संहार कर दिया। यहाँ तक्की अपने भक्त दक्ष की रक्षा के लिए विष्णु जी ने भी प्रयत्न किया लेकिन वीरभद्र नहीं रुके। विष्णु भी थोड़ा युद्ध करने के बाद वहाँ से चले गए क्योंकि अगर वो वीरभद्र से लड़ते तो सृष्टि का अंत हो जाते क्योंकि विष्णु और शिव के रूप वीरभद्र, दोनों ही परमात्मा के रूप हैं। दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया वीरभद्र ने। हालांकि शिव जी भोलेनाथ हैं तो उन्होंने दक्ष एक और अवसर प्रदान किया और पुनर्जीवित कर दिया। दक्ष को समझ आ गया कि वे अहंकारी हो गए थे और शिव द्रोही हो गए थे। उन्होंने आगे चलकर शिव जी की भक्ति करना शुरू कर दी और समझ गए कि शिव और विष्णु एक ही हैं।लंकापति रावण- रावण बहुत बड़ा शिव भक्त था, लेकिन विष्णु से लड़ाई कर बैठा। विष्णु अर्थात श्री राम की पत्नी सीता (माँ लक्ष्मी) का हरण किया रावण ने। जिस प्रकार दक्ष ने शिव के लिए अपशब्द बोले थे, रावण ने भी राम (विष्णु) के लिए अपशब्द कहे थे। राम और रावण का भीषण युद्ध हुआ जिसमें श्री राम ने रावण का वध कर दिया था। रावण और दक्ष में केवल ये अंतर था कि रावण मृत्यु से नहीं डरता था, ज्यादा अहंकारी था। दक्ष को मृत्यु का डर था। पुनर्जीवित होने के बाद वो सुधर गए थे।इसलिए दो उदाहरण हमारे शास्त्रों में हैं कि अगर आप शिव भक्त होकर विष्णु का अपमान करते हो तो आप सच्चे शिवभक्त नहीं। यदि आप विष्णु भक्त होकर शिव का अपमान करते हो तो आप सच्चे विष्णु भक्त नहीं हो।रामचरितमानस का एक श्लोक है:-शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा। ' - अर्थात्‌ जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। ये श्री राम कहते हैं।शिव महापुराण के रुद्र संहिता में लिखा है:-हे विष्णु, सभी में व्यक्तियों में श्रेष्ठ, आपसे घृणा करने वाला निश्चित रूप से नरक में जायेगा, यही मेरा निर्देश है। आपको सम्मान दिए बिना मेरे प्रति किसी की भक्ति पूर्ण नहीं होगी।अगर विष्णु का भक्त मुझसे नफरत करता है या मेरा भक्त विष्णु से नफरत करता है, तो दोनों को कभी भी वास्तविकता का एहसास नहीं होगा। ये शिव जी कहते हैं।शिव द्रोही और विष्णु द्रोही, दोनों प्रकार के दुष्ट लोग कभी सत्य नहीं जानते।रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना श्री राम ने करी और उन्होंने रामेश्वर नाम कि परिभाषा दी- राम के ईश्वर ही रामेश्वर। वही शिव जी कहते हैं- राम जिसके ईश्वर हो वो रामेश्वर। रामेश्वर भगवान शिव हैं। वे राम के ईश्वर हैं और राम उनके ईश्वर हैं। इतना ही नहीं हनुमान जी जो श्री राम के परम भक्त हैं वे शिव जी के ही अंश अवतार हैं, इसलिए हनुमान जी को शंकर सुवन कहा गया है।महाभारत में श्री कृष्ण ने शिव जी को ईश्वर कहा है और उन्हें आपना आराध्य माना है। द्वारका में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है, वहाँ शिव जी की पूजा करने आते थे कृष्ण। सोमनाथ मंदिर में श्री कृष्ण शिव जी की भक्ति करने आते थे। शिव जी भी श्री राम का ही ध्यान करते हैं।विष्णु पुराण में बाणासुर को पराजित करने के बाद कृष्ण जी महादेव से मिलते हैं।कृष्ण कहते हैं- हे शिव शंभो, आप में और मुझ में किसी प्रकार का भेद नहीं है, जो आप हैं सो मैं हूँ और जो मैं हूँ सो आप हैं। यही बात शिव जी भी शिव पुराण में कहते हैं।विष्णु अपने हर अवतार में शिव की भक्ति करते हैं। शिव विष्णु के सभी अवतारों की भक्ति करते हैं।शिव और विष्णु का शंकरनारायण रूप जिसे हरिहर रूप कहते हैं, वो अभी यही बताता है कि हरि (विष्णु) और हर (शिव) में किसी प्रकार का भेद नहीं है। वास्तव में परमात्मा के ये दो रूप एक ही हैं। वो एक परमात्मा ही महादेव और नारायण हैं।हर हर महादेव 🙏 ओम नमो नारायण 🙏 जय श्री हरिहर 🙏

