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सहायता केंद्र : बाल वनिता महिला आश्रम By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब+91-9565969653 ramnaambankonline@gmail.comनित्य लाइव दर्शन एवं राम नाम साधना 👉🚩जय श्री राम🚩जय श्री हनुमान FlowerPreviousNext✍️ लिखे गये राम नाम का संग्रह:- 2639996908 🤵 विजिट कर चुके भक्त:-5614270🙎‍ रजिस्टर्ड भक्तो की संख्या:-39610राम नाम लेखन हेतु यहॉ लॉगिन / रजिस्टर करेMY ACCOUNT Log Out बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख |धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥श्री राम नाम की महिमाकलयुग में न जप है न तप है और न योग ही है।सिर्फ राम नाम ही इस कलिकाल में प्राणी मात्र का सहारा है। श्री राम चन्द्र जी सहज ही कृपा करने वाले और परम दयालु हैं उस पर उनका नाम तो प्राणी मात्र को अभय प्रदान करने वाला और परम कल्याण कारी है।कलयुग में राम नाम का लिखित जाप सभी पापों को नष्ट कर मुक्ति प्रदान करने वाला है।इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस वेबसाइट का निर्माण किया गया है।आप सबसे हमारा अनुरोध है जितना अधिक संभव हो राम नाम का लिखित जप करें।इसी में हम सब का कल्याण है।© Ramnaam Bank 2015-2021, Privacy Policy🔔 जन्म महोत्सव रचहिं सुजाना , करहिं राम कल कीरति गाना। 🔔

सहायता केंद्र  :  बाल वनिता महिला आश्रम                                                         By  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब +     ramnaambankonline@gmail.com नित्य लाइव दर्शन एवं राम नाम साधना 👉 🚩जय श्री राम 🚩जय श्री हनुमान         Previous Next ✍️ लिखे गये राम नाम का संग्रह:- 2639996908     🤵 विजिट कर चुके भक्त:-5614270 🙎‍ रजिस्टर्ड भक्तो की संख्या:-39610 राम नाम लेखन हेतु यहॉ लॉगिन / रजिस्टर करे MY ACCOUNT   Log Out   बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख | धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥ श्री राम नाम की महिमा कलयुग में न जप है न तप है और न योग ही है।सिर्फ राम नाम ही इस कलिकाल में प्राणी मात्र का सहारा है। श्री राम चन्द्र जी सहज ही कृपा करने वाले और परम दयालु हैं उस पर उनका नाम तो प्राणी मात्र को अभय प्रदान करने वाला और परम कल्याण कारी है।कलय...

Which is the most expensive hotel in India?By social worker Vanita Kasani PunjabIs the most expensive hotel in India the most expensive hotel in Asia? Which place is the most expensive hotel in India ?? One night in

भारत का सबसे महंगा होटल कौन सा है? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब क्या भारत का सबसे महंगा होटल ही एशिया का सबसे महंगा होटल है ? भारत के महंगे होटल विश्व मे कौन- से स्थान पर है ?? इनमे एक रात का कितना खर्च आता है ? आईये जानते है । आज हम जिस होटल की बात करने जा रहे है उसका एक रात का किराया सुनकर शायद आप निशब्द हो जाये । भारत का सबसे महंगा होटल ही एशिया का सबसे महंगा होटल भी है तथा विश्व मे पाँचवे स्थान पर है उसका नाम है " राज पैलेस " । जी हाँ राजबाग नहीं बल्कि राज महल या राज पैलेस । RAJ PALACE :- राज पैलेस राजस्थान के जयपुर मे स्थित है , जिसे 1727 ईस्वी मे तत्कालीन राज के प्रधानमंत्री " ठाकुर मोहन सिंह जी " ने बनवाया था । इस महल मे आज भी उनकी 16वी पीढ़ी के वंशज और वर्तमान मालिक " राजकुमारी जयेन्द्र कुमारी " निवास कर रही है । इस होटल के " शाही महल सुइट " का एक रात का किराया करीब 65 हजार अमेरिकी डॉलर है । जिसे यदि आज के हिसाब से भारतीए रुपये मे देखे तो यह करीब 47 लाख 50 हजार होगा । कीर्तिमान :— इस होटल को भारतीए सरकार द्वारा " भारत के सर्वश्रेष...