गर्न्थ विष्णु पुराण में विष्णु महान, शिव पुराण में शिव और भागवत पुराण में विष्णु और शिव को परमात्मा ने बनाया, आखिर असलियत क्या है? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब संगरिया राजस्थान  जी अच्छा प्रश्न है। सबसे पहली बात, परमात्मा अनंत हैं.. केवल एक रूप तक सीमित नहीं। शिव और विष्णु एक ही परब्रह्म परमात्मा के दो रूप हैं। पुराणों में उस एक परमात्मा के अलग अलग रूपों को श्रेष्ठ बताया हैं ताकि हम उनके अलग अलग रूपों में कि गई लीला के बारे में जान सके। केवल एक परमात्मा हैं जो अलग अलग रूपों में वास करते हैं। ये बात मैं नहीं कह रहा, ये हमारे शास्त्र कहते हैं। 2.125.41 महाभारत का हरिवंश पर्व कहता है:- रुद्रस्य परमो विष्णुविष्णोश्च परम: शिवः। एक समान द्विधा भूतो लोके चरति नित्यसः।। रुद्रस्य परमो विशनुर्वीश्नोश्च परमः शिवः | एक ईवा द्विधा भुतो लोक चरती नित्यशाः | हिंदी अनुवाद:- रुद्र (शिव) के सर्वोच्च स्वामी विष्णु हैं और विष्णु के सर्वोच्च स्वामी रुद्र अर्थात शिव हैं। एक ही प्रभु संसार में सदैव दो रूपों में विचरण करता रहता है। 2.125.29 में महाभारत के हरिवंश पर्व ...

मानव ने इस साल गूगल पर सबसे ज्‍यादा क्‍या खोजा? जान लीजिए जवाबबाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब संगरिया राजस्थानगूगल हर साल के आखिरी में एक लिस्ट जारी करता है जिसमें बताया जाता है कि साल भर लोगों ने गूगल पर सबसे ज्यादा क्या सर्च किया. 2021 भी खत्म होने में है ऐसे में गूगल में पूरी लिस्ट जारी कर दी है. भारतीयों ने इस साल गूगल पर सबसे ज्‍यादा क्‍या खोजा? जान लीजिए जवाबगूगल सर्च इन ईयर 2021 की लिस्ट जारीइन चीजों को सबसे ज्यादा खोजते हैं भारतीयनीरज चोपड़ा और IPL को दुनिया ने खोजा गूगल हर साल के आखिरी में एक लिस्ट जारी करता है जिसमें बताया जाता है कि साल भर लोगों ने गूगल पर सबसे ज्यादा क्या सर्च किया. 2021 भी खत्म होने में है ऐसे में गूगल में पूरी लिस्ट जारी कर दी है. Google के Year in Search 2021 की बात करें, तो इस दौरान कई शानदार ट्रेंड नजर आए हैं, जो आपको हंसाने के साथ ही महामारी से जूझ रहे लोगों को दास्तां बताएंगे. आइए जानते हैं कि साल 2021 कैसा रहा? इस दौरान गूगल पर भारतीयों ने किन चीजों को सबसे ज्यादा सर्च किया है. इस साल की सूची में शीर्ष पर क्रिकेट ही रहा, इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) और आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप (ICC T20 World Cup) सर्च की पूरी लिस्ट में सबसे ऊपर रहे. टॉप -10 सर्च रिजल्टइंडियन प्रीमियर लीग (IPL)कोविन (Cowin)आईसीसी वर्ल्ड कप (ICC World Cup)यूरो कप (Euro Cup)टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic)कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine)फ्री फायर रिडीम (Free Fire Redeem)Copa अमेरिका (Copa America)नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra)आर्यन खान (Aryan Khan)नियर मी पर इंडिया ने ये खोजाकोविड वैक्सीन नियर मी (Covid Vaccination Near Me)कोविड टेस्ट नियर मी (COVID test near me)फूड डिलीवरी नियर मी (Food delivery near me)ऑक्सीजन सिलेंडर नियर मी (Oxygen cylinder near me)कोविड हॉस्पीटल नियर मी (Covid hospital near me)टिफिन सर्विस नियर मी (Tiffin service near me)सीटी स्कैन नियर मी (CT scan near me)यह भी पढ़ें: बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रमवनिता कासनियां पंजाबटॉप-10 सर्च फिल्मजय भीम (तमिल)शेरशाह (हिंदी)राधे (हिंदी)बेल बॉटम (हिंदी)EternalsMaster (तमिल)शूरवंशी (हिंदी)गॉडजिला Vs किंग (इंग्लिश)दृश्यम2 (हिंदी)भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया (हिंदी)टॉप- 10 सर्च लिस्ट सेलिब्रिटीनीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra)आर्यन खान (Aryan Khan)शहनाज गिल (Shehnaaz Gill)राज कुंद्रा (Raj Kundra)एलन मस्क (Elon Musk)विक्की कौशल (Vicky Kaushal)पीवी सिंधू (PV Sindhu)बंजरंग पूनिया (Bajrang Punia)सुशील कुमार (Sushil Kumar)नताशा दलाल (Natasha Dalal)गूगल पर खोजी गई ये चीजेंकैसे कोविड वैक्सीन करें रजिस्टरवैक्सीन सर्टिफिकेट कैसे करें डाउनलोडऑक्सीजन लेवल कैसे बढ़ाएआधार से पैन कैसे करें लिंकघर पर कैसे बनाए ऑक्सीजनभारत में डॉगीक्वाइन कैसे खरीदेंबनाना ब्रेड कैसे बनाएंकैसे चेक करें आईपीओ एलॉटमेंट स्टेट्सबिटक्वॉइन में कैसे करें इन्वेस्टमेंटकैसे मार्क्स को करें कैलकुलेटगूगल से पूछे गए ये सवालब्लैक फंगस क्या है?factorial of hundred क्या है?तालिबान क्या है?अफगानिस्तान में क्या हो रहा है?Remdesivir क्या है?Square root of 4 क्या है?Steroid क्या है?Toolkit क्या है?Squid Game क्या है?Toolkit क्या है डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है?रेसिपी को लेकर क्या पूछे गए सवालEnoki मशरुममोदकमीठी मटर मलाईपालकचिकन शूपपोर्न स्टार MaritiLasagnaCokiesमटर पनीरkadaइन गेम्स को किया गया सबसे ज्यादा सर्चइंडियन प्रीमियर लीगICC T20 वर्ल्ड कपयूरो कपटोक्यो ओलंपिककोपा अमेरिकाWimbledonParalympicsFrench OpenLa LigaEnglish Premier Leagueकिन न्यूज को किया गया सबसे ज्यादा सर्चटोक्यो ओलंपिकब्लैक फंगसअफगानिस्तान न्यूजवेस्ट बंगाल इलेक्शन Tauktae तूफानलॉकडाउनSuez Canal Crisis किसान आंदोलनबर्ड फ्लूयश साइक्लोनब्लॉगरबीजेपीआप Baluwana न्यूज कोविड 19कहानी कुंडली कानून CEO बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

मानव ने इस साल गूगल पर सबसे ज्‍यादा क्‍या खोजा? जान लीजिए जवाब बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब संगरिया राजस्थान गूगल हर साल के आखिरी में एक लिस्ट जारी करता है जिसमें बताया जाता है कि साल भर लोगों ने गूगल पर सबसे ज्यादा क्या सर्च किया. 2021 भी खत्म होने में है ऐसे में गूगल में पूरी लिस्ट जारी कर दी है.  गूगल सर्च इन ईयर 2021 की लिस्ट जारी इन चीजों को सबसे ज्यादा खोजते हैं भारतीय नीरज चोपड़ा और IPL को दुनिया ने खोजा   गूगल हर साल के आखिरी में एक लिस्ट जारी करता है जिसमें बताया जाता है कि साल भर लोगों ने गूगल पर सबसे ज्यादा क्या सर्च किया. 2021 भी खत्म होने में है ऐसे में गूगल में पूरी लिस्ट जारी कर दी है. Google के Year in Search 2021 की बात करें, तो इस दौरान कई शानदार ट्रेंड नजर आए हैं, जो आपको हंसाने के साथ ही महामारी से जूझ रहे लोगों को दास्तां बताएंगे. आइए जानते हैं कि साल 2021 कैसा रहा? इस दौरान गूगल पर भारतीयों ने किन चीजों को सबसे ज्यादा सर्च किया है.  इस साल की सूची में शीर्ष पर क्रिकेट ही रहा, इंडियन प्रीमियर लीग ( Indian Premier...

,प्रात: काल जल्दी उठ हाथ-पांव धोकर पलंग के पास बैठ जाइये, विचार करें कि मैं भगवान् का एक पार्षद हूँ, एक भक्त हूँ, ऐसा सोचकर परमात्मा का चिन्तन करें, परमात्मा के गुणों का नित्य चिन्तन करे, चिन्तन कैसे करें? परमात्मा के चरणों में ब्रज अंकुश ध्वजा का चिह्न है, ये परमात्मा के चरण हैं, चरणों के चिन्तन की बात शास्त्रों में क्यों कहीं? क्योंकि हमारा जो चित है ना सज्जनों, इसे चित क्यों कहते है? ।#वनिता #कासनियां #पंजाब ❤️🙏🙏❤️क्योंकि जन्म-जन्माँतरों की वासना की गठरी हमारे चित में चिपकी हुई है, कर्मों की गठरी चित में चिपकी हुई है, जब श्रीकृष्ण के चरणों का चिन्तन करेंगे तो कृष्ण पहले अपने चरणों को हमारे चित में स्थापित करेंगे, उनके चरणों की ध्वजा, अंकुश, ब्रज आदि के द्वारा हमारे पाप की गठरी कट-कटकर हट जायेगी और हमारा चित निर्मल हो जायेगा, जब परमात्मा को हम ह्रदय रूपी घर में बिठाना चाहते हैं और उसमें काम, क्रोध, मत्स्य, वासना जैसी गंदगी भरी होगी तो क्या परमात्मा कभी आयेंगे? बिल्कुल नहीं आयेंगे, इसलिये पहले उनके चरणों का चिन्तन करें और चिन्तन के माध्यम से ह्रदय को शुद्ध करें, तब उस ह्रदय में मेरे गोविन्द का प्राकट्य हो सकता है, पहले चरणों का चिन्तन करें, घुटनों का चिन्तन करें, भगवान् के कटि प्रदेश का चिन्तन करें, प्रभु के उदर का चिन्तन करें, नाभि का चिन्तन करें, कण्ठ का चिन्तन करें और धीरे-धीरे मेरे गोविन्द के मुखार विन्द का चिन्तन करें।हासं हरेरवनताखिललोकतीव्र शोकाश्रुसागर विशोषणमत्युदारम्।सम्मोहनाय रचितं निजमाययास्य भ्रूमण्डलं मुनिकृते मकरध्वजस्य।।हंसी से परिपूर्ण प्रभु के मुखार विन्द का चिन्तन करें, क्योंकि शोकरूपी सागर में डूबा हुआ जो मनुष्य है, उसे शोक सागर से निकालकर आनन्द के महासागर में पहुंचाने की ताकत केवल परमात्मा की हंसी में हैं, हंसते हुए भगवान् के चिन्तन की बात क्यों कहीं? दोस्तो! श्रीकृष्ण के चरित्र में जितने संकट आये, जितने भी परमात्मा के चरित्र है, उनमें श्रीकृष्ण के चरित्र में जितना संकट आया, उतना संकट किसी भगवान् के जीवन में कभी नहीं आया।आप भगवान् श्रीकृष्ण के चरित्र पर एक नजर डालकर देखे- इनका जन्म कहां हुआ? जहाँ डाकुओं को बंद किया जाता है, जेलखाने में तो कन्हैया पैदा हुये जेलखाने में, जन्म लेते ही गोकुल भागना पड़ा, वहाँ केवल सात दिन के थे तो पूतना मारने आ गयी, छ: महीने के थे तब शंकटासुर राक्षस मारने आ गया, एक वर्ष के थे तो तृणावर्त मारने आया, यमुना में कूद कर कालियादमन किया, उसके बाद गिरिराज को उठाया, अघासुर, बकासुर, व्योमासुर, धेनुकासुर, केशी आदि कई राक्षसों को मारा।ग्यारह वर्ष छप्पन दिन के कृष्ण ने सैंकड़ों राक्षसों से युद्ध किया, कंस का मर्दनकर उद्धार किया, मथुरा में भी शांति नहीं मिली, जरासंध ने मथुरा को घेर लिया तो द्वारिका नामक नगरी बसा कर द्वारिका चले गये, द्वारिका में शान्ति से बैठे थे कि पांडव बोले हम संकट में हैं हमारी रक्षा करो, कौरव-पांडवों में छिड़े युद्ध में कन्हैया ने पांडवों को विजय श्री प्रदान कराई, अब थोड़ा शान्ति से बैठे थे, चलो सुख से जीवन व्यतीत होगा तो घर में ही झगड़ा शुरू हो गया।