Is Lord Shankar imprisoned in Mecca?By social worker Vanita Kasani PunjabAnd yes, it is a matter of thinking whether Shiva Shankar is so vigorous that anyone can imprison him. Yes, the black stone in the Kaaba of Mecca

क्या मक्का में शंकर भगवान कैद हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब और हा सोचने वाली बात ये है कि क्या शिव शंकर इतने कामजोर है क्या जो उन्हें कोई भी कैद कर ले । हाँ मक्का के काबा मे काले पत्थर / के शिवलिंग को काला कपड़ा उड़ा कर सुती धागे की डोरी से बांध रखा है। ... शिव को कोई कैद नहीं कर सकता।

MahabharatIf Shri Krishna had wanted, he could have stopped the war of Mahabharata, yet why did he allow such a terrible massacre among the brothers?By social worker Vanita Kasani PunjabMahabharatAlways in everyone's mind

Mahabharat श्री कृष्ण चाहते तो वो महाभारत का युद्ध रुकवा सकते थे, फिर भी उन्होंने भाईयों के बीच इतना भयानक नरसंहार क्यों होने दिया? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब Mahabharat सबके मन में हमेशा यही प्रश्न घूमता है की क्या  श्री कृष्ण  महाभारत का युद्ध रुकवा सकते थे? भाईयों के बीच हुए रक्तपात को उन्होंने क्यों नहीं रोका? इतिहास हमेशा वीरता, युद्ध, शहादत, और खून खराबे को ही गौरवान्वित करता है लेकिन हमे महाभारत के युद्ध के पीछे की सीख नही देख पा रहें हैं। क्युकी अगर महाभारत का युद्ध ना हुआ होता तो आगे चल कर ये आर्यावर्त तबाह हो गया होता और इस बात को कृष्ण बहुत अच्छी तरह जानते थे। आपको क्या लगता है की पांडव द्वारा पांच गांव की मांग का कौरवों द्वारा ठुकराया जाना और द्रोपदी का अपमान करना ही महाभारत युद्ध के कारण थे? जो कृष्ण खुद द्वारका और मथुरा के राजा थे क्या वो पांडवों को अपने राज्य में पांच गांव देकर युद्ध ना रोक लेते! पांडव इतने पराक्रमी थे की पूरे विश्व में कहीं भी आक्रमण करके किसी भी देश को जीत सकते थे। फिर भी उन्होंने कौरव से सिर्फ पांच गांव ही क्यों मांगे?    जब क...

इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना😊चलती कलम छोड़ झाडू घसीटना By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब दूध की मलाई खाना छोड़मक्खन के लिये बचत करनादुपट्टे से उम्र के सम्बंध जोड़नाकभी साड़ी में घसीटनाकभी चुनरी खीसकने से संभालनाकिताबें छोड़ गृहस्थी पढ़नाएक एक फुल्का गोल सेंकनासहेलियाँ छोड़ दीवारों से बात करनाचुप रहनामस्तियाँ भुलाबड़ी होने का ढोंग करनाझुमकियों से कानों का बोझ मरनाघूंघट में खुद को गुनहगार समझनापीला रंग उड़ा करतुम्हारी पसंद पहननाहाथ की घड़ी उतारखनकती चूडियाँ पहननापायलों का पैरों में चुभनाकपड़ों के साथ सपने निचौड़धूप में सुखानारोज सुबह जल्दी उठनाअपनी फिक्र छोड़सबकी सुननाबाल वनिता महिला आश्रममैथ के सवाल करते करतेअचानक दूध के हिसाब करनाइतना आसान कहाँ था गृहिणी होना ।।😊🤝💐❣️❤️💛💛 ✍️

इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना😊 चलती कलम छोड़ झाडू घसीटना By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब दूध की मलाई खाना छोड़ मक्खन के लिये बचत करना दुपट्टे से उम्र के सम्बंध जोड़ना कभी साड़ी में घसीटना कभी चुनरी खीसकने से संभालना किताबें छोड़ गृहस्थी पढ़ना एक एक फुल्का गोल सेंकना सहेलियाँ छोड़ दीवारों से बात करना चुप रहना मस्तियाँ भुला बड़ी होने का ढोंग करना झुमकियों से कानों का बोझ मरना घूंघट में खुद को गुनहगार समझना पीला रंग उड़ा कर तुम्हारी पसंद पहनना हाथ की घड़ी उतार खनकती चूडियाँ पहनना पायलों का पैरों में चुभना कपड़ों के साथ सपने निचौड़ धूप में सुखाना रोज सुबह जल्दी उठना अपनी फिक्र छोड़ सबकी सुनना बाल वनिता महिला आश्रम मैथ के सवाल करते करते अचानक दूध के हिसाब करना इतना आसान कहाँ था गृहिणी होना ।।😊 🤝💐❣️❤️💛💛 ✍️

रामनामBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकिसी अन्य भाषा में पढ़ेंडाउनलोड करेंध्यान रखेंसंपादित करेंरामनाम का शाब्दिक अर्थ है - 'राम का नाम'। 'रामनाम' से आशय विष्णु के अवतार राम की भक्ति से है या फिर निर्गुण निरंकार परम ब्रह्म से। हिन्दू धर्म के विभिन्न सम्रदायों में राम के नाम का कीर्तन या जप किया जाता है। "श्रीराम जय राम जय जय राम" एक प्रसिद्ध मंत्र है जिसे पश्चिमी भारत में समर्थ रामदास ने लोकप्रिय बनाया।परिचयसंपादित करेंभारतीय साहित्य में वैदिक काल से लेकर गाथा काल तक रामसंज्ञक अनेक महापुरुषों का उल्लेख मिलता है किंतु उनमें सर्वाधिक प्रसिद्धि वाल्मीकि रामायण के नायक अयोध्यानरेश दशरथ के पुत्र राम की हुई। उनका चरित् जातीय जीवन का मुख्य प्रेरणास्रोत बन गया। शनै: शनै: वे वीर पुरुष से पुरुषोत्तम और पुरुषोत्तम से परात्पर ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। ईसा की दूसरी से चौथी शताब्दी के बीच विष्णु अथवा नारायण के अवतार के रूप में उनकी पूजा भी आरंभ हो गई।आलवारों में शठकोप, मधुर कवि तथा कुलशेखर और वैष्णवाचार्यों में रामानुज ने रामावतार में विशेष निष्ठा व्यक्त की परंतु चौदहवीं शताब्दी के अंत तक रामोपासना व्यक्तिगत साधना के रूप में ही पल्लवित होती रही; उसे स्वतंत्र संप्रदाय के रूप में संगठित करने का श्रेय स्वामी रामानंद को प्राप्त है। उन्होंने रामतारक अथवा षडक्षर राममंत्र को वैष्णव साधना के इतिहास में पहली बार 'बीज मंत्र' का गौरव प्रदान किया और मनुष्यमात्र को रामनाम जप का अधिकार घोषित किया। इन्हीं की परंपरा में आविर्भूत गोस्वामी तुलसीदास ने इस विचारधारा का समर्थन करते हुए रामनाम को 'मंत्रराज', 'बीज मंत्र' तथा 'महामंत्र' की संज्ञा देकर कलिग्रस्त जीवों के उद्धार का एकमात्र साधन बताया। उन्होंने उसे वेदों का प्राण, त्रिदेवों का कारण और ब्रह्म राम से भी अधिक महिमायुक्त कहकर नामाराधन में एकांत निष्ठा व्यक्त की।सांप्रदायिक रामभक्ति के विकसित होने पर अर्थानुसंधानपूर्वक रामनाम जप साधना का एक आवश्यक अंग माना जाने लगा। अन्य नामों की अपेक्षा ब्रह्म के गुणों की अभिव्यक्ति की क्षमता 'राम' में अधिक देखकर उसे प्रणव की समकक्षता की महत्ता प्रदान की गई। वैष्णव भक्तों ने सांप्रदायिक विश्वासों के अनुकूल 'रामनाम' की विभिन्न व्यख्याएँ प्रस्तुत कीं। सगुणमार्गी मर्यादावादी भक्तों ने उसे लोकसंस्थापनार्थ ऐश्वर्यपूर्ण लीलाओं के विधायक रामचंद्र और रसिक भक्तों ने सौंदर्य माधुर्यादि दिव्य गुणों से विभूषित साकेतविहारी 'युगल सरकार' का व्यंजक बताया किंतु निर्गुणमार्गी संतों ने उसे योगियों के चित्त को रमानेवाले, सर्वव्यापक, सर्वातर्यामी, जगन्निवास निराकार ब्रह्म का ही बोधक माना।रामनाम की इस लोकप्रियता ने 'रामभक्ति' के विकास का मार्ग प्रशस्त कर दिया। उसकी असीम तारक शक्ति, सर्वसुलभता तथा भक्तवत्सलता का अनुभव कर भावुक उपासकों ने अर्चन तथा पादसेवन को छोड़कर नाम के प्रति सप्तधा भक्ति अर्पित की, जिनमें श्रवण, कीर्तन तथा स्मरण को विशेष महत्व मिला। तुलसी ने उसे स्वामी और सखा दोनों रूपों में ध्येय माना और बनादास ने उससे मधुर दास्यभाव का संबंध स्थापित किया। यह नामोपासना रामभक्ति शाखा में ही सीमित न रही। लीलापुरुषोत्तम के आराधक सूर और मीरा ने भी अपनी कृतियों में प्रगाढ़ रामनामासक्ति व्यंजित की है।रामभक्ति की रसिक शाखा में नामभक्ति की प्राप्ति के लिए नामसाधना की अनेक प्रणालियाँ प्रवर्तित हुई। रासखा ने चित्रकूट के कामदवन में अनुष्ठानपूर्वक बारह वर्ष तक और बनादास ने अयोध्या के रामघाट पर गुफा बनाकर चौदह वर्ष तक अहर्निश नामजप में लीन रकर आराध्य का दर्शनलाभ किया। युगलानन्यशरण ने नाम अभ्यास की एक अन्य व्यवस्थित प्रक्रिया प्रवर्तित की। इसकी तीन भूमिकाएँ हैं - भूमिशोधन, नामजप और नामध्यान। प्रथम के अंतर्गत संयम नियम द्वारा नामजप की पात्रता प्राप्त करने के लिए उपयुक्त पृष्ठभमि तैयार की जाती है। दूसरी में नाम के महत्व, अर्थपरत्व तथा जपविधि का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। नाध्यानसंज्ञक तीसरी स्थिति नामसाधना का अंतिम सोपान है। इसके तीन स्तर हैं - ताड़नध्यान, आरतीध्यान और मौक्तिकध्यान। ताड़न का अर्थ है दंड देना। अत: प्रथम अवस्था में रामनाम की निरंतर चोट देकर अंत:करण से वासना निकाली जाती है। विषयनिवृत्ति से अंत:स्थ ईश्वर का ज्योतिर्मय स्वरूप प्रकट हो जाता है। उसकी दिव्य आभा से साधक के मानसनेत्र खुल जाते हैं। तब वह अपनी उद्बुद्ध प्रज्ञा से ध्येय का अभिनंदन अथवा आरती करता है। तीसरी अवस्था में भवबंधन से मुक्त साधक अपने स्थूल शरीर से पृथक् चित् देह अथवा भावदेह का साक्षात्कार कर परमपुरुषार्थ की प्राप्ति करता है। इसके फलस्वरूप लोकयात्रा में जीवन्मुक्ति का सुख भोगता हुआ साधक स्वेच्छानुसार शरीर त्यागकर उपास्य की नित्यलीला में प्रवेश करता है।स्वामी रामानंद से प्रत्यक्ष प्रेरणा ग्रहण करने के कारण अवतारवाद के घोर विरोधी संतमत में भी रामनाम की प्रतिष्ठा अक्षुण्ण बनी रही। आदि संत कबीर ने निर्गुण ब्रह्म से उसका तादात्म्य स्थापित कर नामसाधना को एक नया मोड़ दिया। उनके परवर्ती नानक, दादू, गुलाल, जगजीवन आदि तत्वज्ञ महात्माओं ने एक स्वर से उसे निर्गुणपंथ का मूल मंत्र स्वीकार किया। इनकी नाम अथवा 'जिकिर' साधना तांत्रिक आदर्श पर निर्मित होने से प्रणायाम की जटिल विधियों से समन्वित थी। अँगुलियों से माला फेरने और जिह्वा से रामनाम रटने को निर्थक बताते हुए इन संतों ने आंतरिक चित्तवृत्ति के साथ परम तत्व के परामर्श को ही जप की संज्ञा दी, जिसकी सिद्धि इड़ा पिंगला को छोड़कर सुषुम्ना मार्ग से श्वास का अवधारण करके रामनामस्थ होने से होती है, और 'अनाहत नाम' सुनाई पड़ने लगता है। उससे नि:सृत रामनाम-रस पानकर व्यष्टिजीव आत्मविभोर हो जाता है संतों ने नामामृत पान के लिए कायायोग द्वारा परम तत्व के साथ एकात्मता का अनुभव आवश्यक बताया है। मात्र भावावेशपूर्ण नामोच्चारण से इसकी उपलब्धि असंभव है। मनरति के तनरति की यह अनिवार्यता संतों की नामसाधना में योगतत्व की प्रमुखता सिद्ध करती है।संतों तथा वैष्णव भक्तों द्वारा प्रवर्तित नामसाधना की उपर्युक्त पद्धतियों में विभिन्नता का मुख्य कारण है उनका सैद्धांतिक मतभेद। साकारवादी, भक्ति में शुद्ध प्रेम अथवा भाव तत्व को अधिक महत्व देते हैं, किंतु निराकारवादी, ज्ञान तथा योग तत्व को। सगुणोपासक रूप के बिना नाम की कल्पना ही नहीं कर सकते। अत: वे आराध्य के आंगिक सौंदर्य तथा लीलामाधुर्य के वर्णन एवं ध्यान में मग्न होते हैं। इस स्थिति में उपासक के हृदय में उपास्य से अपने पृथक् अस्तित्व की अनुभूति निरंतर होती रहती है किंतु नाम रस से छके हुए तत्वज्ञान-स्पृही निर्गुणमार्गी सत वितर्कहीन स्थिति में पहुँचकर अपने को भूल जाते हैं। वहाँ ध्याता और ध्येय की पृथक् सत्ता का आभास ही नहीं होता। उनकी अंतर्मुखी चेतना ब्रह्मानुभव ने निरत हो तद्रूप हो जाती है।सन्दर्भ ग्रन्थसंपादित करेंडॉ॰ भगवतीप्रसाद सिंह : रामभक्ति में रसिक संप्रदाय;डॉ॰ कामिल बुल्के : रामकथा;डॉ॰ उदयभानु सिंह : तुलसीदर्शन मीमांसा;डॉ॰ विश्वंभरनाथ उपाध्याय : संतवैष्णव काव्य पर तांत्रिक प्रभाव;डॉ॰ मुंशीराम शर्मा : भक्ति का विकास;डॉ॰ हजारीप्रसाद द्विवेदी : रामानंद की हिंदी रचनाएँLast edited 1 year ago by Vnita Kasnia PunjabRELATED PAGESस्वामी रामानन्दाचार्यरामसनेही सम्प्रदायरामानन्दी सम्प्रदायसामग्री Vnita punjabके अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो।गोपनीयता नीति उपयोग की शर्तेंडेस्कटॉप