यदुवंशी एक-दूसरे पर वार करने लगे, घर में भी शान्ति नहीं मिली, कृष्ण की आँखों के सामने निन्यानवे लाख से भी ज्यादा संख्या वाले यदुवंशी ऐसे लड-लडकर, कट-कटकर मर गये, एक भी दिन श्री कृष्ण का सुख और शांति से व्यतीत नहीं हुआ, संकट पर आए संकटों का निवारण करने में ही सम्पूर्ण जीवन बीत गया, इतने संकट आने पर भी कभी आपने श्रीकृष्ण को अपने सिर पर हाथ धर कर कभी चिन्ता करते नहीं सुना।भगवान् कभी चिन्ता में डूबे हो ऐसा शास्त्रों में कहीं पर नहीं लिखा, मुस्कुराते ही रहते थे हमेशा, इसका मतलब क्या है? श्री गोविन्द कहना चाहते है कि हमेशा मुस्कुराते रहे, सदैव प्रसन्न रहना ही मेरी सर्वोपरि भक्ति है, आपने सुना होगा उल्लू को दिन में दिखायी नहीं देता और जो कौआ होता है, उसे रात में दिखायी नहीं देता, उल्लू चाहता है कि हमेशा रात बनी रहे तो अच्छा, कौआ चाहता है कि दिन बना रहे तो अच्छा है, लेकिन उल्लू और कौए के चाहने से दिन-रात कभी बदलेगा? ये कभी हो सकता है क्या? रात्रि के बाद दिन और दिन के बाद रात्रि तो आती ही रहेगी, ये क्रम है संसार का, दु:ख और सुख आते-जाते ही रहेंगे, अत: दोनो परिस्थतियों में एक से रहो, जैसी परिस्थितियां जीवन में आयें उनका डटकर मुकाबला करो, उनसे घबराओ नहीं, जो परिस्थितियों से घबरा जाता है, वो मानव जीवन में कभी प्रगति नहीं कर सकता, निराश न होइये सफलता अवश्य मिलेगी।हर जलते दीप के तले अंधेरा होता है।हर अंधेरी रात के पीछे सवेरा होता है।।लोग घबरा जाते हैं मुसीबतों को देखकर।हर मुसीबतों के बाद खुशी का तराना आता है।।सज्जनों, दु:ख से घबराना नहीं है अपने आप दु:ख शान्त हो जायेगा, केवल सामना किजिये, शास्त्र कहते हैं- रोज चिन्तन करो, मुस्कुराते हुए प्रभु के चेहरे का चिन्तन करो, जो ऐसा मानसिक पूजन नियमित करते है, धीरे-धीरे उसका मन एकाग्र हो जाता है, जिसमें हम नजर डालेंगे उसमें हमको परमात्मा दिखेगा, इसलिये मुस्कराते हुयें जीवन को भगवान् की अनुकम्पा के साथ जियें, इसी अध्यात्म संदेश के साथ आज कामदा ऐकादशी की पावन सुप्रभात् आप सभी को मंगलमय् हो।जय श्रीकृष्ण!ओऊम् नमो भगवते वासुदेवाय्

,प्रात: काल जल्दी उठ हाथ-पांव धोकर पलंग के पास बैठ जाइये, विचार करें कि मैं भगवान् का एक पार्षद हूँ, एक भक्त हूँ, ऐसा सोचकर परमात्मा का चिन्तन करें, परमात्मा के गुणों का नित्य चिन्तन करे, चिन्तन कैसे करें? परमात्मा के चरणों में ब्रज अंकुश ध्वजा का चिह्न है, ये परमात्मा के चरण हैं, चरणों के चिन्तन की बात शास्त्रों में क्यों कहीं? क्योंकि हमारा जो चित है ना सज्जनों, इसे चित क्यों कहते है? । #वनिता #कासनियां #पंजाब           ❤️🙏🙏❤️ क्योंकि जन्म-जन्माँतरों की वासना की गठरी हमारे चित में चिपकी हुई है, कर्मों की गठरी चित में चिपकी हुई है, जब श्रीकृष्ण के चरणों का चिन्तन करेंगे तो कृष्ण पहले अपने चरणों को हमारे चित में स्थापित करेंगे, उनके चरणों की ध्वजा, अंकुश, ब्रज आदि के द्वारा हमारे पाप की गठरी कट-कटकर हट जायेगी और हमारा चित निर्मल हो जायेगा, जब परमात्मा को हम ह्रदय रूपी घर में बिठाना चाहते हैं और उसमें काम, क्रोध, मत्स्य, वासना जैसी गंदगी भरी होगी तो क्या परमात्मा कभी आयेंगे?  बिल्कुल नहीं आयेंगे, इसलिये पहले उनके चरणों का चिन्तन करें और चिन्तन के माध्यम से...