रामनाम By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें रामनाम  का शाब्दिक अर्थ है - 'राम का नाम'। 'रामनाम' से आशय  विष्णु  के  अवतार   राम  की भक्ति से है या फिर निर्गुण निरंकार परम ब्रह्म से।  हिन्दू धर्म  के विभिन्न सम्रदायों में राम के नाम का  कीर्तन  या  जप  किया जाता है।  "श्रीराम जय राम जय जय राम"  एक प्रसिद्ध मंत्र है जिसे पश्चिमी भारत में  समर्थ रामदास  ने लोकप्रिय बनाया। परिचय संपादित  करें भारतीय साहित्य  में  वैदिक काल  से लेकर गाथा काल तक रामसंज्ञक अनेक महापुरुषों का उल्लेख मिलता है किंतु उनमें सर्वाधिक प्रसिद्धि  वाल्मीकि रामायण  के नायक  अयोध्यानरेश   दशरथ  के पुत्र  राम  की हुई। उनका चरित् जातीय जीवन का मुख्य प्रेरणास्रोत बन गया। शनै: शनै: वे वीर पुरुष से पुरुषोत्तम और पुरुषोत्तम से परात्पर ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। ईसा की दूसरी से चौथी शताब्दी के बीच विष्णु अथवा नारायण क...