हम नाम के लिये तरसते है लेकिन हनुमानजी अपने नाम को छुपाते है क्यों?#बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम की #अध्यक्ष #श्रीमती #वनिता_कासनियां #पंजाब #संगरिया #राजस्थान ❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️*प्रनवउँ #पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥मैं पवनकुमार श्री हनुमान्‌जी को प्रणाम करता हूँ, जो दुष्ट रूपी वन को भस्म करने के लिए अग्निरूप हैं, जो ज्ञान की घनमूर्ति हैं और जिनके हृदय रूपी भवन में धनुष-बाण धारण किए श्री रामजी निवास करते हैं॥ सज्जनों! हम नाम के लिये तरसते है लेकिन हनुमानजी अपने नाम को छुपाते है। हनुमानजी ने अपने नाम को छुपा लिया हम अपना प्रकट करने के लिये लालायित है, सज्जनों! कई लोग तो पत्थर पर खुदवा के जायेंगे, भले ही हम दुनिया से चले जायें लेकिन हमारा नाम रहना चाहियें, काम दिखाई दे न दे उसकी चिंता नहीं है, लेकिन नाम दिखाई देना चाहियें इसकी चिंता है, हनुमानजी का जगत में काम दिखाई देता है लेकिन हनुमानजी का कोई नाम नहीं पता लगा पाया।एक तो हनुमानजी ने अपना नाम छिपाया और दूसरा रूप, भाईयों! आपको तो मालूम है कि कुरूप कोई होता है तो बन्दर होता है, और इसके पीछे भी कारण होगा, हनुमानजी चाहते हैं कि लोग मुझे देख कर मुंह फेर ले, मैरे प्रभु का सब लोग दर्शन कर ले, मैरे प्रभु सुन्दर लगें, मै तो बन्दर ही ठीक हूँ।हम सब अपने नाम, रूप व यश के लिए रोते हैं, आप किसी भी #परिवार में जाइये, कोई न कोई यह शिकायत करते मिलेगा कि हम कितना भी कर दे, कितनी भी मेहनत करें, कितना भी काम कर दे, सबके लिए कितना भी कर दे, लेकिन हमें हमेशा अपयश ही मिलता है, हमको केवल बुराई ही बुराई मिलती है,सारा रोना यश का है।हनुमानजी हर घर में भगवान रामजी का यश चाहते हैं, जब लंका में हनुमानजी जानकीजी के पास बैठे थे और जानकी माँ स्वयं रो रही थीं तब हनुमानजी ने कहा माँ वैसे तो मैं आपको अभी ले जा सकता था, परन्तु मैं चाहता हूँ कि सारा जगत्, तीनों लोक मैरे प्रभु का यशगान करें, और बन्धुओं! जो यश का त्याग कर देता है, उनका यश हमेशा भगवान गाते हैं।अबहि मातु मैं जाऊँ लैवाई, #प्रभु आयसु नहिं राम दुहाई।कछुक दिवस जननी धरू धीरा, कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा।।निसिचर मारि तोहि ले जैहहिं, तिहुँ पुर नारदादि जस गैहहिं।।भगवान् श्री भरतजी से कहते हैं कि रघुवंश की इकहत्तर पीढियाँ भी हनुमान की सेवा में लग जायेंगी, तो भी हे भरत! रघुवंशी हनुमान के इस ऋण से उऋण नहीं होंगे, भगवान कहते हैं कि हनुमान अगर तूने अपना यश त्याग दिया तो मेरा आशीर्वाद है तेरा यश केवल मैं ही नहीं अपितु, "सहस बदन तुम्हरो जस गांवैं" हजारों मुखों से शेषनाग भी जिनका यश का गुणगान करते हैं।