Thursday fast storyBy social worker Vanita Kasani PunjabIn Indian belief, Thursday is a fast to celebrate Lord Vishnu.Read in another languagedownloadTake care

बृहस्पतिवार व्रत कथा By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब भारतीय मान्यता में बृहस्पतिवार का व्रत भगवान श्री विष्णु को प्रसन करने के लिए किया जाता है। किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें Learn more This article  is written like  a manual or guidebook . Learn more इस लेख में  सन्दर्भ  या  स्रोत  नहीं दिया गया है। यह उपवास सप्ताह के दिवस बृहस्पतिवार व्रत कथा को रखा जाता है। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र और गुरुवार के योग के दिन इस व्रत की शुरुआत करना चाहिए। नियमित सात व्रत करने से गुरु ग्रह से उत्पन्न होने वाला अनिष्ट नष्ट होता है। बृहस्पति व्रत आधिकारिक नाम बृहस्पति अन्य नाम बृहस्पति अनुयायी हिन्दू ,  भारतीय , भारतीय प्रवासी प्रकार Hindu समान पर्व सप्ताह के अन्य दिवस कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पति देव से प्रार्थना करनी चाहिए। पीले रंग के चंदन, अन्न, वस्त्र और फूलों का इस व्रत में विशेष महत्व होता है। [ कृपया उद्धरण जोड़ें ] विधि संपादित करें सूर्योदय से पहले उठकर स्ना...