महावीर विनवउँ हनुमाना, राम जासु जस आपु बखाना।गिरिजा जासु प्रीति सेवकाई, बार बार प्रभु निज मुख गाई।।श्री #हनुमानजी को देखो यश से कितनी दूर है, मनुष्य जरा सा भी काम करता है, उसको भी छपवाना चाहता है, हनुमानजी कितना बडा काम करके आयें तो भी छुपाते रहे, सज्जनों! आपने वो घटना सुनी होगी कि वानरों के बीच में भगवान् बैठे हैं तो भगवान् चाहते हैं कि हनुमानजी के गुण वानरों के सामने आयें, भगवान् बोले हनुमान 400 कोस का सागर कोई वानर पार नहीं कर पाया मैंने सुना तुम बडे आराम से पार करके चले गयें? हनुमानजी ने कहा महाराज बन्दर की क्या क्षमता थी, "शाखा से शाखा पर जाई" बन्दर तो इस टहनी से उस टहनी पर उछल कूद करता है यह तो प्रभु आपकी कृपा से हुआ, "प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लागिं गये अचरज नाही" हनुमानजी बोले भगवान् से "तोय मुद्रिका उस पार किये" यह आपकी मुद्रिका थी जिस के कारण मैं सागर पार कर गया।भगवान् ने कहा अच्छा मैरी मुद्रिका से सागर पार किया परन्तु मुद्रिका तो आप जानकीजी को दे आये थे, लेकिन जब लोट कर आये तो सागर सिकुड गया था या छोटा हो गया था? हनुमानजी बोले सागर तो उतना ही रहा, भगवान ने पूछा जब तुम मेरी मुद्रिका से सागर पार गये और लोटते समय मुद्रिका तुम्हारे पास थी नही तो तुम इस पार कैसे आयें#Vnita🙏🙏❤️हनुमानजी ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया कि "तोय मुदरि उस पार किये और चूडामणि इस पार" आपकी कृपा ने तो माँ के चरणों तक पहुंचा दिया और माँ के #आशीर्वाद ने आपके चरणों तक पहुंचा दिया, #भाई-बहनों! ऐसे है हमारे हनुमानजी महाराज, न नाम चाहिये न यश चाहियें।

हम नाम के लिये तरसते है लेकिन हनुमानजी अपने नाम को छुपाते है क्यों? #बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम की #अध्यक्ष #श्रीमती #वनिता_कासनियां #पंजाब #संगरिया #राजस्थान        ❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️ *प्रनवउँ #पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥ मैं पवनकुमार श्री हनुमान्‌जी को प्रणाम करता हूँ, जो दुष्ट रूपी वन को भस्म करने के लिए अग्निरूप हैं, जो ज्ञान की घनमूर्ति हैं और जिनके हृदय रूपी भवन में धनुष-बाण धारण किए श्री रामजी निवास करते हैं॥   सज्जनों! हम नाम के लिये तरसते है लेकिन हनुमानजी अपने नाम को छुपाते है। हनुमानजी ने अपने नाम को छुपा लिया हम अपना प्रकट करने के लिये लालायित है, सज्जनों! कई लोग तो पत्थर पर खुदवा के जायेंगे, भले ही हम दुनिया से चले जायें लेकिन हमारा नाम रहना चाहियें, काम दिखाई दे न दे उसकी चिंता नहीं है, लेकिन नाम दिखाई देना चाहियें इसकी चिंता है, हनुमानजी का जगत में काम दिखाई देता है लेकिन हनुमानजी का कोई नाम नहीं पता लगा पाया। एक तो हनुमानजी ने अपना नाम छिपाया और दूसरा रूप, भाईयों! आपको तो मालूम है कि कुरूप ...